साइकिल चलाकर पर्यावरण बचाने का संदेश देते हैं भोजपुरी कवि कृष्णानंद राय
साइकिल चलाकर पर्यावरण बचाने का संदेश देते हैं भोजपुरी कवि कृष्णानंद राय
पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करते हैं. रोज 40-50 किमी साइकिल चलाते हैं. पर्यावरण और सड़क सुरक्षा पर कविताएं लिखते हैं. इसके साथ ही जल संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक करते हैं.
पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए कई लोग अपने-अपने तरीकों से लोगों को जागरूक करते हैं. ऐसे ही एक अनोखे तरीके से लोगों को पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूक कर स्वस्थ रहने का संदेश देने वाले व्यक्ति हैं कृष्णानंद राय. कृष्णानंद राय अपनी कविताओं के जरिए लोगों को पर्यावरण बचाने का संदेश देते हैं. इतनी ही नहीं सालों से हर दिन साइकिल से 40 से 50 किमी सफर करते हैं. वो अपने परिवार के पहले व्यक्ति नहीं बल्कि पीढ़ियों से पर्यावरण को बचाने का काम कर रहे हैं.
उनके इस काम के चलते लोग उन्हें कई नामों से पुकारते हैं. कोई उन्हें भोजपुरी कवि के नाम से जानता है तो कोई साइकिलमैन या पर्यावरण बाबा कहकर संबोधित करता है. उनके कई किरदार हैं. उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले कृष्णानंद की उम्र 62 साल है. लेकिन आज भी हर दिन साइकिल से कई किमी का सफर तय करते हैं. वो यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में सीनियर अकाउंटेंट के पद से रिटायर हो चुके हैं. उनके पर्यावरण के अनोखे प्रयासों के चलते न्यूज़ 18 ने उनसे बात कर उनकी लाइफ स्टाइल के बारे में जाना…
साइकिल पर तख्तियां और शरीर पर फ्लैक्स पहन कर संदेश देते हैं.
पीढ़ियों से चला आ रहा पर्यावरण प्रेम
न्यूज़ 18 से बातचीत के दौरान कृष्णानंद राय बताते हैं कि उनके परिवार के पहले व्यक्ति नहीं हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. वह कहते हैं, “मेरे पिता कालिका राय भी समाजसेवा के कार्य से जुड़े हुए थे. वह उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन बोर्ड में ऑडिट प्रभारी थे.” नाना कैलाश राय कमरपुरी भोजपुरी के कवि थे. बचपन में नाव से गंगा पार जाते समय नाना गंगा जी की महिमा के बारे में कविता सुनाया करते थे. उसी समय से मुझे भी कविता लिखने-पढ़ने का शौक लग गया. इसके साथ बचपन से बाग-बगीचों में घूमने जाया करते थे. पढ़ाई की बजाए खेती में ज्यादा मन लगता था. तो खेत में हल चलाया करते थे.
जागरूकता फैलाने के लिए करते हैं इतने काम
62 वर्षीय कृष्णानंद राय कहते हैं, “मैं लोगों को कई तरीकों से जागरूक करने की कोशिश करता हूं. इन तख्तियों के साथ, साइकिल की सवारी के जरिए और अपनी पर्यावरण को समर्पित कविताओं के माध्यम से भी लोगों को संदेश देता हूं. कई बार जब शहर के चौराहे से गुजरता हूं तो लोग जहां ट्रैफिक में खड़े होकर हार्न बजाते हैं धूल और धुंए से परेशान हो रहे होते हैं मैं अपनी साइकिल कंधे पर उठाकर सड़क पार कर लेता हूं.” वो कहते हैं कि मुझे सड़क सुरक्षा पर भी कविता लिखते हुए 12-13 साल हो गए हैं. सड़क सुरक्षा पर अपनी कविता की पंक्तियां गुनगुनाते हैं – “गति धीमी कर लीजिए जहां कहीं हो मोड़, सड़क सुरक्षा भाग्य पर नहीं दीजिए छोड़.” पर्यावरण पर पहली कविता उन्होंने भोजपुरी में ही लिखी थी.
पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर कविताएं लिखते हैं.
इसके साथ ही वो गंगा की सफाई में भी जुटे हुए हैं. वो सुबह से गौ घाट पर जाकर सफाई कर रहे हैं उनका उद्देश्य है कि लोग यहां पर भी प्रयागराज की तरह ही गौ घाट पर भी स्नान कर सकें. वो बताते हैं कि मैंने एक भोजपुरी फिल्म ‘चिरइयो न बोले’ में बाबा का किरदार निभाकर लोगों को पर्यावरण की रक्षा करने का संदेश दिया है. इसके साथ ही वो सिंगल यूज प्लास्टिक की रोकथाम के लिए भी काम करते हैं. इसके अंतर्गत वो अपने शरीर पर बैनर लपेटकर साइकिल से निकलते हैं. लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए साइकिल पर तख्तियां लगा रखी हैं जिससे लोग उन्हें देखकर पढ़ें. इन कामों की वजह से लोग उन्हें पर्यावरण बाबा कहकर भी बुलाते हैं. साइकिल से रोज लंबी यात्रा करके ऑफिस जाना और सुबह गौ घाट पर जाकर सफाई करते हैं. उन्हें पर्यावरण से संबंधित कामों में अक्सर बुलाया जाता है.
ऐसे मिला लोगों का साथ
शुरुआत में लोग कहते थे कि आप गाड़ी क्यों नहीं चलाते हैं. सिर्फ आप अकेले के साइकिल चला लेने से क्या हो जाएगा? लेकिन मैंने अपना प्रयास जारी रखा और फिर धीरे-धीरे लोग मेरी बातों पर ध्यान देने लगे हैं. अब उनके साथ कई सारे साइकिलिस्ट और पर्यावरण प्रेमी जुड़े हुए हैं. जब इस तरह का कामों में लोगों को साथ मिलता है तो बहुत खुशी मिलती है. इन सभी बातों को लेकर हम सभी को जागरूक होना जरूरी है. क्योंकि एक पेड़ हमें शुद्ध हवा देता है तो हमारी भी पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी बनती है.
उनके इन कामों के चलते उन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ कर चुके हैं सम्मानित
वो बताते हैं, “वायु प्रदूषण पर लोगों को ध्यान काफी कम है. जबकि वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस से जुड़ी कई बीमारियां हो रही हैं साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है.” लेकिन मेरे प्रयासों से कई लोगों ने साइकिल का उपयोग करना शुरू कर दिया है. 42 सालों लगातार लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा हूं. वो कहते हैं कि आजकल युवाओं में भी नशे की भारी आदत देखने को मिल रही है. शराब, खैनी, पान-मसाला के उपयोग से लोगों में कैंसर अधिक मात्रा में बढ़ रहा है. इन सभी चीजों को रोकना होगा इसके साथ ही सड़क सुरक्षा पर भी ध्यान देना जरूरी है. उनके निरंतर प्रयासों के लिए 7 अप्रैल 2018 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें गंगा सेवक सम्मान से पुरस्कृत किया है. इसके साथ ही उन्हें भोजपुरी कविता लेखन में “अंतरराष्ट्रीय जुनूं अवार्ड” से भी सम्मानित किया जा चुका है.
लोगों को कृष्णानंद राय का संदेश
वो कहते हैं कि लोगों को पर्यावरण के बचाव में मिलजुल कर काम करना चाहिए. क्योंकि पर्यावरण ही हमारे जीवन का मूलाधार है. वो कहते हैं कि हमें घर से निकलने से पहले ये सोचना चाहिए की हमारे हाथ में कपड़े का थैला आया की नहीं आया. हम कभी खाली हाथ न निकलें. वो कहते हैं कि छोटी-छोटी आदतों से ही बदलाव लाया जा सकता है.
बिजली-पानी का जरूरत के अनुसार उपयोग करें साथ ही वाहनों को उपयोग भी कम से कम करने की कोशिश करेंगे तो पर्यावरण को और देश को बचा सकते हैं. वाहनों से बढ़ता प्रदूषण और सड़क पर होने वाले हादसों में कमी के लिए भी सावधानी से वाहन चलाने की जरूरत है. वो कहते हैं कि मेरी कोशिश है कि हम साइकिल से चलें ताकि पर्यावरण प्रदूषण में कमी आए इसके साथ ही हमारा स्वास्थ्य भी इससे बेहतर रहेगा.
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