हजारों कैदी इस साल दिवाली अपने घर मनाएंगे सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया फरमान
हजारों कैदी इस साल दिवाली अपने घर मनाएंगे सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया फरमान
Fast Track Release of Undertrials: सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून के तहत पहली बार अपराध करने वाले विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए एक फरमान जारी कर दिया है. इसके मुताबिक पहली बार अपराध करने वाले जेल में बंद शख्स ने अगर अपने अपराध की कम से कम एक-तिहाई सजा के बराबर वक्त जेल में काट लिया, तो उसे रिहा कर दिया जाना चाहिए.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 को पहले के समय से लागू करने का आदेश दिया है. जिसके तहत जेल में बंद पहली बार अपराध करने वाले विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जाना अनिवार्य है, बशर्ते कि उन्होंने कथित रूप से किए गए अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा काट लिया हो. भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता के साथ-साथ बीएनएसएस इस साल लागू हुआ. मगर एएसजी ऐश्वर्या भाटी के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि लाभकारी प्रावधान सभी विचाराधीन कैदियों पर लागू होगा, चाहे उनकी गिरफ्तारी की तारीख कुछ भी हो और वे जेल में क्यों न गए हों.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जेल अधीक्षकों को आदेश दिया कि वे उन पहली बार अपराध करने वाले कैदियों को जमानत देने के लिए कदम उठाएं, जो विचाराधीन कैदी के रूप में बंद हैं और अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा काट चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कैदियों की रिहाई के लिए अदालत में आवेदन करने की प्रक्रिया दो महीने के भीतर पूरी की जाए, जो धारा 479 के तहत मानदंडों को पूरा करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में राज्य सरकार के संबंधित विभाग को रिपोर्ट करने को कहा है. जस्टिस कोहली ने कहा कि तय मानदंड को पूरा करने वाले विचाराधीन कैदियों को यह दिवाली अपने परिवार के साथ बिताने दें.
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एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि वह जेल अधीक्षकों को ऐसे विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए कदम उठाने के लिए कहे, जो हालांकि पहली बार अपराध नहीं कर रहे हैं, लेकिन अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा का आधा हिस्सा काट चुके हैं. हालांकि, विचाराधीन कैदियों के इन दो समूहों को जेल से जल्दी रिहाई का लाभ नहीं मिलेगा, अगर उन पर जघन्य अपराध करने का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने राज्य सरकारों और संबंधित केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों से कहा कि वे इन दो श्रेणियों के विचाराधीन कैदियों की रिहाई का डेटा जुटाएं और दो महीने बाद सुप्रीम कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट पेश करें. न्यायालय ने मामले की सुनवाई अक्टूबर में तय की, तब तक जस्टिस कोहली सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो चुकी होंगी.
Tags: Criminal Laws, Supreme Court, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 11:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed