SC/ST में भी क्रीमी लेयर आरक्षण को पूरी तरह बदल देगी जजों की ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST Reservation) को मिलने वाले आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संवैधानिक पीठ में शामिल 4 जजों ने अपने आदेश में ऐसी बात कही, जिसके अमल में आने पर आरक्षण का पूरा नियम ही बदल जाएगा.

SC/ST में भी क्रीमी लेयर आरक्षण को पूरी तरह बदल देगी जजों की ये बात
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST Reservation) को मिलने वाले आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि राज्य अपने यहां की ज्यादा वंचित जातियों के उत्थान के लिए एससी/एसटी वर्ग को मिलने वाले कोटे के अंदर कोटा बना सकते हैं. कोर्ट ने अपने इस ऐतिहासिक फैसले में एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर को लागू करने की भी बात कही है. सुप्रीम कोर्ट में इसके पक्ष में फैसला देने वाले 6 जजों में से 4 ने ऐसी बात कही है. वैसे अब तक सिर्फ OBC आरक्षण में ही क्रीमी लेयर की व्यवस्था लागू है. सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र मिश्रा शामिल थे. यह भी पढ़ें- SC/ST आरक्षण पर बड़ा फैसला, कोटे के अंदर मिलेगा कोटा, सुप्रीम कोर्ट का 6/1 से आदेश ‘असली समानता का यही एक तरीका’ इस बेंच में शामिल जस्टिस गवई ने अपने फैसले में कहा, ‘राज्य को एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें सकारात्मक कार्यवाही से इसके दायरे से बाहर करने की नीति विकसित करनी चाहिए. असली समानता हासिल करने का यही एकमात्र तरीक़ा है.’ यह भी पढ़ें- एक शख्स की दो बीवियां… मौत के बाद हुई पेंशन की टेंशन, फिर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई अपनी ताकत और… ‘एक पीढ़ी के बाद दूसरी को न मिले आरक्षण’ जस्टिस विक्रम नाथ ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा कि ओबीसी पर लागू क्रीमी लेयर का सिद्धांत एससी/एसटी आरक्षण पर भी लागू हो. वहीं जस्टिस पंकज मित्तल ने कहा कि आरक्षण एक पीढ़ी तक सीमित होना चाहिए. अगर एक पीढ़ी आरक्षण के जरिये हाई स्टेटस तक पहुंच गई है, तो अगली पीढ़ी इसकी (आरक्षण की) हकदार नहीं होनी चाहिए. जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने भी इस विचार का समर्थन किया है. हालांकि इस संवैधानिक बेंच की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्रा ने इस बारे में अपनी कोई राय नहीं दी है. सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच एससी/एसटी आरक्षण को लेकर 23 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें से मुख्य याचिका पंजाब सरकार ने दायर की है, जिसमें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को चुनौती दी गयी है. सीजेआई ने अपने और न्यायमूर्ति मिश्रा की ओर से फैसला लिखा, जबकि चार जजों ने अपने-अपने फैसले लिखे, जबकि जस्टिस गवई ने अलग फैसला दिया है. Tags: SC Reservation, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 13:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed