रावण वध के पश्चाताप के लिए श्रीराम ने यहां किया था स्नान आज विदेशियों की भीड़
रावण वध के पश्चाताप के लिए श्रीराम ने यहां किया था स्नान आज विदेशियों की भीड़
Dhopap Temple Sultanpur: त्रेता युग में सीता का हरण करने वाले रावण का वध करने के बाद जब प्रभु श्री राम अयोध्या वापस लौटे, तो अयोध्या के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि रावण भले ही पापी था. लेकिन, पापी होने के साथ-साथ वह एक विद्वान भी था. यह बात जानकर राम को अत्यंत ग्लानि हुई. पाप कर्म से मुक्ति के लिए गुरु वशिष्ठ के सुझाव पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आदि गंगा गोमती नदी में डुबकी लगाई और पाप कर्म से मुक्ति पाई.
विशाल तिवारी / सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में गोमती नदी के किनारे एक धोपाप मंदिर है. जहां ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्री राम ने रावण का वध करने के पश्चात यहां स्नान कर अपने पापों को धोया था. क्योंकि, रावण को मारने के बाद प्रभु श्री राम के ऊपर ब्रह्म हत्या का आरोप लगा था. ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति का पैर एक बार धोपाप धाम में पड़ जाते हैं. उनके जन्म जन्मांतर के सारे पाप धुल जाते हैं.
त्रेता युग में सीता का हरण करने वाले रावण का वध करने के बाद जब प्रभु श्री राम अयोध्या वापस लौटे, तो अयोध्या के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि रावण भले ही पापी था. लेकिन, पापी होने के साथ-साथ वह एक विद्वान भी था. उसके जैसा चारों वेदों का ज्ञाता पूरी धरती पर न था. वह परम तपस्वी ब्राह्मण पुलस्त्य का नाती और ब्राह्मण शिरोमणि विश्वश्रवा का पुत्र था. यह बात जानकर राम को अत्यंत ग्लानि हुई. पाप कर्म से मुक्ति के लिए गुरु वशिष्ठ के सुझाव पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आदि गंगा गोमती नदी में डुबकी लगाई और पाप कर्म से मुक्ति पाई. कालांतर में यह पावन स्थल धोपाप के नाम से जाना गया.
पद्म पुराण में है वर्णन
हिंदू धर्म में पुराणों की कुल संख्या 18 बताई गई है. उन्हीं पुराणों में से एक है पद्म पुराण, जिसे पंकज पुराण भी कहा जाता है. इसी पंकज पुराण में धोपाप धाम का वर्णन किया गया है.
विदेशों से आते हैं श्रद्धालु
मई महीने के ज्येष्ठ में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यहां भव्य मेला लगता है. और लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन और स्नान करने के लिए आते हैं. देश के कोने-कोने से लेकर नेपाल तक के लोग यहां पाप से मुक्ति हेतु दर्शन के लिए आते हैं.
प्राचीन है मंदिर का इतिहास
मंदिर में पूजा पाठ और इतिहास के बारे में जानकारी रखने वाले दुलापुर निवासी राम तीरथ शुक्ला बताते हैं कि धोपाप धाम में बनाया गया यह राम सीता का मंदिर लगभग 350 वर्ष पुराना है. इसे दियरा के राजा द्वारा बनवाया गया था. आज भी इस मंदिर में पुजारी की नियुक्ति दियरा के राजा द्वारा ही की गई है.
Tags: Dharma Culture, Local18, Sultanpur newsFIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 16:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed