खुशखबरी! गलत GSTIN पर आया ITC रिफंड फिर भी कारोबारी को मिलेगा पैसा

GST Update : जीएसटी लागू हुए करीब 7 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी इसमें सुधार जारी है. जीएसटी कानून की इस पेचीदगी का एक मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा, जहां गलत जीएसटीएन पर भेजे आईटीसी रिफंड पर कोर्ट ने कारोबारी के हित में फैसला सुनाया.

खुशखबरी! गलत GSTIN पर आया ITC रिफंड फिर भी कारोबारी को मिलेगा पैसा
नई दिल्‍ली. देश के लाखों कारोबारियों के लिए बड़ी खबर है. अगर आपको गलत जीएसटी नंबर (GSTIN) पर भी इनपुट टैक्‍स क्रेडिट (ITC) का रिफंड आता है तो भी विभाग इसे खारिज नहीं कर सकता और पूरा पैसा देना पड़ेगा. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाकायदा अपना फैसला भी सुना दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर कारोबारी ने अपनी तरफ से सभी नियम और अनुपालन को पूरा किया है तो फिर वह रिफंड पाने का हकदार है. यह मामला है माई ऑटो वर्ल्‍ड (कानपुर) प्राइवेट लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व 5 अन्‍य का. इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुने गए इस केस में बड़ा ही रोचक मामला सामने आया. मामले में कोर्ट ने फैसला दिया कि टैक्‍सपेयर्स को उस मामले में आईटीसी का लाभ दिया जाना चाहिए जहां एक ही राज्‍य में जीएसटी इनवॉयस अलग GSTIN पर जेनरेट हो गया हो. ये भी पढ़ें – ये तो चमत्‍कार है! बेटे के पैदा होने पर लगाए थे 10 लाख, 22 साल का हुआ तो बन गया 7.26 करोड़ का मालिक क्‍या था पूरा मामला हाईकोर्ट में पहुंचे इस मामले में याची को जीएसटी विभाग की ओर से दो जीएसटी नंबर दिए गए थे, जो एक ही पैन पर जारी हुए थे. याची ने जब अपने बिजनेस पर आईटीसी क्‍लेम किया तो सप्‍लायर ने उस जीएसटीएन पर रिफंड जारी कर दिया जिसे बंद किया जा चुका था या जिस पर आईटीसी क्‍लेम नहीं किया जा सकता है. जीएसटी अधिकारियों ने बाद में आईटीसी क्‍लेम को खारिज करके याची से बकाया टैक्‍स की डिमांड कर ली. कोर्ट में दिया नियमों का हवाला याची ने हाईकोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही एक फैसले जिक्र करते हुए जीएसटी के नियमों का हवाला दिया. उन्‍होंने कोर्ट को बताया कि जीएसटी विभाग की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक, अगर सप्‍लायर की ओर से गलत जीएसटीएन पर भी आईटीसी का रिफंड गया है तो भी कारोबारी पूरा पैसा पाने का हकदार है. इस पैसे को विभाग की ओर से भेजी गई डिमांड में समायोजित किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने क्‍या दिया फैसला ताजा मामले में हाईकोर्ट ने साफ कहा कि जीएसटी का सर्कुलर स्‍पष्‍ट रूप से कहता है कि सभी अनुपालन को टैक्‍सपेयर्स को फॉलो करने वाले करदाताओं को दिक्‍कत नहीं होनी चाहिए. अगर कारोबारी को डुप्‍लीकेट जएसटीएन जारी किया गया है तो उसे आईटीसी का पैसा समायोजित करके दिया जाना चाहिए. जीएसटी कानून सिर्फ अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है, न कि परेशानियां पैदा करने के लिए. Tags: Business news, Gst, Gst latest newsFIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 16:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed