डॉक्टर बनने के लिए बचपन से ही परिवार से रहे दूर दिलचस्प है डॉ सुमित की कहानी
डॉक्टर बनने के लिए बचपन से ही परिवार से रहे दूर दिलचस्प है डॉ सुमित की कहानी
12वीं तक डॉक्टर सुमित ने होस्टल में ही रहकर पढ़ाई की और इसके बाद सीपीएमटी का पेपर दिया, जिसमें उनका चयन हो गया और 1998 से लेकर आज 2024 तक डॉ. सुमित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ: बचपन में ज्यादातर बच्चे यह तय नहीं कर पाते हैं कि वो आगे चलकर क्या बनेंगे. ज्यादातर छात्र-छात्राएं 10वीं में आने के बाद फैसला कर पाते हैं कि उन्हें क्या बनना है. लेकिन किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित ने बचपन में ही डॉक्टर बनना तय कर लिया था. परिवार में दूर-दूर तक कोई भी मेडिकल के क्षेत्र से नहीं था. सभी बिजनेसमैन हैं, लेकिन पिता चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर बने.
डॉक्टर सुमित हरदोई के एक छोटी से कस्बे में रहते थे. वहां दूर-दूर तक कोई सुविधा नहीं थी. अच्छा स्कूल भी नहीं था, इसलिए उनके पिता ने अपने बेटे को डॉक्टर बनने के लिए पांचवी कक्षा से ही कानपुर के एक अच्छे स्कूल में भेज दिया. जहां पर 12वीं तक डॉक्टर सुमित ने छात्रावास में ही रहकर पढ़ाई की और इसके बाद सीपीएमटी का पेपर दिया, जिसमें उनका चयन हो गया और 1998 से लेकर आज 2024 तक डॉ. सुमित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
10 से 12 साल का वक्त
डॉ. सुमित ने बताया कि उन्होंने अपना एमबीबीएस और डीएम गैस्ट्रो दोनों ही किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से किया है. उन्होंने बताया कि डॉक्टर बनने में कम से कम 10 से 12 साल का वक्त लगता है. ऐसे में अगर आपके अंदर जज़्बा नहीं है तो आप डॉक्टर नहीं बन सकते. उन्होंने बताया कि क्योंकि वह कानपुर में रहकर पढ़ाई कर रहे थे तो बगल में ही आईआईटी कानपुर भी था, आईआईटी कानपुर से वह काफी प्रभावित होते थे. एक बार तो मन किया कि आईआईटी कानपुर में ही दाखिला लेकर पढ़ाई शुरू कर दें लेकिन फिर उन्होंने अपने बचपन के सपने को ही आगे जारी रखा और डॉक्टर बने.
चुनौतियों से भरा हुआ है गैस्ट्रोलॉजी विभाग
डॉ. सुमित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डिपार्मेंट ऑफ मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं और एडिशनल प्रोफेसर हैं. डॉक्टर सुमित ने बताया कि गैस्ट्रोलॉजी विभाग में पेट से जुड़ी हर बीमारी का इलाज किया जाता है. इसमें खून की उल्टी, लीवर की खराबी, पेट की बीमारी, पेट में पानी भरना और पेट से जुड़ा हुआ कैंसर तक का ट्रीटमेंट होता है. कई बार मरीज बहुत गंभीर हालत में आते हैं लेकिन यही चुनौती होती है, क्योंकि गंभीर हालत में आए मरीजों को भी यहां पर सही किया गया है और वे स्वस्थ होकर लौटे हैं.
Tags: KGMU Student, Local18, Medical18FIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 14:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed