पढ़ाई के प्रति लगन या मजबूरी! सांपों से भरे इलाके को पार करके स्कूल जाते बच्चे

Bankura News: बच्चों को स्कूल जाने के लिए खतरनाक कच्चे रास्ते से गुजरना पड़ता है, जहां उन्हें कादाजल, सांप और अन्य खतरे का सामना करना होता है. इन कठिनाइयों के बावजूद, शिक्षा के प्रति उनकी उम्मीदें मजबूत हैं.

पढ़ाई के प्रति लगन या मजबूरी! सांपों से भरे इलाके को पार करके स्कूल जाते बच्चे
बांकुड़ा जिले के गंगाजलघाटी ब्लॉक के गोबिंदधाम ग्राम पंचायत के अंतर्गत स्थित नूतनग्राम, बाघराकोंदा और होलाइगड़िया गांवों के बच्चे हर रोज़ एक खतरनाक रास्ते से स्कूल जाते हैं. यह दृश्य किसी शिक्षा यात्रा जैसा लगता है, लेकिन हकीकत में यह बच्चों के लिए जीवन की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है. इन बच्चों को स्कूल जाने के लिए केवल एक रास्ता है, जो कई जोखिमों से भरा हुआ है. एक ही स्कूल, दो रास्ते इन गांवों में कुल 1.5 किलोमीटर की दूरी पर केवल एक ही उच्च विद्यालय है, जिसका नाम बिहारजुरिया उच्च विद्यालय है. इस विद्यालय तक पहुँचने के लिए दो रास्ते हैं. एक रास्ता मुख्य सड़क से होकर 6 से 10 किलोमीटर का है, जबकि दूसरा रास्ता कच्चे जमीन के रास्ते से होकर मात्र 1.5 किलोमीटर है. इस रास्ते में कादाजल, झाड़ियों और न केवल कड़ी मेहनत, बल्कि सांपों के खतरों का भी सामना करना पड़ता है. 50 वर्षों से यही रास्ता है बच्चों का सहारा लगभग 50 सालों से बच्चे इस कच्चे रास्ते से स्कूल जाते रहे हैं. गर्मी में उन्हें तेज धूप में खेतों से होकर गुजरना पड़ता है, जबकि मानसून में यह रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है. कादाजल में फिसलने के अलावा, बच्चों को सांपों के काटने का भी डर रहता है. सर्दी में भी यह रास्ता उतना ही कठिन रहता है, लेकिन बच्चों को शिक्षा की महत्वता इतनी है कि वे हर हाल में स्कूल जाने का रास्ता अपनाते हैं. स्कूल छोड़ने की बढ़ती संख्या इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, नूतनग्राम, बाघराकोंदा, और होलाइगड़िया के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए यह जोखिम उठाते हैं. हालांकि, इन कठिनाइयों के कारण स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है. जो बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं, उनके लिए यह सफर मुश्किल हो जाता है और कई बार वे शिक्षा से दूर हो जाते हैं. शिक्षा की गुणवत्ता पर असर जब बांकुड़ा जैसे ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने की बात होनी चाहिए, तब इस तरह की यातायात व्यवस्था बच्चों को शिक्षा से दूर कर रही है. बिहारजुरिया उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य अंशुमान मंडल का कहना है, “माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के परीक्षा परिणाम में इस क्षेत्र के बच्चों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन अगर बच्चों को विद्यालय तक पहुँचने में कठिनाई होती है, तो धीरे-धीरे इस क्षेत्र की शिक्षा का स्तर गिर जाएगा.” Tags: Local18, Snake Venom, Special Project, West bengalFIRST PUBLISHED : November 29, 2024, 13:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed