मोदी सरकार ने छोटी कंपनियों की परिभाषा बदली अब पेड अप कैपिटल और टर्नओवर से जुड़े नियमों में हुआ बड़ा बदलाव
मोदी सरकार ने छोटी कंपनियों की परिभाषा बदली अब पेड अप कैपिटल और टर्नओवर से जुड़े नियमों में हुआ बड़ा बदलाव
मोदी सरकार (Modi Government) ने देश की छोटी कंपनियों (Small Companies) को कई तरह की रियायत दी है. केंद्र सरकार ने छोटी कंपनियों की पूंजी और टर्नओवर (Capital and Turnover) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs)ने एक अध्यादेश जारी किया है, जिसमें छोटी कंपनियों को नए सिरे से परिभाषित (Redefined) किया गया है.
नई दिल्ली. मोदी सरकार (Modi Government) ने देश की छोटी कंपनियों (Small Companies) को कई तरह की रियायत दी है. केंद्र सरकार ने छोटी कंपनियों की पूंजी और टर्नओवर (Capital and Turnover) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs)ने एक अध्यादेश जारी किया है, जिसमें छोटी कंपनियों को नए सिरे से परिभाषित (Redefined) किया गया है. साथ ही छोटी कंपनियों के पेडअप कैपिटल के दायरे को अधितम दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर अब चार करोड़ रुपये कर दिया गया है. मंत्रालय ने नए नियमों के तहत छोटी कंपनियों के टर्नओवर की सीमा, जो पहले अधिकतम 20 करोड़ रुपये थी उसे बढ़ाकर अब 40 करोड़ रुपये कर दिया है.
बता दें कि केंद्र सरकार देश में इज ऑफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाई है. आपको बता दें कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय देश में कंपनी लॉ लागू करती है. मंत्रालय ने व्यापार सुगमता और जीवन सुगमता के लिए निकट अतीत में कई उपाय किए हैं. इनमें कंपनी अधिनियम, 2013 और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के विभिन्न प्रावधानों को अपराध के दायरे से निकाल दिया है.
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छोटी कंपनियों को मलेंगी अब ये सारी सुविधाएं
इसके साथ ही स्टार्ट-अप में फास्ट-ट्रैक विलय को बढ़ाना, एकल व्यक्ति कंपनियों (ओपीसी) के निगमीकरण को प्रोत्साहन देने का फैसला किया है. कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत “छोटी कंपनियों” की परिभाषा चुकता पूंजी की उनकी सीमा को बढ़ाकर संशोधित की गई थी. इस संदर्भ में चुकता पूंजी की सीमा को “50 लाख रुपये से अधिक नहीं” को “दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया था. इसी तरह कारोबार को “दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बदलकर “20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया था. इस परिभाषा को अब और संशोधित कर दिया गया है, जिसके अनुसार चुकता पूंजी की सीमा को “दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से “चार करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया तथा कारोबार को “20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बदलकर “40 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया है.
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-वित्तीय लेखा-जोखा के अंग के रूप में नकदी प्रवाह का लेखा-जोखा तैयार करने की जरूरत नहीं.
-संक्षिप्त वार्षिक रिटर्न तैयार और फाइल करने का लाभ.
-लेखा परीक्षक के अनिवार्य रोटेशन की जरूरत नहीं.
-छोटी कंपनी के लेखा-परीक्षक के लिये जरूरी नहीं रहा कि वह आंतरिक वित्तीय नियंत्रणों के औचित्य पर रिपोर्ट तथा अपनी रिपोर्ट में वित्तीय नियंत्रण की संचालन क्षमता प्रस्तुत करे.
-बोर्ड की बैठक वर्ष में केवल दो बार की जा सकती है.
-कंपनी के वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सेक्रटेरी हस्ताक्षर कर सकता है या कंपनी सेक्रेटरी के न होने पर कंपनी का निदेशक हस्ताक्षर कर सकता है.
-छोटी कंपनियों के लिये कम जुर्माना.
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Tags: Business at small level, Companies cannot give you very low salary, Company, Modi government, Small businessFIRST PUBLISHED : September 16, 2022, 13:05 IST