गजब! 84 लाख की नौकरी छोड़ शुरू की फूलों की खेती रोजाना हो रही लाखों में कमाई
गजब! 84 लाख की नौकरी छोड़ शुरू की फूलों की खेती रोजाना हो रही लाखों में कमाई
Success Story: आजमगढ़ के रहने वाले बीटेक करने वाले अभिनव सिंह जलबेरा फूलों की खेती करते हैं. वह माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में इंग्लैंड में 7 लाख रुपए की नौकरी छोड़कर गांव चले आए. वह गांव में ही अब लाखों रुपए कमा रहे हैं.
आजमगढ़: मिट्टी से सोना उगाने की कहावत तो अपने किताबों में सुनी या पढ़ी होगी, लेकिन इस कहावत को वास्तविक रूप देने का काम कर रहे हैं आजमगढ़ के अभिनव सिंह. अभिनव कभी माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम किया करते थे और लाखों का पैकेज उठा रहे थे, लेकिन अब वर्तमान में वह सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का काम छोड़ फ्लावर गार्डनिंग के काम में लगे हुए हैं. इतना ही नहीं, इस काम से उन्होंने अपने साथ-साथ गांव के 50 लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया है.
अभिनव सिंह आजमगढ़ के पल्हना ब्लॉक के चिलबिला गांव के निवासी हैं. सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने साल 2011 में माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी को ज्वाइन किया. माइक्रोसॉफ्ट कंपनी से जुड़ने के बाद उन्हें इंग्लैंड में काम करने का मौका मिला.
7 लाख रुपए मिलता था प्रतिमाह
इसके लिए उन्हें 7 लाख रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता था, लेकिन इतनी बड़ी कंपनी में काम करते हुए भी वह अपने गांव की मिट्टी को भूला नहीं पा रहे थे. गांव की मिट्टी का प्रेम उन्हें बार-बार अपनी ओर आकर्षित करता था. साल 2016 में छुट्टी लेकर वह गांव घूमने आए, लेकिन माटी प्रेम ने उन्हें फिर से वापस जाने नहीं दिया.
58 लाख की लागत से शुरू की फूलों की खेती
2018 में अभिनव ने अपने जीवन की नई पारी की शुरुआत करते हुए खेती करने का मन बनाया और काफी रिसर्च करने के बाद उन्होंने जरबेरा फूलों की खेती शुरू की. 2020 में करीबन डेढ़ एकड़ में उन्होंने पॉली हाउस का निर्माण किया और उसमें करीबन 25 हजार जरबेरा फूलों के पौधे लगाए.
उनके इस नए स्टार्टअप में लगभग 58 लाख रुपए की लागत लगानी पड़ी, जिसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय बागवानी मिशन से भी मदद मिली और 50% धनराशि का अनुदान मिला.
पहले बनारस में होती थी खेती
इससे पहले जरबेरा की खेती केवल बनारस में होती थी, लेकिन अभिनव की इस शुरुआत के बाद आजमगढ़ जिले में भी जरबेरा की खेती बड़े पैमाने पर होने लगी है. वर्तमान में अभिनव सिंह द्वारा बनाया गया पॉलीहाउस सबसे बड़ा पॉलीहाउस कहा जाता है. जरबेरा के इन फूलों की मांग आसपास के कई जिलों में है. वर्तमान में आजमगढ़ के अलावा वाराणसी, मऊ, गाजीपुर, व लखनऊ में इन फूलों की आपूर्ति की जाती है.
रोजाना 3000 फूलों का उत्पादन
लोकल 18 से बात करते हुए अभिनव सिंह ने बताया की एक बार पौध तैयार होने के बाद वह 5 साल तक लगातार फूल देता है. जरबेरा के एक पौधे को तैयार होने में लगभग 3 महीने का समय लगता है. उन्होंने बताया कि पॉलीहाउस में लगे पौधों से लगभग 3000 फुल प्रतिदिन निकल जाते हैं. जिन्हें मार्केट में एक फूल की कीमत लगभग चार रुपए होती है, जिससे महीने में लाखों की कमाई हो जाती है. वहीं, पॉलीहाउस में लगे विभिन्न प्रकार के जरबेरा के पौधों से लाल, सफेद, पीला, गुलाबी, नारंगी आदि रंगों के फूल निकलते हैं.
राजभवन की प्रदर्शनी में मिला प्रथम स्थान
उत्तर प्रदेश के राजभवन में आयोजित प्रदर्शनी में अभिनव सिंह द्वारा पॉलीहाउस में किया जा रहे फूलों की खेती की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी, जिसमें प्रदेश के अन्य जिलों से विभिन्न किसन भी सम्मिलित हुए थे. वहीं, प्रदेश में सबसे अच्छी जरबेरा के फूलों की खेती करने के लिए अभिनव सिंह को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था.
Tags: Agriculture, Azamgarh news, Local18, Motivational Story, Success Story, Successful businesswoman, UP newsFIRST PUBLISHED : September 19, 2024, 14:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed