नीट पास करके भी विदेश क्यों जाते हैं भारतीय वापसी पर कैसे बनते हैं डॉक्टर
नीट पास करके भी विदेश क्यों जाते हैं भारतीय वापसी पर कैसे बनते हैं डॉक्टर
NEET 2024 Controversy: नीट यूजी पेपर लीक मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. इस बड़े स्कैम के तार कई राज्यों से जुड़े हुए थे. इसी बीच लोग यह भी जानना चाहते हैं कि इंडियन स्टूडेंट्स नीट यूजी परीक्षा पास करके भी भारतीय मेडिकल कॉलेज में एडमिशन न लेकर विदेश क्यों चले जाते हैं. जानिए इसकी वजह.
नई दिल्ली (NEET 2024 Controversy). देश के किसी भी प्राइवेट व सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए नीट परीक्षा पास करना जरूरी है. नीट का फुल फॉर्म नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट है. यह परीक्षा यूजी व पीजी, दोनों स्तरों पर होती है. इन दिनों नीट यूजी परीक्षा चर्चा में है. नीट यूजी पेपर लीक स्कैम का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. हर साल 20 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स नीट यूजी परीक्षा देते हैं. फिर उनमें से लाखों विदेशी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करते हैं.
Quora की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल करीब 7,50,000 स्टूडेंट्स विदेशी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं. विदेश से एमबीबीएस करने के लिए भारतीय स्टूडेंट्स रूस, चीन, कजाकिस्तान आदि देशों का रुख करते हैं. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि हर साल लाखों स्टूडेंट्स मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश क्यों जाते हैं? हैरानी की बात है कि इनमें से कई नीट क्वालिफाइड होते हैं तो कुछ ने नीट परीक्षा में अच्छे अंक भी हासिल किए होते हैं (NEET Result).
Medical Education: एमबीबीएस: भारत या विदेश?
इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, मेडिकल.. इन 3 कोर्सेस की बात करें तो सबसे ज्यादा मेडिकल फील्ड के ही स्टूडेंट्स पढ़ाई करने के लिए विदेश जाते हैं. हर साल विदेश से एमबीबीएस करने वालों की संख्या में काफी इजाफा देखा जा रहा है. इसके कई कारण बताए जाते हैं.
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1- विदेश में सस्ती है एमबीबीएस की पढ़ाई- भारतीय मेडिकल कॉलेजों की तुलना में विदेश से एमबीबीएस करना सस्ता पड़ता है. कुछ भारतीय मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस करोड़ों में पहुंच जाती है, जबकि कुछ विदेशी मेडिकल कॉलेज 10 लाख-50 लाख के बीच में पूरी पढ़ाई करवा देते हैं.
2- आसान है एडमिशन मिलना- भारत के प्राइवेट और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नीट पास करके ही एडमिशन मिलता है. अच्छे अंकों से नीट पास करने के बाद भी कई स्टूडेंट्स को टॉप मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाता है. वहीं, विदेश के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हासिल करना आसान है.
3- नीट क्वालिफाई करके बनेगा करियर- कुछ विदेशी मेडिकल कॉलेज उन भारतीय स्टूडेंट्स को अपने यहां एडमिशन देते हैं, जिन्होंने नीट क्वालिफाई भर किया हो. वह उसमें टॉप स्कोरर होने जैसी अनिवार्यता नहीं लगाते हैं.
4- कम पड़ जाती हैं सीटें- कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नीट पास करने वाले हर 11 स्टूडेंट्स में से किसी एक को ही मेडिकल कॉलेज में सीट मिल पाती है. ऐसे में अन्य स्टूडेंट्स के पास 2-3 विकल्प ही बचते हैं- वह विदेश जाएं, एक साल का ड्रॉप लें, या किसी कोटा के तहत एडमिशन लें.
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Abroad MBBS: विदेश से MBBS के बाद क्या होता है भविष्य?
विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करके भारत में करियर बनाना आसान नहीं है. भारत में डॉक्टरी की प्रैक्टिस करने के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन यानी एफएमजीई पास करना जरूरी है. इसके बिना किसी भी फॉरेन रिटर्न्ड मेडिकल ग्रेजुएट को डॉक्टरी का लाइसेंस नहीं मिल सकता है. यह परीक्षा बहुत कठिन होती है. कुछ ही स्टूडेंट्स इसमें पास हो पाते हैं. ऐसे में वह उन्हीं देशों में प्रैक्टिस करने लगते हैं या कई साल बर्बाद करके एफएमजीई की तैयारी में ही जुटे रहते हैं.
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New Medical Colleges: खुल रहें हैं नए मेडिकल कॉलेज
भारतीय मेडिकल कॉलेजों में सीटों और उनके दावेदारों की संख्या में काफी गैप है. इसे भरने के लिए देश में 100 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं. अब इनमें से कितनों को मान्यता मिलेगी और कितने रिजेक्ट हो जाएंगे, इसके बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन यह तो है कि इतने मेडिकल कॉलेज खुल जाने से स्टूडेंट्स के लिए भारत से एमबीबीएस की पढ़ाई करना आसान हो जाएगा. उन्हें सीटों की कमी के चलते विदेश नहीं जाना पड़ेगा.
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Tags: Abroad Education, Government Medical College, MBBS student, NEETFIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 10:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed