किसानों के लिए वरदान है यह खेती बढ़ जाएगी उर्वरक क्षमता बंपर होगी पैदावार

ढैंचा एक दलहनी फसल है. ढैंचे की खेती हरी खाद और बीज के लिए की जाती है. ढैंचा के हरे पौधे का इस्तेमाल हरी खाद के रूप में किया जाता है. ढैंचा को मुख्य रूप से किसानों द्वारा हरी खाद के रूप में इस्तेमाल करने के लिए खेत में उगाया जाता है.

किसानों के लिए वरदान है यह खेती बढ़ जाएगी उर्वरक क्षमता बंपर होगी पैदावार
अंजली शर्मा/ कन्नौज: कन्नौज में किसान अगर अपनी मिट्टी की सेहत को अच्छा रखना चाहते हैं, तो वह ढैंचा की खेती करके अपने खेतों की मिट्टी को सेहतमंद रख सकते हैं, साथ ही मिट्टी के सेहतमंद होते ही किसानों की फसलें भी अच्छी होंगी और किसानों की आए बढ़ेगी. ढैंचा से हरी खाद बनने पर खरपतवार की संभावना नहीं रहती है. इसकी खेती किसानों का खर्च घटाती है और मुनाफा बढ़ाती है. क्या होता है ढैंचा,कैसे मिलता है लाभ ढैंचा एक दलहनी फसल है. ढैंचे की खेती हरी खाद और बीज के लिए की जाती है. ढैंचा के हरे पौधे का इस्तेमाल हरी खाद के रूप में किया जाता है. ढैंचा को मुख्य रूप से किसानों द्वारा हरी खाद के रूप में इस्तेमाल करने के लिए खेत में उगाया जाता है. ढैंचा एक दलहनी फसल होने के कारण भूमि के लिए बहुत ही उपजाऊवर्धक मानी जाती है. ढैंचा के हरे पौधों का इस्तेमाल हरी खाद को तैयार करने के लिए किया जाता है. किसान भाई खेत की उवर्रक क्षमता को बढ़ाने के लिए हरी खाद का इस्तेमाल करते हैं. भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ाती है यह खेती  यह भूमि की उवर्रकता को बढ़ाने में काफी प्रभावशाली है. इसकी खेती करने से भूमि की उवर्रक क्षमता बढ़ती है, साथ ही पौधे मिट्टी में नाइट्रोजन की पूर्ती करते हैं. इसका पौधा 10 से 15 फ़ीट की ऊंचाई वाला होता है तथा पौधे के विकास के लिए किसी खास तरह की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है. कैसे करें प्रयोग ढैंचा की हरी खाद से 22 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़  मिलती है. इससे भूमि की संरचना सुधरती है. हरी खाद के बाद लगाई जाने वाली फसलों में नाइट्रोजन वाले उर्वरकों की एक तिहाई मात्रा तक कम कर सकते हैं. ढैंचा का बीज हरी खाद के लिए प्रतिवर्ष लगभग 80 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाता है. क्या बोले अधिकारी कृषि वैज्ञानिक डॉ अमर सिंह बताते हैं कि आज किसान जल्दी और ज्यादा मुनाफे की लालच में अपने खेतों की मिट्टी की सेहत बिगाड़ रहे हैं. जिनके पीछे सबसे बड़ा कारण रासायनिक तत्वों का ज्यादा प्रयोग है. जिसमें खाद प्रमुख है. ऐसे में किसान अगर ढैंचा की खेती करते हैं, तो उससे बनने वाली हरी खाद किसानों के खेतों के लिए अमृत के समान रहती है. इसके प्रयोग से मिट्टी तो सेहतमंद होती है. साथ ही फसल में भी कई गुना की बढ़ोतरी होती है. ऐसे में किसान ढैंचा की खेती करके अपनी लागत को कम और अपनी पैदावार को बढ़ा सकते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 5, 2024, 08:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed