Opinion: निवेश में प्रधानमंत्री मोदी का सबसे बड़ा दांव करेगा चीन को चित
Opinion: निवेश में प्रधानमंत्री मोदी का सबसे बड़ा दांव करेगा चीन को चित
फाक्सकान ने भारत में अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता समूह के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले एफएबी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए गुजरात सरकार के साथ दो MOU साइन किये हैं. दोनों कंपनियां गुजरात में यह सेमीकंडक्टर संयंत्र लगाने के लिए 1,54,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी.
हाइलाइट्सवेदांता और फॉक्सकॉन गुजरात में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाएंगी. सेमीकंडक्टर प्लांट की लागत 1,54,000 करोड़ रुपये होगी. सेमीकंडक्टर की उत्पादन से ताईवान और कोरिया जैसे देशों पर निर्भरता कम होगी.
नई दिल्ली: सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग लगने वाली है. दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरर्स में से एक और 2021 में फार्च्यून ग्लोबल-500 में 22 वें स्थान की कंपनी फाक्सकान ने भारत में अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता समूह के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले एफएबी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए गुजरात सरकार के साथ दो MOU साइन किये हैं. दोनों कंपनियां गुजरात में यह सेमीकंडक्टर संयंत्र लगाने के लिए 1,54,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी. गुजरात के विज्ञान और तकनीकी विभाग के सचिव विजय नेहरा की मानें तो स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये अब तक सबसे बड़ा कारपोरेट निवेश है.
सेमीकंडक्टर क्यूँ है ख़ास
बीतें कुछ वर्षों से दुनिया जिस तेजी से डिजिटल हो रही है उससे सेमीकंडक्टर विकास का सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद बनता जा रहा है. आप चीन और ताइवान के संघर्ष की खबर रोज़ देखते होंगे लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सैन्य और आर्थिक बल में ताइवान चीन के सामने कहीं भी नहीं टिकता फिर भी चीन उस पर हमले का जोखिम क्यों नहीं ले रहा. इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि ताइवान दुनिया की सेमीकंडक्टर कैपिटल है. अगर चीन उस पर हमला करेगा तो खुद चीन की टेक कंपनियां बुरी तरह से प्रभावित होंगी. आज हर महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम जैसे मोबाइल, कार, टीवी, रेडियो में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है. ना केवल भारत बल्कि पूरी दुनियां में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का बड़ा हिस्सा चीन ही निर्यात करता है. इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम और ख़ास कर सिलिकॉन चिप एक्सपोर्ट ने चीन की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. इसीलिए सेमीकंडक्टर का भारत में बनना बहुत महत्वपूर्ण खबर है.
भारत में ही निवेश क्यों ?
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीतें कुछ वर्षों में अर्थव्यवस्था और रोजगार के मोर्चे पर एक नया विजन सामने आया है. मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे कई इनीशिएटिव लिए गए जिनका ग्रोथ पर सकारात्मक असर पड़ा है. भारत की GDP का 13.5 फीसदी की दर से बढ़ना, भारत का दुनिया की सबसे मज़बूत पांच अर्थव्यस्थाओं में होना इसके परिणाम है. आज भारत में 70 हजार स्टार्टअप और सौ से अधिक यूनीकार्न हैं. “ईज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस” के कारण दुनिया भर की बड़ी कंपनियों के रुझान का केंद्र भारत तेजी से बन रहा है. अब यही उदाहरण लीजिये कि इस साल फरवरी में वेदांता ने फॉक्सकॉन के साथ भारत सरकार की सेमीकंडक्टर निर्माण योजना के लिए आवेदन किया था, और सितम्बर में करार हो गया. गुजरात सरकार के मुताबिक उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए सिर्फ दो-तीन हफ़्तों में ही जगह भी फाइनल हो जायेगी और अगले दो वर्षों में सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र स्थापित किए जाने की उम्मीद है. वैसे इसी साल देश में 5G की शुरुआत अक्टूबर 2022 से होने वाली है, ऐसे में भारत दुनिया के तकनीकी बाज़ार में ज़बरदस्त छलांग लागाने के लिए पूरी तरह तैयार है.
रोजगार के अवसर, अर्थव्यस्था को फायदा
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के मुताबिक गुजरात में सेमीकंडक्टर परियोजना स्थापित करने और डिस्प्ले एफएबी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने से करीब 1 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे. आंकड़ों के मुताबिक निवेश की जा रही राशि में से 94 हजार करोड़ रुपये डिस्प्ले मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र पर खर्च होंगे और 60 हजार करोड़ रुपये में सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र लगेगा. वेदांता से अनिल अग्रवाल की मानें तो ‘मेड इन इंडिया’ सेमीकंडक्टर्स के तैयार होने से उपकरणों की कीमतें आधी या आसपास हो सकती है, क्योंकि आयात के दौरान लगने वाली लागत कम हो जाएगी. बकौल अनिल अग्रवाल 1 लाख रुपये की कीमत वाले लैपटॉप के ग्लास और सेमीकंडक्टर चिप भारत में ही बन जाने के बाद इसकी कीमत 40,000 रुपये या उससे कम हो सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस प्लांट के स्थापित हो जाने से वर्तमान में ताइवान और कोरिया में बनने वाले ग्लास का निर्माण जल्द ही भारत में भी किया जाएगा.
दुनिया के मंच पर भारत की मजबूती!
सेमीकंडक्टर का भारत में बनना भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे दूसरें देशों पर हमारी निर्भरता कम होगी. यानी फाक्सकान के साथ भारत की यह डील अर्थव्यवस्था के लिए तो फायदेमंद है ही लेकिन दुनिया के बाजार में भारत के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन के लिए चुनौती भी है. अब अगर भारत सेमीकंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की मैन्युफैक्चिंग में आत्मनिर्भर बन गया तो ये ड्रैगन के लिए बड़ा झटका होगा क्योंकि भारत ना केवल अपनी ज़रूरतें पूरी कर लेगा बल्कि और देशों को भी मेड इन इंडिया सेमीकंडक्टर निर्यात कर सकेगा. वैसे भी सेमीकंडक्टर की डिजाइनिंग का काम तो पहले से भारत में हो ही रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो अभी कई और कंपनियां सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए भारत में आ सकती है. भारत को इसका ना केवल आर्थिक लाभ होगा बल्कि रणनीति और कूटनीति के मोर्चे पर भी हम और भी ज्यादा मज़बूत होंगे.
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Tags: Gujarat, India, PM ModiFIRST PUBLISHED : September 15, 2022, 23:02 IST