मनमोहन सिंह के निधन पर पाकिस्तान का अपनापन लेकिन भूटान ने तो दिल जीत लिया
मनमोहन सिंह के निधन पर पाकिस्तान का अपनापन लेकिन भूटान ने तो दिल जीत लिया
Manmohan Singh Tribute: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए पाकिस्तान के गाह गांव में विशेष श्रद्धांजलि सभा हुई. वहां के लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने की ख्वाहिश लिए बैठे थे. वे अपने बेटे को याद कर रहे थे. भूटान ने भाई होने का फर्ज निभाया.
हाइलाइट्स पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने उन्हें पाकिस्तान का बेटा बताकर याद किया. मनमोहन सिंह जहां जन्मे उस गाह गांव के लोगों ने शोकसभा कर विदाई दी. भूटान में तो जहां से सरकार चलती है, उसी सिंहासन के पास मनमोहन की तस्वीर लगाई ग
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर पूरी दुनिया ने श्रद्धांजलि दी. रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से लेकर अमेरिका, ब्राजील, श्रीलंका, बांग्लादेश तक के नेताओं ने उन्हें नमन किया. किसी ने उन्हें अपना सच्चा दोस्त, किसी ने भाई बताकर याद किया. पाकिस्तान ने मनमोहन सिंह को अपने देश का सच्चा बेटा बताते हुए ‘अपनापन’ दिखाया मगर भूटान ने तो दिल ही जीत लिया. वहां से आई तस्वीर देखकर आप भी कहेंगे, भाई तो ऐसा ही होता है.
पाकिस्तान के विदेश मंंत्री ने इशाक डार ने लिखा, ‘भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से दुखी हूं. पाकिस्तान के चकवाल जिले के एक गांव में जन्मे डॉ. सिंह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और राजनेता थे. उन्हें उनकी बुद्धिमत्ता और सौम्य व्यवहार के लिए याद किया जाएगा. अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के अलावा डॉ. सिंह ने क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देने के लिए काम किया. प्रधानमंत्री रहते हुए भारत-पाकिस्तान संबंधों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.’ इसमें इशाक डार बता रहे हैं कि मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान के गाह गांव में हुआ था. गांव के लोगों ने भी उन्हें याद किया. अल्ताफ हुसैन ने कहा, हमने एक शोकसभा भी रखी थी और उन्हें श्रद्धांजलि दी. अल्ताफ हुसैन गाह गांव के उसी स्कूल में शिक्षक हैं जहां मनमोहन सिंह ने कक्षा 4 तक पढ़ाई की थी. स्कूल के रजिस्टर में आज भी उनका एडमिशन नंबर 187 दर्ज है. 17 अप्रैल 1937 को मनमोहन सिंह ने यहां एडमिशन लिया था.
अंतिम संस्कार में शामिल होने की ख्वाहिश थी
यह गांव इस्लामाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में है. मनमोहन सिंह के जन्म के समय यह झेलम जिले का हिस्सा था, लेकिन 1986 में इसे चकवाल जिले में शामिल कर लिया गया. मनमोहन सिंह के स्कूल के साथी राजा मुहम्मद अली ने उनसे मुलाकात करने के लिए 2008 में दिल्ली की यात्रा की थी. राजा मुहम्मद अली के भतीजे राजा आशिक अली ने शोकसभा की. कहा, गांव के सभी लोग भारत में उनके ( मनमोहन सिंह) के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहते हैं लेकिन यह संभव नहीं है. इसलिए वे यहां शोक मनाने आए हैं. हम आज भी उन दिनों को याद करके अभिभूत हैं जब गांव में हर किसी को गर्व महसूस होता था कि हमारे गांव का एक लड़का भारत का प्रधानमंत्री बन गया है.
भूटान भावुक कर गया
भूटान में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ऐसी श्रद्धांजलि दी गई कि देखकर आप भी भावुक हो जाएंगे. राजधानी थिंपू में स्थित ताशिचो द्ज़ोंग किले में विशेष कार्यक्रम हुआ. यहां जिस सिंहासन से भूटान की सरकार चलती है, वहीं पर मनमोहन सिंह की तस्वीर लगाई गई और श्रद्धांजलि दी गई. इस जगह की महत्ता को आप इस तरह समझ सकते हैं कि 1968 से इसी जगह से भूटान की सरकार चलती है. यहीं से भूटान की सरकार के सारे फैसले लिए जाते हैं. राजा का सिंहासन भी यहीं पर है और सारे मंत्रालय यहीं से चलते हैं. यहां एक प्रार्थना सभा आयोजित की गई, जिसमें पूरी सरकार शामिल हुई. भूटान रॉयल सरकार के सारे मंत्री और अफसर मौजूद थे.
Tags: Dr. manmohan singh, India pakistan, Last Rites, Manmohan singhFIRST PUBLISHED : December 28, 2024, 06:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed