रोपाई के बाद बढ़ रहा है तापमान धान में लग सकता है ये खतरनाक रोग! ऐसे करें बचाव

डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि इस रोग में धान की पौधे की जड़ें कमजोर होने लगती हैं. पौधे का कद छोटा रहता है. बार-बार तापमान बढ़ने से तीव्र गति से यह रोग फैलता है और जड़ सड़ जाती हैं. पौधा नष्ट हो जाता है.पौधे को तने से पकड़ कर खींचने पर सतह के ऊपर से पौधा टूट कर अलग हो जाता है.

रोपाई के बाद बढ़ रहा है तापमान धान में लग सकता है ये खतरनाक रोग! ऐसे करें बचाव
शाहजहांपुर: खरीफ की फसल धान की रोपाई हो चुकी है. इस दौरान तेजी से मौसम भी बदल रहा है. यूपी में कहीं तेज बारिश हो रही है तो कहीं तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. बारिश के दिनों में लगातार आर्द्रता भी बढ़ जाती हुई है. जिसकी वजह से धान की फसल को कई रोग चपेट में ले रहे हैं. इन दिनों धान की फसल में झंडा रोग और फुट रॉट रोग के लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं. जिनका समय पर उपचार करना बेहद जरूरी है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात पादप सुरक्षा रोग की एक्सपर्ट डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि पिछली बार बासमती धान PB- 1692 में झंडा रोग और फुट रॉट रोग के लक्षण दिखाई दिए थे, लेकिन कई जगह पर मोटे धान की फसल भी इसकी चपेट में आई थी. रोपाई से पहले अगर मृदा उपचार कर लिया जाए तो काफी हद तक इस रोग से बचा जा सकता है. अगर खड़ी फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई दें तो उनका तत्काल प्रबंधन करें. फुट रॉट रोग की पहचान डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि इस रोग में धान की पौधे की जड़ें कमजोर होने लगती हैं. पौधे का कद छोटा रहता है, बढ़वार रुक जाती है. पौधे को तने से पकड़ कर खींचने पर सतह के ऊपर से पौधा टूट कर अलग हो जाता है. बार-बार तापमान बढ़ने से तीव्र गति से यह रोग फैलता है और जड़ सड़ जाती हैं. पौधा नष्ट हो जाता है. कैसे करें फसल का बचाव? डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि धान की खड़ी फसल में पौधों पर शुरुआती दिनों में ही अगर यह लक्षण दिखने लगे हैं तो किसान तत्काल इसका उपचार कर लें. किसान 250 ग्राम एफिनेट मैमिथाइल को 125 से 130 लीटर पानी में घोल बनाकर कर छिड़काव कर दें, या कार्बेंडाजिम और थायोफिनेट मिथाइल का घोल बनाकर भी छिड़काव कर सकते हैं. रोपाई से पहले करें मृदा उपचार डॉ. नूतन वर्मा ने बताया मोटे धान की रोपाई हो चुकी है लेकिन वह जगह अभी किसान बासमती धान की रोपाई कर रहे हैं. ऐसे में झंडा रोग और फुट रॉट रोग से बचाव के लिए किसान खेत की अंतिम जुताई के वक्त ट्राईकोडरमा को खेत में डाल दें. जिससे काफी हद तक इस फफूंदी जनित रोग से फसल को सुरक्षित किया जा सकता है. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 15:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed