RG Kar Case: क्या था कलकत्ता HC का फैसला जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया
RG Kar Case: क्या था कलकत्ता HC का फैसला जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया
RG Kar Rape Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को कलकत्ता हाईकोर्ट के आठ अक्टूबर के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसके तहत पुलिस हिरासत में एक महिला को कथित रूप से प्रताड़ित करने के मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने का आदेश दिया गया था.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सीबीआई को रेगुलर रूप से जांच अपने हाथ में लेने का आदेश देने से न केवल जांच एजेंसी पर ‘बिना वजह बोझ’ पड़ता है, बल्कि राज्य पुलिस के अधिकारियों को भी ‘मनोबल गिराने वाले बहुत गंभीर एवं दूरगामी प्रभाव’ का सामना करना पड़ता है.
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार एवं हत्या की घटना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार महिला को पुलिस हिरासत में कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने संबंधी मामले की एसआईटी जांच का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की.
पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के छह नवंबर के आदेश में संशोधन किया, जिसके तहत मामले की सीबीआई जांच का आदेश देने के एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा था. उसने कहा, “हमारे लिए उन कारणों पर टिप्पणी करना जरूरी नहीं है, सिवाय यह कहने के कि मामलों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपने से न केवल देश की प्रमुख जांच एजेंसी पर अकल्पनीय बोझ पड़ता है, बल्कि राज्य पुलिस के अधिकारियों को भी मनोबल गिराने वाले बहुत गंभीर एवं दूरगामी प्रभाव का सामना करना पड़ता है.”
पीठ ने इस आधार पर आगे बढ़ना उचित नहीं समझा कि पश्चिम बंगाल कैडर को आवंटित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच करने और सच्चाई का पता लगाने में असमर्थ या अक्षम थे. शीर्ष अदालत ने तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया, जिसमें 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी आकाश मघरिया (डीआईजी प्रेसीडेंसी रेंज), स्वाति भंगालिया (एसपी हावड़ा ग्रामीण) और सुजाता कुमारी वीणापानी (हावड़ा की डीएसपी यातायात) शामिल हैं.
पीठ ने आदेश दिया, “एसआईटी जांच तत्काल अपने हाथ में लेगी… जांच के सभी रिकॉर्ड आज ही एसआईटी को सौंप दिए जाएंगे और एसआईटी बिना किसी देरी के जांच शुरू कर देगी. अगर आवश्यक हुआ तो एसआईटी कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों को भी शामिल करने के लिए स्वतंत्र होगी.” सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से एक विशेष पीठ गठित करने का आग्रह किया, जिसके समक्ष एसआईटी अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट पेश करेगी और आगे की जांच के लिए अनुमति मांगेगी.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिकवक्ता नरेंद्र हुड्डा ने अपने मुवक्किलों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक लड़की के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत कड़े प्रावधान लागू किए हैं. पीठ ने पीड़ितों को एसआईटी से संपर्क करने का निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके जीवन और अधिकारों को कोई नुकसान न हो. उसने जांच दल से बिना किसी देरी के आवश्यक कदम उठाने को कहा.
पीठ ने कहा, “हमें इन युवा आईपीएस अधिकारियों पर बहुत भरोसा है… संवैधानिक लोकाचार के संदर्भ में इन अधिकारियों पर लोगों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं पर खरा उतरने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है. इसलिए हमें उम्मीद है कि वे इन बातों को समझेंगे.” हुड्डा ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अधिकारी “मामले में खरे उतरेंगे.”
Tags: Calcutta high court, CBI Probe, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 25, 2024, 23:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed