अमेरिका में ट्रंप की जीत सुनाई दिए वैश्विक हिंदू समाज की एकजुटता के सुर
अमेरिका में ट्रंप की जीत सुनाई दिए वैश्विक हिंदू समाज की एकजुटता के सुर
अमेरिका में ट्रंप ने निजी स्तर पर तो इतिहास रच ही दिया है, लेकिन इस चुनाव के बाद दुनिया भर में रह रहे हिंदुओं को एकजुट जरूर किया है। ट्रंप ने हिंदुओं पर अत्याचार का जिक्र जिस पुरखुलूस अंदाज में किया, उससे उन्हें भारत और विश्व में हिंदुओं की सहानुभूति हासिल जरूर हुई है।
रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव दूसरी बार जीत कर इतिहास पुरुष बन गए हैं। इससे पहले वे 2017 में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत कर सत्तारूढ़ हुए थे। ट्रंप पूरे 132 साल बाद अमेरिका के इतिहास में दूसरी बार राष्ट्रपति पद पर विराजने वाले दूसरे नेता बने हैं। इससे पहले ग्रोवर क्लीवलैंड ने 1885 और 1893 में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की जीत के तुरंत बाद उनसे फोन पर बातचीत कर उन्हें बधाई दी। मोदी और ट्रंप के बीच की कैमिस्ट्री को हम भारत, अमेरिका और दूसरे वैश्विक मंचों पर पहले भी देख चुके हैं। पहले ट्रंप काल में अमेरिका में टेक्सस के ह्यूस्टन में 22 सितंबर, 2019 को ट्रंप की मौजूदगी में हुए कार्यक्रम हाउडी मोदी में वहां रह रहे भारतीय मूल के 50 हजार से ज्यादा लोग जुटे थे। इसके बाद 24 फरवरी, 2020 को अहमदाबाद में हुए नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में करीब सवा लाख भारतीयों ने शिरकत की थी। दोनों ही मौकों पर मोदी और ट्रंप की दोस्ती में अनौपचारिक प्रगाढ़ता साफ नजर आई।
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विश्व कूटनय में दोस्त या कहें कि अनुकूल देशों के बीच अनौपचारिक प्रगाढ़ संबंध तो विभिन्न अवसरों पर दिखाई पड़ते ही हैं, लेकिन अगर वैश्विक छवि वाले नेताओं के बीच व्यक्तिगत मित्रता भी प्रबल हो, तो राजनैतिक, कूटनैतिक, सामरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्तरों पर सहयोग कुछ ज्यादा ही प्रगाढ़ रह सकता है। इस लिहाज से आज का भारत राष्ट्रपति ट्रंप से कुछ ज्यादा ही सहयोग की उम्मीद कर सकता है। लेकिन यह भी सही है कि जो बाइडेन के काल में अमेरिका की गिरी साख से उबारने के लिए ट्रंप अपने देश के हित में सख्तनजरी से पेश आ सकते हैं और कुछ मामलों में भारत को इसका खमियाजा भी उठाना पड़ सकता है। लेकिन अभी यह दूर की कौड़ी है।
डोनाल्ड ट्रंप ने दीपावाली की शुभकामनाएं देते हुए एक्स पर जो लिखा, उसने भारत के बहुसंख्य हिंदुओं के मन में नई आस जगाने का काम किया है। जाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली के कायल अमेरिकी हिंदुओं के मन में भी ट्रंप का यह बयान मजबूती के साथ अंकित हुआ होगा। ट्रंप ने लिखा, “मैं बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं। भीड़ उन पर हमला कर रही है, लूटपाट कर रही है जो पूरी तरह से अराजकता की स्थिति है।”
उन्होंने लिखा, “मेरे कार्यकाल में ऐसा कभी नहीं हुआ होता। कमला और जो (जो बाइडन) ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया में हिंदुओं की अनदेखी की है।“ ट्रंप ने लिखा, “हम कट्टरपंथी वामपंथियों के धर्म-विरोधी एजेंडे के खिलाफ हिंदू अमेरिकियों की भी रक्षा करेंगे। हम आपकी आज़ादी के लिए लड़ेंगे। मेरे प्रशासन के तहत, हम भारत और मेरे अच्छे दोस्त, प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी महान साझेदारी को भी मज़बूत करेंगे।” दुनिया के किसी कद्दावर नेता ने हिंदुओं के पक्ष में इतना साफ बयान नहीं दिया है। दूसरों की तो छोड़िए, भारत के विपक्षी दलों के मुंह से भी बांग्लादेशी हिंदुओं के पक्ष में खुल कर कुछ नहीं कहा गया है।
अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की संख्या बहुत उल्लेखनीय भले ही नहीं हो, लेकिन उनकी माली हालत बहुत बेहतर है। अमेरिका की कुल आबादी में केवल दो फीसदी हिंदू (करीब 52 लाख) हैं, लेकिन उनकी सालाना आमदनी करीब एक करोड़, 30 लाख रुपये है। यह आंकड़ा अमेरिका की औसत सालाना आमदनी से दोगुने से भी ज्यादा है। मतलब यह हुआ कि हिंदुओं का दखल वहां के समाज में अमेरिकियों से कहीं ज्यादा है। हालांकि अमेरिका में सत्ता के प्रधान का चुनाव भारत की तरह सीधे आम वोटों से नहीं होता, फिर भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर बर्बर हमलों का मुखर विरोध कर ट्रंप ने कुछ राजनैतिक फायदा तो हासिल किया ही है।
कार्नेगी एडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के इंडियन अमेरिकन एटीट्यूड सर्वे (आईएएएस) 2024 के मुताबिक अमेरिका में करीब 26 लाख भारतीय अमेरिकी वोटर हैं। चुनाव से पहले हुए संस्था के सर्वे के मुताबिक डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन के मुकाबले भारतीय लोगों के कम वोट मिल सकते हैं। सर्वे में करीब 47 फीसदी अमेरिकी हिंदुओ ने खुद को डेमोक्रेट बताया था। जबकि 2020 में यह तादाद 56 प्रतिशत थी। सर्वे में पता चला कि रिपब्लिकन वोटरों का आंकड़ा 15 से बढ़ कर 21 प्रतिशत हो गया है। चुनाव नतीजों से पता चलता है कि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन को मिले वोट प्रतिशत में जमीन-आसमान का अंतर नहीं है। इसलिए साफ है कि ट्रंप की जीत हिंदुओं की भागीदारी की वजह से ही हुई है।
अमेरिका में ट्रंप ने निजी स्तर पर तो इतिहास रच ही दिया है, लेकिन इस चुनाव के बाद दुनिया भर में रह रहे हिंदुओं को एकजुट जरूर किया है। ट्रंप ने हिंदुओं पर अत्याचार का जिक्र जिस पुरखुलूस अंदाज में किया, उससे उन्हें भारत और विश्व में हिंदुओं की सहानुभूति हासिल जरूर हुई है। हमने टीवी न्यूज चैनलों की बहसों में देखा कि क्या भारत, क्या कनाडा, क्या ब्रिटेन और क्या अमेरिकी हिंदुओं ने उनकी जीत पर खुले मन से खुशी का इजहार किया। इतना ही नहीं, मौजूदा भारतीय राजनैतिक परिदृश्य में हिंदुओँ के मन में आत्मसात हुआ मोदी-योगी युग का नारा ‘बंटेंगे, तो कटेंगे, एक रहेंगे, तो नेक रहेंगे और सेफ रहेंगे’ अब वैश्विक हो चुका है, यह भी साफ हो गया है।
बहरहाल, यह तो धीरे-धीरे ही सामने आएगा कि ट्रंप के दूसरे काल में भारत को उनसे अच्छे संबंधों का कितना निजी फायदा मिलता है। दो नेताओं में अच्छी दोस्ती दो तरह से फायदेमंद साबित होती है। एक तो दोनों देशों के द्विपक्षीय हित आसानी से सधते हैं। दूसरी महत्वपूर्ण बात होती है कि वह अच्छी दोस्ती वैश्विक और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बेहद अहम भूमिका निभा सकती है
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Tags: Donald Trump, PM ModiFIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 18:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed