Success Story: पागल सैनिक टाइगर तिवारी का बड़ा कारनामा अपने दम पर खड़ी कर दी सेना
Success Story: पागल सैनिक टाइगर तिवारी का बड़ा कारनामा अपने दम पर खड़ी कर दी सेना
Muzaffarpur Tiger Tiwari: रिटायर्ड सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी उर्फ टाइगर तिवारी साल 2014 में सेना से रिटायर हुए और अपने गांव आ गए. गांव में उन्होंने युवाओं को ट्रेनिंग देनी शुरू की. शुरू में लोगों ने उनकी बात को हल्के में लिया लेकिन जब युवाओं का चयन सेना में होने लगा तो बाकी बच्चों की दिलचस्पी भी बढ़ने लगी.
रिपोर्ट- अभिषेक रंजन
मुजफ्फरपुर: देश प्रेम का जुनून एक सैनिक से बेहतर आप शायद किसी और के अंदर देख सकते हैं. देश के लिए कुछ करने की ललक और जज़्बे का जीवंत उदाहरण है भारतीय सेना से रिटायर्ड सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी. ये बिहार के मुजफ्फरपुर के हैं और लोग इन्हें टाइगर तिवारी के नाम से भी जानते हैं. कभी गांव वालों ने इन्हें पागल घोषित कर दिया था, पर आज इन्होंने 155 युवा युक्तियों को सैनिक बनाने में अहम रोल निभाया है. अब लोग इनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं.
टाइगर सर 2014 में हुए थे आर्मी से रिटायर
मुजफ्फरपुर में मुशहरी प्रखंड के जलालपुर के रहने वाले टाइगर सर साल 2014 में आर्मी से रिटायर्ड होकर अपने गांव जलालपुर आ गए. अपने गांव आकर टाइगर तिवारी गांव के युवकों को सेना में जाने के लिए प्रेरित करने लगे. यहीं से यह सिलसिला शुरू होता है. टाइगर सर बताते हैं कि शुरुआती दिनों में जब वो गांव के युवकों को सेना की नौकरी के लिए तैयारी कराने की बात करते तो लोग उनकी बातों को अनसुना कर देते. कई लोगों ने तो कहा कि लक्ष्मण तिवारी पागल हो गया है.
2014 में पहला बैच बनाया
टाइगर सर बताते हैं कि धीरे-धीरे कुछ युवाओं को समझा कर उन्होंने 2014 में पहला बैच बनाया. जब उस बैच से सेना में बच्चों का सिलेक्शन हुआ तब लोगों को मेरी बात समझ आई और लोगों का नजरिया बदला. टाइगर सर अब तक सैकड़ों युवाओं को ट्रेनिंग दे चुके हैं. जिनमें से 155 युवा सफल होकर सेना की नौकरी कर रहे हैं.
टाइगर सर बताते हैं कि इन 8 सालों में गांव की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल गई है. गांव के कई गरीब परिवारों के बच्चे अब सेना की नौकरी कर रहे हैं. सेना की नौकरी करने के बाद देश सेवा के साथ साथ कई युवकों की परिवारिक हालत भी सुधरी है.
20 लड़किया कर रहीं पुलिस की नौकरी
टाइगर सर बताते हैं, कि लड़कों को ट्रेनिंग लेकर नौकरी लेता देख गांव की लड़कियां भी आगे आईं. उन्होंने मुझसे ट्रेनिंग देने को कहा, मैंने सोचा यह अपने ही गांव की बेटियां हैं. ट्रेनिंग के लिए इन्हें गांव से बाहर नहीं जाना पड़े इसका ध्यान भी रखना होगा. तबसे मैंने लड़कियों के लिए विशेष बैच बनाया और इन्हें ट्रेनिंग देने लगा. इनकी कड़े मेहनत का नतीजा है कि आज 20 लड़की पुलिस की नौकरी कर रही हैं.
नि:शुल्क देते हैं सभी को ट्रेनिंग
टाइगर सर बताते हैं कि उनके यहां फिजिकल ट्रेनिंग के लिए बच्चों से एक रुपए भी नहीं लिया जाता है. सारी सुविधा बच्चों के लिए फ्री है. टाइगर सर के साथ गांव के ही रिटायर्ड सैनिक सूबेदार मेजर शशि रंजन और मो. इस्लाम ट्रेनिंग के कार्यों में साथ देते हैं.
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Tags: Army vacancies, Bihar News, Muzaffarpur hindi newsFIRST PUBLISHED : November 15, 2022, 15:49 IST