चाय और स्ट्राबेरी के बाद अब छत्तीसगढ़ के एप्पल भी लुभाएंगे शुरू हुई सेब की खेती
चाय और स्ट्राबेरी के बाद अब छत्तीसगढ़ के एप्पल भी लुभाएंगे शुरू हुई सेब की खेती
Chhattisgarh Apple Farming: छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला खूबसूरत वादियों के लिए प्रसिद्ध है. जशपुर जिले में पहाड़ों पर चाय, स्ट्राबेरी और नाशपाती की खेती की जाती है. इन फलों की खेती देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक जशपुर पहुंचते हैं. अब यहां कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की तरह सेब की खेती शुरू की जा रही है. जिला प्रशासन भी बड़े पैमाने पर सेब की खेती की योजना बना रहा है.
जशपुर. चाय, स्ट्राबेरी और नाशपाती की खेती के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला अब कश्मीर और हिमाचल की तरह सेब उत्पादक भी बनने जा रहा है. दरअसल इस जिले में खेती के तमाम प्रयोगों के बाद सेब की खेती भी शुरू कर दी गई है. खुशनुमा मौसम के कारण तरह-तरह की खेती के लिए जशपुर की पहचान बन चुकी है. वह दिन दूर नहीं जब लोग जशपुर के सेब देखने भी पहुंचें.
जशपुर में सर्दियों के दिनों में तापमान 1 डिग्री और गर्मियों में 36 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है. जिले के मौसम को देखते हुए जशपुर के पठारी इलाकों में पहाड़ों पर होने वाली कई प्रकार की खेती की जा रही है. यहां चाय और स्ट्राबेरी की खेती भी की जा रही है जो आमतौर पर ठंडे प्रदेशों में होती है. अब यहां के करदना गांव में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने सेब के पौधे का सफल ट्रायल किया है. वनवासी कल्याण आश्रम का प्रयोग
वनवासी कल्याण आश्रम के विशेषज्ञों ने करदना में कल्याण आश्रम की 25 डिसमिल जमीन पर 50 सेब के पौधे ट्रायल के रूप में लगाए थे. इनमें से 7 पौधे तो खराब हो गए, लेकिन बचे हुए लगभग 43 पेड़ अब तैयार हो रहे हैं. अच्छी बात यह है कि इनमें फल भी आना शुरू हो गए हैं. यहां दो प्रकार के पौधे लगाए गए हैं. एक किस्म हिमाचल प्रदेश तो दूसरी किस्म जम्मू-कश्मीर में लगाई जाती है. दोनों ही तरह के पौधों की खेती यहां हो रही है. आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश
आश्रम से जुड़े सदस्य बताते हैं कि इन पेड़ों पर लगे सेब के फल बाजार में मिलने वाले फलों से अधिक स्वादिष्ट हैं. जशपुर में पहली बार सेब के पेड़ और उन पर लगे फलों को देखने स्थानीय लोग भी आ रहे हैं. सेब की खेती के सफल ट्रायल के बाद अब जशपुर में बड़े पैमाने पर सेब की खेती की तैयारियां शुरू हो गई हैं. वनवासी कल्याण आश्रम आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में रहने वालों को सेब की खेती से जोड़ने की तैयारी कर रहा है. आश्रम का प्रयास है कि यहां रहने वाले लोग सेब की खेती कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकें. सबसे ठंडी जगह पंडरापाठ में सेब का बाग
वनवासी कल्याण आश्रम जशपुर के पठारी क्षेत्रों में सैकड़ों एकड़ में सेब की फसल लगाने की तैयारियां कर रहा है. जिले के कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने बताया कि जशपुर छत्तीसगढ़ का पहला जिला है जहां सेब की खेती का ट्रायल सफल हुआ है. अब जिले की सबसे ठंडी जगह पंडरापाठ में सैकड़ों एकड़ जमीन में सेब की खेती की तैयारी शुरू हो चुकी है. कलेक्टर ने कहा कि जशपुर में सेब की खेती से जिले में रोजगार और पर्यटन दोनों बढ़ेगा. जिला प्रशासन इसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है.
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Tags: Chhattisgarh newsFIRST PUBLISHED : June 23, 2022, 20:11 IST