असमः भारत का एक ऐसा गांव जहां सिर्फ संस्कृत में ही होती है बात! जानें 6 साल में कैसे हुआ ये चमत्कार

Sanskrit speaking village: संस्कृत वैसे तो पूरे देश में आम बोलचाल से लगभग विलुप्त हो चुकी है, लेकिन असम के एक गांव को ‘संस्कृत गांव’ के रूप में जाना जाता है. 2015 से संस्कृत करीमगंज जिले के राताबारी विधानसभा क्षेत्र के गांव पटियाला में बच्चों और बड़ों सहित हर एक व्यक्ति के लिए आपसी संवाद की भाषा है.

असमः भारत का एक ऐसा गांव जहां सिर्फ संस्कृत में ही होती है बात! जानें 6 साल में कैसे हुआ ये चमत्कार
हाइलाइट्सगांव में 60 परिवार हैं, जो अपने बच्चों के साथ इस प्राचीन भाषा को संचार के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करते हैं. 2015 में गांव में लगे संस्कृत शिविर के बाद ग्रामीणों ने सीख ली भाषा, उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने की हो रही पहल. करीमगंज. संस्कृत वैसे तो पूरे देश में आम बोलचाल से लगभग विलुप्त हो चुकी है, लेकिन असम के एक गांव को ‘संस्कृत गांव’ के रूप में जाना जाता है. यहां के सभी लोग इस प्राचीन और शास्त्रीय भाषा को बोलते हैं. 2015 से संस्कृत करीमगंज जिले के राताबारी विधानसभा क्षेत्र के गांव पटियाला में बच्चों और बड़ों सहित हर एक व्यक्ति के लिए आपसी संवाद की भाषा है. इस गांव में लगभग 60 परिवार हैं, जिनमें लगभग 300 लोग ऐसे हैं जो ‘शुद्ध संस्कृत भाषी हैं. ग्रामीण आने वाली पीढ़ियों को इस भाषा को बोलने के लिए प्रोत्साहित कर बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. उनका मानना है कि यह वह भाषा है जो लोगों द्वारा बोली नहीं जा रही है. इसलिए इसको बोलचाल में बनाए रखने के लिए गांव के लोगों का संस्कृत भाषा को बनाए रखने का प्रयास है. यहां ग्रामीण नियमित ‘योग शिविर’ भी आयोजित करते हैं. 2015 में गांव में लगे संस्कृत शिविर के बाद ग्रामीणों ने सीख ली भाषा इस गांव के रहने वाले दीप नाथ जो एक योग शिक्षक भी हैं उनका कहना है कि उन्होंने 2013 में योग शिविर की शुरुआत की और उसके बाद 2015 में संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं ने गांव का दौरा किया. यह 2015 की बात है जब हमारे गांव में एक संस्कृत शिविर का आयोजन किया गया था और तब से हमने संस्कृत बोलना सीखा और अब यहां का हर व्यक्ति इस भाषा को बोलता है. 2015 से संस्कृत भाषा को करीमगंज जिले के राताबारी विधानसभा क्षेत्र के गांव पटियाला में बच्चों और बड़ों सहित हर एक व्यक्ति के लिए आपसी संवाद की भाषा है. ANI संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की हो रही पहल उन्होंने बताया कि हमारे गांव में 60 परिवार हैं, जो अपने बच्चों के साथ इस प्राचीन भाषा को संचार के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करते हैं. योग शिक्षक और गांव के ही रहने वाले दीप नाथ ने कहा कि वे अपनी संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. योग शिविरों का आयोजन नियमित रूप से सुबह 5 बजे से सुबह 7 बजे तक किया जाता है और यहां हर निर्देश संस्कृत में दिया जाता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Assam news, Sanskrit languageFIRST PUBLISHED : October 21, 2022, 19:34 IST