यूपी उपचुनाव में दावेदारी पर जवाब अनुप्रिया पटेल का खेल या हो गया मेल
यूपी उपचुनाव में दावेदारी पर जवाब अनुप्रिया पटेल का खेल या हो गया मेल
कभी आरक्षण की अनदेखी को लेकर योगी आदित्यनाथ को घेरने वाली अनुप्रिया पटेल ने उपचुनाव में पार्टी की दावेदारी के सवाल को टाल दिया है. उन्होंने पार्टी की समीक्षा बैठक करके अपनी ताकत दिखा दी, लेकिन दावेदारी के सवाल पर कहा कि एनडीए का प्रत्याशी ही लड़ेगा. निषाद पार्टी और आरएलडी के दवाब के बीच इस रणनीति का मतलब टिकट बंटने के बाद साफ होगा. लेकिन मिल कर लड़ने की योगी की रणनीति के लिए ये बात माकूल दिख रही है.
उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनावों में एनडीए के सहयोगी दल बीजेपी पर सीटों के लिए दवाब बना रहे हैं. निषाद पार्टी, आरएलडी और अपना दल अपनी हिस्सेदारी के लिए लगातार रियाज कर रहे हैं. अपना दल ने राष्ट्रीय और प्रदेश पदाधिकारियों की समीक्षा करके अपनी ताकत दिखाई है. खुल कर उन्होंने कोई सीट फिलहाल तो नहीं मांगी है, लेकिन आरक्षण और शिक्षक भर्ती मामले में उनकी राय बीजेपी के अनुकूल नहीं थी. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को लिखे पत्र में कहा था कि जिन नौकरियों में सिर्फ इंटरव्यू लेकर नौकरी दी जा रही है वहां आरक्षण की अनदेखी की जा रही है.
अनुप्रिया का राजनीतिक जवाब
बीजेपी की राज्य सरकार को असहज स्थिति में डालने के बाद हो सकता है कि अनुप्रिया पटेल टिकट के सवाल पर सार्वजनिक तौर पर बोलने से बच रही हों, लेकिन जिन सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं, उनमें कम से कम एक पर अपना दल की भी रुचि है. खास तौर से मिर्जापुर और वाराणसी से लगी मझवां सीट को हमेशा से अपने लिए मुफीद मानती रही है. इस क्षेत्र में अपना दल के कोर वोटरों की संख्या ठीक-ठाक है. हालांकि पिछले विधान सभा चुनाव में ये सीट अपना दल के पास नहीं थी.
संजय निषाद का दावा
अनुप्रिया पटेल के अलावा निषाद पार्टी के संजय निषाद लगातार दस में से दो सीटें अपनी पार्टी के लिए मांग रहे हैं. बताया जा रहा है कि बीजेपी उन्हें मझवां सीट देने का मन भी बना चुकी है. लेकिन उनकी दावेदारी कटेहरा सीट पर भी है. कटेहरा में पार्टी के प्रत्याशी 2022 में ये सीट निषाद पार्टी के खाते में थी. इसी को आधार बना कर संजय निषाद इस पर दावेदारी कर रहे हैं.
आरएलडी की दावेदारी
एनडीए को अपने एक अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल यानी आरएलडी को लेकर भी चिंता है. आरएलडी के सामने अपने दल की मान्यता की भी चिंता है. शायद यही कारण है कि पार्टी इस बार कश्मीर विधान सभा चुनाव भी लड़न जा रही है. आरएलडी को मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर अपनी दावेदारी जता रही है. मीरापुर से पार्टी विधायक चंदन चौहान बिजनौर से सांसद हो गए हैं. लिहाजा पार्टी इस सीट पर अपनी गंभीर दावेदारी जता रही है. इसके साथ ही आरएलडी अलीगढ़ की खैर सीट से भी अपना प्रत्याशी उतारना चाहती है. खैर सीट पर पिछली बार उसका प्रत्याशी तो नहीं लड़ा था. लेकिन तीन बार पार्टी इस सीट को जीत चुकी है. बीते चुनाव में खैर से बीजेपी विधायक संसद में पहुंच चुके हैं. लिहाजा अब आरएलडी फिर से खैर में अपना आधार बनाना चाहती है.
ये भी पढ़ें : दादी इंदिरा गांधी की राह पर राहुल गांधी, अर्जुन पासी मामले में CM को लिखी चिट्ठी, कटनी की पीड़िता का हाल जाना
योगी की रणनीति के अनुकूल जवाब
इन सबसे अहम बात ये है कि ये उपचुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के लिए बेहद अहम है. माना जा रहा है कि उन्होंने इसे एक चुनौती की तरह लिया है. यही वजह है कि उन्होंने एक एक सीट पर राज्य सरकार के तीन-तीन मंत्रियों को प्रभारी बनाया है. इससे समझा जा सकता है कि वे उपचुनावों में बीजेपी को जिताने के लिए कितने संजीदा है. इस लिहाज से ये देखना रोचक होगा कि मुख्यमंत्री सहयोगी दलों की कितनी सुनते हैं. हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री ये संदेश दे चुके हैं कि उम्मीदवार किसी भी पार्टी का हो, उसे कमल चुनाव निशान पर ही लड़ना होगा. बीजेपी ऐसा प्रयोग उत्तर प्रदेश में कर चुकी है. इस लिहाज से ये भी माना जा रहा है कि अपनी ताकत दिखाने के बाद अनुप्रिया पटेल ने मीडिया के जरिए उप चुनाव में किसी सीट की मांग नहीं की है. अगर योगी सभी को समेट कर कमल निशान के लिए तैयार कर लेते हैं, राज्य के विपक्षी दलों की राह कठिन हो सकती है.
Tags: Anupriya Patel, BJP, By electionFIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 18:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed