आलू के बाद किसान लगा सकते हैं मक्का ये बीज हैं फायदेमंद जानें बुवाई का तरीका

Method of Sowing Makka: बारिश शुरू होने पर मक्का की बुवाई करनी चाहिए. सिंचाई के साधन की उपलब्धता होने पर 10 से 15 दिन पूर्व बुवाई की जा सकती है. इससे पैदावार में बढ़ोतरी होती है. बीज की बुवाई मेड़ के किनारे व ऊपर 3 से 5 सेमी की गहराई पर की जानी चाहिए. बुवाई के एक माह बाद मिट्‌टी चढ़ाने का काम किया जाना चाहिए. बुवाई के समय खेत में पौधों की संख्या 55 से 80 हजार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से रखनी चाहिए.

आलू के बाद किसान लगा सकते हैं मक्का ये बीज हैं फायदेमंद जानें बुवाई का तरीका
कन्नौज /अंजली शर्मा: कन्नौज में किसान अपनी पारंपरिक आलू की खेती के बाद सबसे बड़े पैमाने पर मक्का की खेती करता है. मक्का की खेती साल में दो बार होती है, एक जायद और दूसरा खरीफ के मौसम में. ऐसे में किसान कौन सी मक्का करके अपनी आमदनी को और बढ़ा सकता है. इसके बारे में जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि सरकारी केंद्रों पर आने वाली कई वैरायटी के मक्का किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है. इन मक्का पर किसानों को अनुदान भी मिलता है, जिससे किसानों को दोगुना फायदा होता है. अच्छी क्वालिटी की मक्का के साथ-साथ अनुदान का फायदा किसानों की आय को दोगुना कर देता है. कन्नौज में करीब 52 हजार हेक्टेयर में खरीफ की मक्का की पैदावार किसान करते हैं. धान की फसल की अपेक्षा यहां किसान मक्का की फसल पर ज्यादा आश्रित हैं. मक्का की पैदावार भी यहां पर बहुत अच्छी होती है. ऐसे में जायद के मौसम के बाद खरीफ के मौसम में करीब 52 हजार हेक्टेयर एरिया में यहां किसान मक्का की खेती करता है. मक्का की खेती में पानी की ज्यादा जरूरत होती है. ऐसे में अच्छी क्वालिटी का बीज किसानों के लिए बहुत जरूरी रहता है. मक्का की बुवाई का तरीका बारिश शुरू होने पर मक्का की बुवाई करनी चाहिए. सिंचाई के साधन की उपलब्धता होने पर 10 से 15 दिन पूर्व बुवाई की जा सकती है. इससे पैदावार में बढ़ोतरी होती है. बीज की बुवाई मेड़ के किनारे व ऊपर 3 से 5 सेमी की गहराई पर की जानी चाहिए. बुवाई के एक माह बाद मिट्‌टी चढ़ाने का काम किया जाना चाहिए. बुवाई के समय खेत में पौधों की संख्या 55 से 80 हजार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से रखनी चाहिए. कितनी सेंटीमीटर की रखें दूरी? मक्का की बुवाई के समय मक्का की किस्म के अनुसार कतार व पौधों की दूरी रखनी चाहिए जो इस प्रकार से हैं. मक्का की जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए. मध्यम अथवा देरी से पकने वाली किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 75 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 25 सेमी रखनी चाहिए. अगर मक्का की खेती हरे चारे की फसल के रूप में की जा रही है, तो चारे वाली फसलों के लिए कतार से कतार की दूरी 40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 25 सेमी रखनी चाहिए. मक्का के ये बीज हैं फायदेमंद सरकारी केंद्र पर कावेरी, एडवेंटा, त्रिमूर्ति, कंपनियों के बीज आते हैं. वहीं, किसान पूसा जवाहर हाइब्रिड मक्का-1, (संकर)पूसा एच एम 9 इम्प्रूव्ड, (संकर)पूसा एच एम 8 इम्प्रूव्ड, (संकर)पूसा एच एम 4 इम्प्रूव्ड, (संकर)पूसा सुपर स्वीट कॉर्न -1, (संकर)पूसा विवेक हाइब्रिड 27 इम्प्रूव्ड (संकर) के बीज का प्रयोग करते है तो उनको ज्यादा लाभ होगा. किसको मिलेगा अनुदान का लाभ सरकारी क्रय केंद्र पर जो किसान पंजीकृत हैं और जो किसान 2 हेक्टेयर तक की खेती करते हैं, उनको मक्का के सभी बीजों पर 50% तक का अनुदान मिलता है. इससे किसानों को कई तरह का फायदा भी होता है. अच्छी क्वालिटी के बीज और मिलने वाला अनुदान किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होता है. क्या बोले अधिकारी कृषि अधिकारी आवेश कुमार सिंह बताते हैं कि कन्नौज में किसान आलू की खेती के बाद सबसे बड़े पैमाने पर मक्का की खेती करता है. साल में मक्का की खेती दो बार होती है. जायद के मौसम में करीब 55 हजार हेक्टेयर, तो वहीं खरीफ के मौसम में 52 हजार हेक्टेयर के करीब मक्का की खेती किसान करते हैं. ऐसे में किसानों को सरकार की तरफ से अनुदान में मिलता है. दो हेक्टेयर वाले किसानों को 50% तक का अनुदान दिया जाता है. वहीं सरकारी केंद्रों पर आने वाले अच्छी क्वालिटी के बीज भी उनको उपलब्ध कराए जाते हैं. इस पर अच्छे से खेती करके किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं. Tags: Agriculture, Indian Farmers, Kannauj news, Kisan, Local18FIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 10:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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