चीन में बढ़ी रिटायरमेंट उम्र भारत में भी है प्लान पर इससे क्या होगा हासिल

Retirement Age: यूएस, यूके, जर्मनी में 66, नॉर्वे में 67 तो सऊदी अरब में रिटायरमेंट की उम्र 50 साल है.

चीन में बढ़ी रिटायरमेंट उम्र भारत में भी है प्लान पर इससे क्या होगा हासिल
नई दिल्ली. सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को भारत में सरकार बड़ा बोझ मानती रही है और इसे कम करने के लिए समय-समय पर घोषणाएँ करती रहती है. करीब 20 साल पहले सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली पूरी तरह सरकारी पेंशन (जिसे अब ओल्ड पेंशन स्कीम या ओपीएस कहा जाता है) बंद कर दी गई. लगातार विरोध, दबाव और राजनीतिक मजबूरी के चलते हाल ही में यूपीएस स्कीम की घोषणा हुई है. लेकिन बड़ी संख्या में लोगों की सामाजिक सुरक्षा की जरूरत कैसे पूरी हो, यह सवाल अभी भी बना ही हुआ है. यह सवाल चीन में भी है. वहाँ एक और मुश्किल है कि जनसंख्या कम हो रही है और बुजुर्ग बढ़ रहे हैं. इन सबके मद्देनजर चीन ने हाल ही में एक फैसला लिया है. इसके तहत चीन एक जनवरी, 2025 से अपने यहाँ काम करने वालों के लिए रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का विकल्प देने जा रहा है. यह योजना स्वैच्छिक होगी और पूरी तरह 2040 तक लागू हो सकेगी. योजना के मुताबिक चीन में पुरुष 60 की बजाय 63 साल में रिटायर होंगे. महिलाओं के लिए 55 से 58 (ऑफिस वाला काम करने वाली) और 50 से 55 वर्ष (शारीरिक मेहनत वाला काम करने वाली) किए जाने का प्रावधान सोचा गया है. चीन इस योजना की शुरुआत अपनी अर्थव्यवस्था की एक मजबूरी से निपटने के लिए कर रहा है. मुख्य रूप से यह मजबूरी है पेंशन का बोझ घटाने की. चीन सरकार की इस योजना के बहाने हम वहाँ की स्थिति से आपको अवगत करा रहे हैं. कमोवेश भारत में भी नौकरी और पेंशन व्यवस्था या लोगों की सामाजिक सुरक्षा का हाल वैसा ही है. इसलिए चीन के बहाने आप भारत की स्थिति, चिंता व चुनौती भी समझ सकते हैं. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन ने विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता में पीछे रखा हुआ है. चीन में सरकार के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. मजदूर तबके के लोग विशेष रूप से इसका विरोध कर रहे हैं. इसकी वजह यह है कि इनकी हालत पहले से खराब है. विरोध करने वालों का कहना है कि पेंशन और देर से मिलेगी, लेकिन रिटायरमेंट की उम्र तक काम रहेगा, इसकी गारंटी नहीं है. बड़ी संख्या में इन्हें रिटायरमेंट की उम्र से 10-15 साल पहले से ऐसा काम मिलना बंद हो जाता है, जिसमें सामाजिक सुरक्षा अंशदान दिया जा सके. कई को इस उम्र के बाद भी काम करना पड़ता है. शहरी कामगारों और प्रवासी मजदूरों को रिटायरमेंट के बाद के लाभ देने में भेदभाव भी होता है. इन्हें मिलने वाली पेंशन में करीब दोगुने का अंतर होता है. इस मामले में भारत का हाल भी यही है. सरकार के फैसले के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि 1960 में चीन में लोग औसतन 60 साल जीते थे. 2021 में यह आंकड़ा 78 पर पहुँच गया था. ऐसे में देश में रिटायर्ड लोगों की फौज बढ़ती जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक चीन में इस समय 60 साल से ज्यादा के करीब 30 करोड़ लोग (कुल आबादी का 20 प्रतिशत) हैं. 2035 तक इनकी संख्या 40 करोड़ हो जाने की उम्मीद है. सरकारी संस्था चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज का अनुमान है कि अगर सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो 2035 तक इन्हें पेंशन देने के लिए पैसे नहीं होंगे. कई प्रांत अभी से यह दिक्कत झेल रहे हैं. सरकार ने पहले ही बुजुर्गों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी कटौती कर दी है. इसके विरोध में पिछले साल सरकार को प्रदर्शन भी झेलना पड़ा था. सरकार का मानना है कि रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से बुजुर्गों को भी देश के लिए उत्पादक बनाया जा सकेगा. साथ ही इससे पेंशन का बोझ भी कुछ हद तक कम होगा. ज्यादातर देशों में 60 पार में ही लोगों को रिटायर किया जाता है. जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में पेंशन पाने की उम्र क्रमश: 65 और 63 साल ही है. अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों में 66 साल है. फ्रांस में रिटायरमेंट उम्र 62 से 64 साल की गई तो पिछले साल जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो गया था. फिर भी ज्यादातर देशों में इसे बढ़ाने का ही ट्रेंड है. सऊदी अरब इकलौता देश है जहां 50 से पहले ही लोगों को रिटायरमेंट बेनिफ़िट मिलने लग जाता है. विश्व आर्थिक मंच के जुटाए 2020 के आंकड़ों के मुताबिक रिटायर होने की उम्र किस देश में कितनी रखी गई है, वह इस ग्राफ में देखा जा सकता है. चीन का हाल यह है कि एक ओर जहां देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर बेरोजगारी भी बढ़ रही है. जुलाई में 16 से 24 साल के 17.1 फीसदी युवा बेरोजगार थे. 25 से 29 साल के युवाओं की बेरोजगारी दर 6.5 थी. हाल यह है कि 35 साल के बाद युवाओं को नौकरी मिलनी भी मुश्किल हो जाती है. टेक सेक्टर में यह समस्या कुछ ज्यादा ही है. ऐसे लोग अगर 15 साल तक सोशल सेक्योरिटी स्कीम का हिस्सा नहीं बन पाए तो पेंशन पाने से वंचित रह जाते हैं. चीन में घटती आबादी भी एक बड़ी समस्या का संकेत है. 2023 में चीन में 1949 के बाद सबसे कम जन्म दर रही. इस तथ्य के बावजूद कि 2016 से ही चीन सरकार अब एक बच्चे की नीति से पीछे हट चुकी है और युवाओं को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है. चीन का पेंशन सिस्टम किस तरह काम करता है, यह भी समझ लीजिए. वहाँ पेंशन की व्यवस्था तीन तरह से चलती है. एक तो बेसिक पेंशन स्कीम जो सरकार चलाती है. दूसरा, कंपनियों की ओर से कर्मचारियों के लिए चलाये जाने वाले स्वैच्छिक पेंशन प्लान और तीसरा निजी क्षेत्र की पेंशन स्कीम जो कर्मचारी अपनी मर्जी से ले सकते हैं. इनमें से एक भी व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. कॉरपोरेट व प्राइवेट स्कीम में कई खामियां हैं और सरकारी स्कीम पर पैसे का बोझ है. भारत में भी सरकार के खर्च का एक बड़ा हिस्सा पेंशन पर जाता रहा है, जिसे लगातार कम करने की कोशिश की जाती रही है. यहाँ भी केंद्र सरकार के कर्मचारियाओं की रिटायरमेंट उम्र 62 साल किए जाने पर चर्चा हो रही है. फैसले का इंतजार है. लेकिन, एक मामले में भारत की समस्या थोड़ी अलग है. चीन में जहां बुजुर्ग बढ़ रहे हैं, हमारे यहाँ युवा बढ़ रहे हैं. मतलब, काम करने वालों की कमी नहीं है. लेकिन, काम की कमी है. बीते दो दशकों की बात करें तो भारत की अर्थव्यवस्था चलाने वाले सेक्टर्स में सर्विस सेक्टर सबसे आगे है. लेकिन सर्विस सेक्टर की तरक्की रुकी पड़ी है. 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में जिस रफ्तार से काम चाहने वालों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए गैर कृषि क्षेत्र में हर साल 78.5 करोड़ रोजगार चाहिए. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़े बताते हैं कि जून 2024 में बेरोजगारी दर सात से बढ़ कर नौ प्रतिशत पर पहुँच गई थी. ऐसे में रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाना समस्या का बहुत तात्कालिक और मामूली समाधान हो सकता है. स्थायी उपाय रोजगार के साधन बढ़ाना ही समाधान हो सकता है. अगर यह संभव हो जाए कि लोग जब तक काम करना चाहें तब तक उन्हें काम मिले तो पेंशन के खर्च की चिंता करने कि शायद जरूरत ही न रह जाए. Tags: New Pension Scheme, Pension scheme, Retirement fund, Retirement savingsFIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 15:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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