अलर्ट: पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक और घातक बीमारी की दस्तक नए शोध में हुआ खुलासा
अलर्ट: पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक और घातक बीमारी की दस्तक नए शोध में हुआ खुलासा
Leptospirosis Disease: मेजर जनरल डॉ वाजपेयी ने बताया कि विश्लेषण में पाया गया कि लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी, 20 से 60 वर्ष के उम्र के लोगों में हो रही है. इससे बिना ठंड के उच्च तापमान का बुखार हो रहा है. मरीज के पूरे शरीर में दर्द रहता है. चौथे-पांचवे दिन कुछ मरीजों में हल्के पीलिया व कुछ में निमोनिया के लक्षण मिलने लगते हैं. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इस बीमारी में मोनोसेफ, मैरोपैनम व थर्ड-फोर्थ जनरेशन की एंटीबायोटिक दवाओं का उतना असर नहीं होता, जितना सामान्य निमोनिया के मामलों में दिखता है.
हाइलाइट्सपूर्वी उत्तर प्रदेश में एक और घातक बीमारी फैलीविशेषज्ञों का दावा जल्द पा लिया जाएगा काबू
गोरखपुर: प्रदेश सरकार के प्रयासों से पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) को काबू में कर लिया गया है. यह अब पूरी तरह से कंट्रोल में है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से क्षेत्र में एक नए प्रकार की घातक बीमारी का असर देखने को मिल रहा है. इसे लेकर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय और इससे सम्बंधित चिकित्सालयों, रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) द्वारा रिसर्च किया गया. रिसर्च से यह निष्कर्ष निकला है, कि यह घातक बुखार वास्तव में लेप्टोस्पाइरोसिस नामक बीमारी है. जिसके मुख्य कारण चूहे हैं. बीमारी को लेकर रिसर्च, बीमारी के खतरनाक होने से पहले ही शुरू हो गया, इसलिए विशेषज्ञों को विश्वास है कि समय रहते ही इस पर भी काबू पा लिया जाएगा.
बुखार के इस नए स्वरूप पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय द्वारा किए गए रिसर्च/केस स्टडी को लेकर मंथन किया गया. आज यानी शुक्रवार को विभिन्न संस्थाओं के विशेषज्ञों के मध्य कांफ्रेंस के जरिये रिसर्च परिणाम पर विशेष मंथन किया गया. केस स्टडी का प्रजेंटेशन महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने दिया. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय से सम्बंधित गुरु गोरखनाथ चिकित्सालय में इस वर्ष आरएमआरसी के सहयोग से बुखार का कारण जानने का प्रयास किया गया.
शोध में 50 फीसद नमूनों में लेप्टोस्पाइरोसिस की हुई पुष्टि
शोध में 50 फीसद नमूनों में लेप्टोस्पाइरोसिस की पुष्टि हुई. अस्पताल में भर्ती मरीजों पर पांच प्रकार की बीमारियों स्क्रब टायफस, लेप्टोस्पायरोसिस, डेंगू, चिकनगुनिया व एंटरोवायरस पर जांच शुरू की गई थी. 20 जून से 6 अगस्त तक कुल 88 ब्लड सैंपल की जांच की गई. इनमें से 50 फीसद यानी 44 नमूने लेप्टोस्पाइरोसिस पॉजिटिव पाए गए. जबकि 1 नमूने में स्क्रब टायफस, 9 में डेंगू आईजीएम, 3 में चिकनगुनिया व 3 में एंटरोवायरस पॉजिटिव होने का पता चला.
20 से 60 वर्ष के व्यक्तियों में हो रही यह बीमारी
मेजर जनरल डॉ वाजपेयी ने बताया कि विश्लेषण में पाया गया कि लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी, 20 से 60 वर्ष के उम्र के लोगों में हो रही है. इससे बिना ठंड के उच्च तापमान का बुखार हो रहा है. मरीज के पूरे शरीर में दर्द रहता है. चौथे-पांचवे दिन कुछ मरीजों में हल्के पीलिया व कुछ में निमोनिया के लक्षण मिलने लगते हैं. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इस बीमारी में मोनोसेफ, मैरोपैनम व थर्ड-फोर्थ जनरेशन की एंटीबायोटिक दवाओं का उतना असर नहीं होता जितना सामान्य निमोनिया के मामलों में दिखता है.
चूहों के पेशाब से हो रही लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी
डॉ वाजपेयी ने बताया कि लेप्टोस्पाइरोसिस अधिकतर चूहों के शरीर में रहता है और उसके पेशाब से यह वातावरण में आता है. त्वचा के जरिये यह मनुष्य के शरीर में पहुंचकर उसे बीमार कर सकता है. लेप्टोस्पाइरोसिस के इलाज में टेट्रासाइक्लिन, क्लोरोमाईसेटिन, डॉक्सीसाईक्लिन आदि एंटीबायोटिक दवाएं कारगर हैं. लेकिन वर्तमान में इनका उपयोग डॉक्टरों द्वारा अपेक्षाकृत कम किया जा रहा है. दवाओं की उपयोगिता समझने के साथ इस बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए चूहों पर नियंत्रण पाना बेहद अहम होगा.
अन्य संस्थानों में शोध के लिए सहयोग करेगा महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय
मेजर जनरल डॉ वाजपेयी ने कहा कि फिलहाल यह रिसर्च सिर्फ गुरु गोरखनाथ चिकित्सालय में हो रहा है. यदि पूर्वी उत्तर प्रदेश के चार-पांच अन्य संस्थानों में भी इसी तरह का शोध हो तो बीमारी का विश्लेषण और आसान हो जाएगा. शोध में सहयोग के लिए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय तैयार है. उन्होंने यह भी बताया कि यह पता लगाने की भी कोशिश हो रही है कि आदमियों के पेशाब में लेप्टोस्पाइरोसिस के कीटाणु उत्सर्जित होते हैं या नहीं. प्रजेंटेशन पर आयोजित कांफ्रेंस में एम्स, केजीएमयू, आरएमआरसी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज आदि के विशेषज्ञों ने माना कि लेप्टोस्पाइरोसिस पर विश्लेषण प्राथमिक तौर पर बिलकुल ठीक है. यह बीमारी महाराष्ट्र और गुजरात में पहले से है. ऐसे में डाटा का को-रिलेटिव अध्ययन भी किया जाएगा.
भयावह नहीं होने पाएगी लेप्टोस्पाइरोसिस की बीमारी
कांफ्रेंस का संयोजन करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव ने कहा कि समय से शोध शुरू होने से लेप्टोस्पाइरोसिस की बीमारी, इंसेफेलाइटिस की तरह भयावह नहीं हो पाएगी. इंसेफेलाइटिस के भयावह होने का एक बड़ा कारण समयानुकूल शोध का अभाव रहा. डॉ राव ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की बीमारियों पर शोध व निदान के लिए अपने कुलाधिपति, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने एम्स, केजीएमयू, आरएमआरसी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं के साथ एमओयू किया है. उसके अनुरूप कार्य शुरू भी कर दिए गए हैं.
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Tags: Chief Minister Yogi Adityanath, CM Yogi Aditya Nath, Gorakhpur news, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 12, 2022, 16:51 IST