कौन है PFI के पीछे क्या है मकसद और इसका अंतरराष्ट्रीय आतंक से कनेक्शन जानें 10 बड़ी बातें
कौन है PFI के पीछे क्या है मकसद और इसका अंतरराष्ट्रीय आतंक से कनेक्शन जानें 10 बड़ी बातें
Popular Front of India (PFI): पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ एनआईए और ईडी की कार्रवाई के बाद कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं. 15 राज्यों में इस छापेमारी में करीब 106 गिरफ्तारियों के बाद एनआईए और ईडी को पीएफआई की कथित विदेशी फंडिंग, हथियारों के प्रशिक्षण और आरएसएस नेताओं पर इसकी जासूसी करने वाली चार चरणों की रणनीति के सुराग मिले हैं.
नई दिल्ली. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी के नेतृत्व में कई एजेंसियों की छापेमारी ने पीएफआई को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है. 15 राज्यों में इस छापेमारी में करीब 106 गिरफ्तारियों के बाद एनआईए और ईडी को पीएफआई की कथित विदेशी फंडिंग, हथियारों के प्रशिक्षण और आरएसएस नेताओं पर इसकी जासूसी करने वाली चार चरणों की रणनीति के बारे में चौंकाने वाले सुराग मिले हैं. पीएफआई पर इस देशव्यापी एक्शन और उसके आतंकी लिंक से लेकर उस पर प्रतिबंध लगाए जाने की चुनौतियों पर न्यूज 18 ने भी अपनी रिपोर्ट में खास जानकारियां जुटाई हैं. जानें क्या हैं पीएफआई से जुड़ी 10 अहम बातें.खुफिया तंत्र के सूत्रों ने न्यूज 18 को बताया कि पीएफआई खाड़ी देशों में तीन प्रमुख संगठन इंडिया फ्रेटरनिटी फोरम, (IFF) इंडियन सोशल फोरम (ISF) और रिहैब इंडियन फाउंडेशन (RIF) चलाता है. ये संगठन कथित तौर पर विदेशों में भारत विरोधी गतिविधियों में पीएफआई की प्रत्यक्ष संलिप्तता का मुखौटा लगाते हैं. सूत्रों ने कहा कि मध्य पूर्व में पीएफआई के लिए धन जुटाने के लिए आईएफएफ सबसे शक्तिशाली माध्यम के रूप में उभरा है. संगठन के वित्तीय लिंक यूएई, सऊदी अरब, ओमान, तुर्की और कुवैत सहित अन्य देशों से जुड़े हैं.मुसलमानों को अत्याचारों के बारे में याद दिलाना और हथियारों के इस्तेमाल में रंगरूटों को प्रशिक्षण देना, शिकायतों को वैश्विक मंचों पर ले जाना, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और ओबीसी के बीच विभाजन पैदा करना और न्यायपालिका, पुलिस, सेना और राजनीति को ‘वफादार मुसलमानों‘ से भरना इसका हिस्सा था. गुरुवार की छापेमारी के दौरान हिरासत में लिए गए 106 लोगों में से एक पीएफआई नेता बराकबदुल्लाह हैं, जिन्हें तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के वेलिनोक्कम में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था. अधिकारियों ने कथित तौर पर उसके कब्जे से जीपीएस के साथ लोवरेंस एलएचआर 80 फ्लोटिंग हैंडहेल्ड वीएचएफ सहित वायरलेस संचार उपकरण बरामद किए. वायरलेस सेट के रिसीवर में एक संकट कॉल बटन और रात के समय उपयोग के लिए प्रबुद्ध फ़ंक्शन गाइड होती हैं.खुफिया सूत्रों का कहना है कि वायरलेस उपकरणों का इस्तेमाल समुद्री मार्गों को नेविगेट करने के लिए किया जाता है और गिरफ्तार आरोपी संभवतः इसका इस्तेमाल समुद्री आतंकी गतिविधियों और पैसे के आदान-प्रदान के लिए कर रहे होंगे.आरएसएस के कुछ नेता भी पीएफआई के रडार पर थे। पीएफआई की जासूसी शाखा थहलील को कथित तौर पर आरएसएस नेताओं के बारे में सभी जानकारी एकत्र करने के लिए एक विशेष काम दिया गया था, जिसमें उनके आंदोलन का विवरण भी शामिल था. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें नेताओं के कार्यालयों, परिवारों, कारों और उनकी सुरक्षा करने वाले गार्डों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए कहा गया था. खुफिया अधिकारियों का कहना है कि पीएफआई सैयद अबुल मौदुदी और अल्लामा इकबाल जैसे कट्टरपंथी इस्लामी विद्वानों के साथ ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों से प्रेरित है. यह प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और केरल के टी नज़ीर ग्रुप के नक्शेकदम पर भी चल रहा है, जो लश्कर ए तैयबा एलईटी से जुड़ा है. पीएफआई कैडर सीरिया में इस्लामिक स्टेट और अल कायदा से संबद्ध अल नुसरा फ्रंट में शामिल हो गए हैं.न्यूज18 को सूत्रों ने बताया कि एनआईए ने गुरुवार की छापेमारी में न तो कोई हथियार, न ही गोला-बारूद या नकदी जब्त की है और न ही पीएफआई के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. देश में आतंकी गतिविधियों को समर्थन देने का आरोप लगाने वाले मामले पीएफआई के गिरफ्तार नेताओं और कैडर के खिलाफ दर्ज किए गए हैं.सूत्रों ने बताया कि सरकार को बिना ठोस और प्रत्यक्ष सबूत के पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की कोई जल्दी नहीं है, जो अदालत में है. एनआईए अभी के लिए जब्ती और जमीनी स्तर के नेटवर्क पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि ईडी फंडिंग को लेकर जांच कर रही है.छापेमारी से संगठन की कथित विदेशी फंडिंग, हथियारों के प्रशिक्षण और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं की जासूसी करने वाली चार चरणों की रणनीति के बारे में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं.पीएफआई न केवल भारत और विदेशों में अपने पैरों फैलाने में कामयाब रहा है, बल्कि इसकी एक महत्वपूर्ण और बढ़ती ऑनलाइन उपस्थिति भी है. जिसका उपयोग वह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कर रहा है. इसकी ऑनलाइन रणनीति लोगों को सरकार के खिलाफ विरोध करने के लिए उकसाती है, क्योंकि यह उनका 'जन्मसिद्ध अधिकार' है.
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Tags: New Delhi news, NIA, PFIFIRST PUBLISHED : September 24, 2022, 16:38 IST