महोली गांव के युवा पहलवान 100 साल पुरानी प्रथा का कर रहे हैं निर्वहन

Malla Akhara in Mathura: मथुरा जिले के महोली गांव में आज भी मल्ल अखाड़े में जोर आजमाया जाता है. यहां के बुजुर्गों की उस धरोहर को युवा और बच्चे आज भी संजोए हुए हैं. गांव के युवा हिंद केसरी बनने की तैयारी में जुटे रहते हैं. जहां अखाड़े के खलीफा इन पहलवानों को तैयार करते हैं.  

महोली गांव के युवा पहलवान 100 साल पुरानी प्रथा का कर रहे हैं निर्वहन
निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा : यूपी के मथुरा जिले के एक गांव महोली है. यहां गांव में स्थित बने अखाड़े में आज भी मल्ल अभ्यास किया जाता है. साथ ही एक दूसरे के साथ जोर आजमाइश की जाती है. यहां इन युवा पहलवानों को अखाड़े के खलीफा तैयार करते हैं. विभिन्न मल्ल आयोजनों के लिए युवा पहलवान यहां तैयारी में लगे रहते हैं. दंगलों की तैयारी और हिंद केसरी बनने की ललक यहां के युवा मल्लों में देखने को मिल जाएगी. यहां गांव के युवा 100 साल पुरानी परंपरा को संजोए हुए हैं. पूर्वजों की प्रथा का आज भी हो रहा निर्वहन शहर से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव महोली है. यहां का मल्ल अखाडा एक अलग ही पहचान रखता है. इस अखाड़े से दर्जन भर मल्ल हिंद केसरी का ख़िताब जीतकर आ चुके हैं. गांव के बच्चे और युवाओं में बेहद ही उत्साह यहां के अखाड़े को लेकर रहता है. इस वजह से सभी युवा में जोर आजमाने में लगे रहते हैं. यहां गांव के युवा अपनी पहचान बनने के लिए पहलवानी सीख रहे हैं.  यहां के युवा दो घंटे की कड़ी मेहनत प्रतिदिन करते हैं. अखाड़े में अभ्यास कर रहे युवा पहलवान इशाक ने बताया की कई पहलवान यहां से हिंद केसरी रह चुके हैं. करीब आधा दर्जन वरिष्ठ पहलवान हिंद केसरी का खिताब जीत चुके हैं. उन्होंने बताया कि हम लोग तैयारी में जुटे हैं. उन्होंने बताया कि अपनी हर दिन कि खुराक में बादाम का हलवा, लस्सी, फल, ड्राई फ़्रूट लेते हैं. करीब दो घंटे एक दूसरे के साथ अभ्यास करते हैं. पहलवानी के गुर सीख रहे इशाक ने बताया इशाक बताते हैं कि वह 12 वर्ष से पहलवानी के गुर सीख रहे हैं. यहां के वरिष्ठ पहलवान राजेंद्र और अल्लाह खलीफा युवा पहलवानों को तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि यहां पहलवानों को तैयार करने के लिए भट्टी में पहले तपाया जाता है. उसके बाद यहां से पहलवान तैयार होते हैं. प्रशिक्षण में कई अभ्यास और कई चरण होते हैं, जिससे वह प्रशिक्षण को पास करने वाले को ही यहां पहलवान का दर्जा दिया जाता है. यह पहलवान रह चुके हैं हिंद केसरी लोकल 18 से बता करते हुए वरिष्ठ पहलवान ठाकुर राजेंद्र सिंह ने बताया कि युवाओं में जोश है. युवा पहलवानों को तैयार करने में काफ़ी मेहनत करनी होती है. उन्होंने बताया कि हिंद केसरी गोपाल पहलवान, होरी लाल पहलवान, राजेंद्र पहलवान, यादराम पहलवान, अम्बिका पहलवान सहित अन्य लोग भी हिंद केसरी रह चुके हैं. अखाड़े में प्रशिक्षण लेने के लिए गांव के लोगों के साथ-साथ बाहर के लोग भी आ सकते हैं. पहलवान ब्रह्मचार का पालन करते हैं. यहां गांव के युवा 100 साल पुरानी पहलवानी की आज भी पहचान दिला रहे हैं. Tags: Local18, Mathura hindi news, Mathura newsFIRST PUBLISHED : June 20, 2024, 17:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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