Opinion: मोदी सरकार की संतुलित विदेश नीति का असर SCO में भी भारत की ताकत नजर आई
Opinion: मोदी सरकार की संतुलित विदेश नीति का असर SCO में भी भारत की ताकत नजर आई
उज्बेकिस्तान के समरकंद में चल रहे SCO समिट में भारत का जलवा कायम है. अगले साल SCO का सम्मलेन भारत में होने जा रहा है. भारत SCO का एकमात्र सदस्य है जो आर्थिक महाशक्ति की तरह उभरकर सामने आया है. चीन कोविड के बाद आई मंदी तो रूस यूक्रेन युद्ध में फंसा है. पूर्व सोवियत सदस्य देश आर्थिक तौर पर पिछड़े हैं. SCO का दायरा भी अब बढ़ चुका है.
‘ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है.’
भारत ने खुद की तकदीर को इतना बुलंद किया है कि कि दुनिया का हर बड़ा देश गुजारिश कर रहा है कि साहब जरा हमारी बात तो सुनो.
ये डंका यूं ही नहीं बजा. इसके पीछे ऐसे फैसलों की लंबी फेहरिस्त है जिनकी वजह से भारत की बात का वजन अब भारी हो गया है. सबसे पहले जरा गौर कीजिए World Economic Forum में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान पर, जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि भारत अपनी विदेश नीति पर किसी का दखल बर्दाश्त नहीं करेगा और भारत वही करेगा जो उसके नागरिकों के लिए सही होगा. उस वक्त ये खुद्दारी अमेरिका समेत कई देशों की आंखों में खटक रही थी लेकिन भारत ने अपना अलग रास्ता चुनने का अधिकार कायम रखा है.
सस्ता तेल खरीदने की आज़ादी
यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने हर तरीका आजमाया. विदेश स्तर की 2+2 मीटिंग के जरिए भारत को दबाव में लाने के लिए मजबूर किया. लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि उसके हित सबसे पहले है. लिहाजा भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा. यूक्रेन युद्ध से पहले भारत अपनी जरूरत का सिर्फ 0.2 प्रतिशत तेल खरीदता लेकिन अब ये हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक पहुंच गई है. भारत ने अमेरिका के दो दुश्मनों ईरान और रूस के साथ अपने संबंधों को अमेरिका की तराजू पर तोलने से साफ इनकार कर दिया. इसे डंका नहीं तो क्या कहेंगे?
जी-7 के जरिए दबाव की कोशिश
अब जब कोई दबाव काम नहीं आया तो अमेरिका जी-7 के जरिए भारत-रूस के तेल संबंधों को खत्म करने की कोशिश कर रहा है. जी-7 के देश रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि रूस अपना तेल सस्ता न कर सके. इससे सबसे ज्यादा नुकसान चीन और भारत को होगा…लेकिन जी-7 देशों के लिए भारत को इस तरह नजरअंदाज करना इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि कोविड का संकट झेल रही चीन की इकोनॉमी के बाद सिर्फ भारत ही एक ऐसी इकोनॉमी है जो दुनिया में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है. ऐसे में भारत के बाज़ार को अपने सामानों के लिए बाहर करना समझदारी वाला फैसला नहीं होगा.
SCO में भारत का जलवा
उज्बेकिस्तान के समरकंद में चल रहे SCO समिट में भारत का जलवा कायम है. अगले साल SCO का सम्मलेन भारत में होने जा रहा है. भारत SCO का एकमात्र सदस्य है जो आर्थिक महाशक्ति की तरह उभरकर सामने आया है. चीन कोविड के बाद आई मंदी तो रूस यूक्रेन युद्ध में फंसा है. पूर्व सोवियत सदस्य देश आर्थिक तौर पर पिछड़े हैं. SCO का दायरा भी अब बढ़ चुका है. आठ पूर्णकालिक सदस्य हैं तो 6 डॉयलॉग कंट्रीज़ हैं. कुल मिलाकर 14 देशों के इस संगठन में एक भी अमेरिका का मित्र देश शामिल हैं. ऐसे में अमेरिका की नाराजगी के बावजूद भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के सिद्धांत का पालन करता नज़र आ रहा है.
SCO की अध्यक्षता
समरकंद में ही भारत को एससीओ समिट का अध्यक्ष बनाया जाएगा. इस दौरान चीन का दबदबा एससीओ से कम होता दिखाई दे रहा है. भारत 2023 के समिट में कुछ ऐसे देशों को बुला सकता है जिससे चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थता
अमेरिका और यूरोपीय देशों की अपील का बावजूद भारत ने सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ मतदान नहीं किया. भारत ने अपना रूख साफ कर दिया है कि वो अमेरिका और यूरोपीय देशों का पिछलग्गू नहीं है. खुद यूक्रेन की मदद करने के लिए ना तो नाटो आया और ना अमेरिका. भारत की तटस्थ रहने की नीति काम कर गई. आज यूक्रेन को भी समझ में आ रहा होगा कि यूरोपीय देशों और अमेरिका ने यूक्रेन को सिर्फ युद्ध की आग में झोंकने का काम किया है. भारत ने इस संकट का फायदा उठाते हुए रूस से और ज्यादा तेल खरीदा ताकि देश में महंगाई को कम किया जा सके. भारत युद्ध के पक्ष में नहीं था. भारत ने यूक्रेन से भी बातचीत करने का आग्रह किया था.
जी20 की मेजबानी
भारत की इमेज पिछले कुछ सालों में बिल्कुल बदल गई है. जब हर जगह मंदी (Slowdown) का साया है, भारत की अर्थव्यवस्था कुलांचे मार रही है. हाल में ब्रिटेन को पछाड़ भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका रुतबा लगातार बढ़ रहा है. अब वह दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली देशों के समूह जी20 की मेजबानी करने वाला है. अगले साल 9 और 10 सितंबर को यह बैठक होगी हालांकि, भारत ने इसे भी अपने अंदाज में आयोजित करने का मन बनाया है. जी20 के सदस्य देशों के अलावा वह इसमें मित्र देशों को भी इनवाइट करेगा. इनमें बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नाइजीरिया, नीदरलैंड्स, ओमान, स्पेन, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात गेस्ट होंगे. कुल अंतरराष्ट्रीय कारोबार में जी20 देशों की हिस्सेदारी 75 फीसदी है. ग्लोबल जीडीपी में इस समूह का हिस्सा 85 फीसदी है.
ईरान का इंडिया प्रेम
यूक्रेन से युद्ध के बाद रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत लगातार रूसी बाजार से तेल खरीद रहा है. ऐसे में साल 2019 से बंद तेल सप्लाई को अब ईरान एक बार फिर शुरू करना चाहता है. SCO में भारत और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात करेंगे जिन्होंने पिछले महीने ही कार्यभार संभाला है. ईरान चाहता है कि भारत अमेरिकी दबाव को हटाकर उससे ज्यादा से ज्यादा तेल खरीदे. इमरजिंग मार्केट में भारत के जलवे के बाद अब दुनिया हैरत में है कि सपेरों का देश अब अपनी बात इतने दमदार तरीके से कैसे रख पा रहा है.
(डिसक्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.)
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Tags: Indian economy, Narendra modi, PM ModiFIRST PUBLISHED : September 16, 2022, 16:26 IST