खरीफ की फसल को रोग से बचाने के लिए किसान अपनाएं ये उपाय बंपर होगी पैदावार
खरीफ की फसल को रोग से बचाने के लिए किसान अपनाएं ये उपाय बंपर होगी पैदावार
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि बीज शोधन की विधि में बीज शोधन रसायन/बायो पेस्टीसाइड प्रयुक्त मात्रा में प्रति किलो बीज में अच्छी तरह से मिलाएं. बीज उपचारित करने के बाद उसको छाया में रख दें.
अंजू प्रजापति/रामपुर :जनपद में खरीफ की मुख्य फसलें जैसे धान, मक्का, उड़द, मूंग, बाजरा एवं ज्वार हैं. इन फसलों में मुख्यतः तीन प्रकार के कीट/रोग पाए जाते हैं, जो वायुजनक, भूमिजनक एवं बीज जनक होते हैं, जिसमें से बीज जनक एवं भूमिजनक रोग से फसलों को अधिक मात्रा में नुकसान पहुंचता है. इन रोगों से बचाव में किसानों की लागत बढ़ जाती है. इससे बचाव के लिए किसान शुरुआत से ही बीज को शोधित करें. ताकि भूमिजनक एवं बीज जनक कीटरोग से बचा जा सके. जिससे उनकी लागत में कमी आएगी. बीज शोधन के लिए रसायनों पर कृषि विभाग द्वारा 75 प्रतिशत अनुदान देता है.
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि बीज शोधन की विधि में बीज शोधन रसायन/बायो पेस्टीसाइड प्रयुक्त मात्रा में प्रति किलो बीज में अच्छी तरह से मिलाएं. बीज उपचारित करने के बाद उसको छाया में रख दें. यदि बीजशोधन जैविक रसायन से करना हो, तो गुड का एक लीटर का घोल बनाएं. उसमें प्रयुक्त मात्रा में बायो पेस्टीसाइड को अच्छी तरह से मिलाएं और उसके बाद इस घोल को बीज में अच्छी तरह से मिलाकर सुखा लें.
ऐसे करें बीज शोधन
धान की फसल में झोंका, पत्ती धब्बा रोग होने पर बीजशोधक रसायन थीरम, ट्राइकोडर्मा कार्बन्डाजिम 2.5 ग्राम, 4 ग्राम 4 ग्राम, शीथ ब्लाइड मिथ्या कण्ठुआ रोग के लिए कार्बन्डाजिम 02 ग्राम, मक्का की फसल में झुलसा, तुलासिता जडसडन रोग के लिए थीरम 2.5 ग्राम, कार्बन्डाजिम 2 ग्राम एवं ट्राइकोडर्मा 20 ग्राम, उड़द/मूंग की फसल में पत्ती धब्बा, जडसडन रोग के लिए थीरम कार्बन्डाजिम (2ः1) 3 ग्राम, टाइकोडर्मा 4 ग्राम एवं बाजरा/ज्वार की फसल में कण्ठुआ, तुलासिता रोग के लिए थीरम 2.5 ग्राम, कार्बन्डाजिम 2 ग्राम का प्रयोग कर सकते हैं.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : May 31, 2024, 11:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed