33% आरक्षण का कानून फिर भी क्‍यों इस तादाद में संसद में नहीं दिखेंगी महिलाएं

Women representation in parliament: संसद में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव हुए हैं लेकिन फिर भी पिछली बार के मुकाबले इस बार कम महिलाएं ससंद पहुंच रही हैं. ससंद तक की लड़ाई अभी लंबी है क्योंकि ज्यादा...

33% आरक्षण का कानून फिर भी क्‍यों इस तादाद में संसद में नहीं दिखेंगी महिलाएं
Parliament Women Reservation Act: संसद में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव हुए हैं लेकिन फिर भी पिछली बार के मुकाबले इस बार कम महिलाएं ससंद पहुंचेंगी. महिला आरक्षण बिल 2023 में भले ही पास हो गया लेकिन महिलाओं के लिए ससंद तक की लड़ाई अभी लंबी है. इस बार संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2019 लोकसभा के मुकाबले भी कम है. इसकी सीधी वजह यह है कि 2024 लोकसभा चुनावों में कम महिला उम्मीदवार जीती हैं. 2019 में हुए लोकसभा चुनावों के मुकाबले इस साल केवल 30 महिलाएं ही लोकसभा पहुंच रही हैं. पिछले आम चुनावों में 78 महिलाएं जीत कर लोकसभा पहुंची थीं. 2019 लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व (Women Reservation in India Parliament) 193 देशों में रिप्रजेंटेंशन के मामले में 142वें स्थान पर था. और, इस बार यह और बुरा होने जा रहा है. 17वीं लोकसभा (2019-2024) में लगभग 15 फीसदी महिलाएं हैं जबकि राज्य विधानसभाओं में, कुल सदस्यों में औसतन 9% महिलाएं ही हैं. बता दें कि आरक्षण लागू होने के बाद 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी. इन आम चुनावों में कांग्रेस की कुमारी शैलजा, भाजपा की कंगना रनौत और हेमा मालिनी, बीजेपी की दिग्गज नेता दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज, समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव, पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, और लालू यादव की बेटी आरजेडी की मीसा भारती जैसी महिला उम्मीदवार अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से जीत हासिल कर लोकसभा पहुंच रही हैं. जबकि अमेठी से सांसद रहीं स्मृति ईरानी और सुल्तानपुर की सांसद मेनका गांधी इस बार हार गई हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) में महिला उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक है. यहां यह भी गौर करने लायक बात है कि इस बार आम चुनावों में पिछले किसी भी बार के लोकसभा चुनावों के मुकाबले ज्यादा महिलाएं चुनाव लड़ रही थीं. यह आंकड़ा इस बार कुल 797 महिलाओं का था. यूं तो लोकसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी में पिछले कुछ सालों में उठान देखने को मिला है फिर चाहे बात चुनाव लड़ने वाली उम्मीदवार महिलाओं की संख्या की हो या फिर महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी की हो! हालांकि बावजूद इसके अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है भारतीय संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर. ऐसे में सवाल उठता है महिला आरक्षण विधेयक को सही तरीके से ‘प्राप्त’ कर लेने का, क्योंकि कानून के लागू होने के बाद भी सबसे बड़ा चैलेंज यही होगा कि कैसे इन सीटों को भरा जाए. बता दें कि 2023 में महिला आरक्षण विधेयक हुआ था जिसका नाम दिया गया नारी शक्ति वंदन अधिनियम (Nari Shakti Vandan Adhiniyam).संविधान में हुए 106वां संशोधन में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित कर दी गईं थीं जिसमें एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटें भी शामिल हैं. नारी शक्ति वंदन अधिनियम के मुताबिक, महिला आरक्षण कानून अब आगे होने वाली जनगणना के बाद ही लागू होगा. आरक्षण लागू करने के लिए नए सिरे से परिसीमन होगा और इसी के आधार पर ही महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित की जाएंगी. साथ ही, मौजूदा बिल में महिला आरक्षण को 15 साल (यानी कि आमतौर पर केवल तीन चुनाव) के लिए लागू किया गया. Tags: Actress Kangana, Hema malini, Indian women, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Mahua Moitra, Reservation newsFIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 16:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed