अरे 5 ट्रिलियन तो पार कर गए ये मार्केट कैप है देश की जीडीपी नहीं फर्क समझिए

21 मई 2014 को भारत के शेयर बाजार की मार्केट कैप 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गई. कुछ लोग समझ रहे हैं कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बना गया है. परंतु दोनों में बहुत बड़ा फर्क है. चलिए आसान शब्दों में समझते हैं-

अरे 5 ट्रिलियन तो पार कर गए ये मार्केट कैप है देश की जीडीपी नहीं फर्क समझिए
नई दिल्ली. आपने ये खबर पढ़ ही ली होगी कि भारतीय शेयर मार्केट 5 ट्रिलियन डॉलर के पार जा चुकी है. 21 मई 2024 को शेयर बाजार पहली बार इस ऐतिहासिक आंकड़े से ऊपर उठा. इसका मतलब ये है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्टेड कुल कंपनियों की वैल्यूएशन 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गई है. बीएसई पर कुल 5,309 कंपनियां लिस्टेड हैं. उधर, मोदी सरकार बार-बार यह कहती आई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था (जीडीपी) को 5 ट्रिलियन डॉलर के पार लेकर जाना है. ऐसे में लोग इन दोनों चीजों में कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं हैं. फिलहाल मार्केट कैप ने 5 ट्रिलियन डॉलर को पार किया है, जीडीपी ने नहीं. शेयर बाजार के 5 ट्रिलियन डॉलर का मतलब यह नहीं है कि भारतीय इकॉनमी 5 ट्रिलियन डॉलर की हो गई है. दोनों में क्या भेद है, चलिए जानते हैं. शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां और देश की अर्थव्यवस्था एक चीज नहीं हैं. दोनों में बड़ा फर्क है. जैसा कि आप पहले ही जान चुके हैं कि बीएसई में 5,309 कंपनियां सूचीबद्ध हैं. किसी कंपनी की मार्केट कैप लाखों करोड़ में है तो कुछ कंपनियां मात्र कुछ करोड़ की हैं. कंपनियों को मार्केट कैप के हिसाब से तीन कैटेगरी में बांटा जाता है- लार्ज कैप, मिड कैप, और स्माल कैप. यहां कैप का मतलब कैपिटलाइजेशन से है. सभी कंपनियों की मार्केट कैप को जोड़ने के बाद जो नंबर आएगा, वह शेयर बाजार की कुल वैल्यूएशन माना जाएगा. फिलहाल जो खबर आई है, वह इसी नंबर के बारे में जानकारी देती है. अब बात करते हैं अर्थव्यवस्था की. ये भी पढ़ें – चीन को पछाड़ने का नारायण मूर्ति फॉर्मूला, कहा- लोगों का भला करने से होगा देश का भला वित्त मंत्रालय ने 29 जनवरी 2024 को एक बयान जारी किया था. कहा गया था- उम्मीद है कि अगले 3 सालों में 5 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. यहां एक शब्द का विशेष तौर पर इस्तेमाल किया गया है – GPD. तो अर्थव्यवस्था को समझने के लिए जीडीपी को समझना अनिवार्य है. GDP की सबसे सिंपल परिभाषा जीडीपी की फुल फॉर्म ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (Gross Domestic Product) है. हिन्दी में सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है. सकल घरेलू उत्पाद, एक समय में देश के भीतर उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है. यह किताबी परिभाषा है, जिसे समझना ज़रा मुश्किल हो सकता है, मगर हम इसे थोड़ा और आसान करके समझाने की कोशिश करते हैं. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) के आंकड़ों के मुबातिक, इस समय भारत की जीडीपी 3.94 ट्रिलियन डॉलर है. इसका मतलब ये हुआ कि बीते वित्त वर्ष में भारत के अंदर बनाई गई सभी वस्तुओं और तमाम सर्विसेज (सेवाओं) का कुल मूल्य 3.94 ट्रिलियन डॉलर था. यह डेटा दिखाता है कि किसी देश में कितने मूल्य के सामान और सर्विसेज पैदा करने की शक्ति है. GDP को कैलकुलेट करने का एक फॉर्मूला है- Y = C + I + G + (X − M) – यहां दिया गया अंग्रेजी का हर लेटर कुछ अर्थ लिए हुए है. Y का मतलब है – GDP C का मतलब है – खपत (Consumption). इसमें सेवाओं, गैर-टिकाऊ वस्तुओं और टिकाऊ वस्तुओं पर खर्च शामिल है. I का मतलब है – निवेश (Investment). इसमें आवास और उपकरण पर खर्च शामिल है. G का मतलब है – सरकारी खर्च (Government expenditure). इसमें कर्मचारियों की सैलरी, सड़क, रेलवे, एयरपोर्ट, स्कूल और मिलिट्री पर किया गया खर्च शामिल होता है. X-M का मतलब है – निर्यात और आयात का अंतर. इसे कुल निर्यात (Net Exports) भी कहा जाता है. इसी फॉर्मूला को अगर हिन्दी में लिखा जाए तो कुछ यूं लिखा जाएगा- सकल घरेलू उत्पाद = खपत + निवेश + सरकारी खर्च + शुद्ध निर्यात क्या महत्व है इसका? यह देश की प्रगति का एक महत्वपूर्ण इंडीकेटर है. यह दर्शाता है कि कोई देश कितना उत्पादन कर रहा है और उसके लोग कितना खर्च कर पा रहे हैं. यह देश के भीतर सभी आर्थिक गतिविधियों का पूरा ब्यौरा देता है. इसी ब्यौरे के आधार पर अर्थव्यवस्था की हालत को आंका जाता है और इसी आधार पर सरकारें नागरिकों के लिए नीतियां बनाती हैं. जिस देश की जीपीडी जितनी अधिक होती है, वह देश उतना ही एडवांस और बेहतर माना जाता है. Tags: BSE Sensex, Business news, GDP growth, India economy, India GDP, Indian economy, Share marketFIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 18:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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