आजमगढ़: किसान अब खेती के नए-नए तरीकों को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ाने में जुटे हैं. वे अब उन फसलों की खेती पर अधिक ध्यान दे रहे हैं जिनकी बाजार में डिमांड ज्यादा है. साथ ही, जैविक खेती की तरफ भी किसानों का रुझान बढ़ रहा है. इसी कड़ी में, किसान अब अपने खेतों में सुर्ती की खेती कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. सुर्ती की बाजार में भारी डिमांड है, जिससे फसल तैयार होने के बाद आसानी से बिक जाती है और अच्छी कीमत मिलती है.
सुर्ती की खेती कब होती है
सुर्ती के बीज बोने का सबसे उचित समय सितंबर का महीना माना जाता है. सितंबर से लेकर अक्टूबर के शुरुआती दिनों में सुर्ती के बीजों की बुवाई करना फसल के लिए सबसे बेहतर होता है. सुर्ती की खेती कर रहे रमेश यादव बताते हैं कि बीज बोने के 6 से 7 हफ्ते में पौधे निकलने लगते हैं. इसके बाद इन पौधों की खेत में रोपाई की जाती है. बुवाई के दौरान बीज की खपत भी बहुत मामूली होती है—एक बीघा के खेत में सुर्ती बोने के लिए महज 50 से 60 ग्राम बीज की जरूरत होती है.
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5-6 महीने में हो जाती है तैयार
इसके अलावा, सुर्ती की खेती के लिए मिट्टी का भुरभुरा और लाल होना जरूरी है. खेत में जल भराव की समस्या नहीं होनी चाहिए, क्योंकि जल भराव की स्थिति में फसल सड़ने लगती है. पौधों में पत्ते आने के बाद इनकी शाखाओं को तोड़ना पड़ता है. 5 से 6 महीने में फसल पूरी तरह से कटने के लिए तैयार हो जाती है.
20 हजार की आती है लागत
सुर्ती की खेती कर रहे किसानों के अनुसार, इस फसल को एक बीघे खेत में बुवाई करने के लिए लगभग ₹20,000 की लागत आती है. यदि फसल की पैदावार अच्छी हुई, तो मार्केट में ₹80,000 से ₹90,000 प्रति बीघा की दर से आसानी से बिक्री हो जाती है. इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इस फसल को बेचने के लिए मंडी या बाजार जाने की जरूरत नहीं होती, बल्कि व्यापारी खुद जगह पर आकर इसकी खरीदी करते हैं. इस प्रकार, किसान सुर्ती की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 17:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed