विशाल तिवारी/सुल्तानपुर: क्या आपने कभी इसी ऐसे धाम के बारे में सुना है, जहां पत्ता नहीं तोड़ सकते. ऐसा धाम है सुल्तानपुर में, जिसका नाम है महेश नाथ धाम. आज भी कई रहस्य इस जगह मौजूद हैं. साल 2016 में सरकार द्वारा इस रहस्य को जानने के लिए कार्बन डेटिंग भी कराई गई, जिसमें मंदिर को काफी प्राचीन बताया गया है. मंदिर के पुजारी से बातचीत के दौरान पता चला की मंदिर बनने से पहले में जो भी व्यक्ति इस स्थल के आसपास आता था और कोई भी समान या पेड़ पौधों को छति पहुंचाता था, तो उसकी 24 घंटे के अंदर मौत हो जाती थी.
हर किसी की मन्नत होती है पूरी
मंदिर के पुजारी आचार्य प्रशांत उपाध्याय ने बताया कि महेश नाथ धाम में भगवान भोलेनाथ स्वयं उत्पन्न हुए थे और उनकी मूर्ति भी मिली है. जिसको लेकर मान्यता है कि बाबा महेश नाथ अत्यंत क्रोधी हैं. लेकिन उनके क्रोध के साथ-साथ इनके सहनशील और दयालु होने का भी लोगों में विश्वास है. इस धाम में जो भी व्यक्ति आता है, उसकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती है.
भुरुचों का था कबीला
देवरहर गांव स्थित महेश नाथ धाम को लेकर ऐतिहासिक मान्यता है कि यह स्थान महाभारत काल में भुरुचों का कबीला हुआ करता था. यहां पर भुरुच अपने साथियों के साथ निवास करते थे.
1 पैर खड़े होकर 41 दिन की तपस्या
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बाबा महेश नाथ के क्रोध को उस स्थल पर आने वाला कोई भी व्यक्ति सहन नहीं कर पाता था. अगर कोई भी व्यक्ति उस स्थान से एक पत्ता भी तोड़ कर ले जाता, तो या तो उसकी अकाल मृत्यु हो जाती या फिर उसके परिवार में कोई अनहोनी घटित हो जाती थी. इस बात से चिंतित होकर आसपास के लोगों ने कई सिद्ध पुरुषों को बुलाया. लेकिन कोई भी बाबा महेश नाथ के क्रोध को शांत नहीं कर सका. इसी बीच एक सिद्ध पुरुष श्री श्री 1008 श्री त्यागी जी महाराज ने बाबा के क्रोध को शांत करने की ठाना और एक पैर खड़े होकर 41 दिनों तक तपस्या की. जिससे बाबा ने अपने क्रोध को शांत किया और उसी दरमियान त्यागी जी महाराज ने मंदिर की आधारशिला रखी.
Tags: Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 12:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed