चीन ने भारतीय छात्रों के लिए खोला बॉर्डर लेकिन जाने के लिए फ्लाइट नहीं अब केंद्र से मदद की मांग
चीन ने भारतीय छात्रों के लिए खोला बॉर्डर लेकिन जाने के लिए फ्लाइट नहीं अब केंद्र से मदद की मांग
China News: एसोसिएशन का यह भी कहना है कि भारत सरकार की ओर से भले ही चार्टर्ड प्लेन की व्यवस्था पूरी तरह से मुफ्त नहीं हो, लेकिन रियायती दरों पर इन उड़ानों की पेशकश की जा सकती है. आधिकारिक आंकड़ों की माने तो करीब 20,000 से ज्यादा भारतीय छात्र चीन में पढ़ाई करते हैं.
हाइलाइट्सचीन ने भारतीय छात्रों की वापसी के लिए सीमाएं खोली, एनओसी जारी कीछात्रों ने केंद्र सरकार से रियायती दरों पर चार्टर्ड प्लेन चलाने की लगाई गुहारसामान्य फ्लाइट का खर्चा 50 हजार से बढ़कर 2 लाख हो गया
नई दिल्ली. महामारी से जूझ रही दुनिया अब इससे उबरने लगी है. पिछले दो सालों में कई देशों ने पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए अपने बॉर्डर खोले हैं. इस दिशा में चीन ने बड़ा कदम उठाते हुए उन सभी भारतीय छात्रों के लिए अपनी सीमाएं खोल दी हैं, जो चीन में उच्च शिक्षा कोर्स कर रहे हैं या करना चाहते हैं. कई यूनिवर्सिटीज की ओर से कैंपस वापसी के लिए छात्रों को एनओसी जारी की जा रही हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक चीन की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद भारतीय छात्रों के लिए थोड़ी मुश्किल भी हो रही है. छात्रों और उनके पैरेंट्स का कहना है कि चीन के लिए सीधी उड़ान नहीं हैं. ऐसे में छात्र चीन वापस जाने के रास्ते तलाश कर रहे हैं, जिसके लिए उनको बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. छात्र केंद्र सरकार से भी गुहार लगा रहे हैं कि वह उनके लिए चार्टर्ड उड़ानों की व्यवस्था करे.
रिपोर्ट की माने तो सामान्य समय में चीन की यात्रा के लिए फ्लाइट टिकट का खर्च 50 हजार रुपए से ज्यादा नहीं उठाना पड़ता है. लेकिन अब फ्लाइट टिकट की कीमत 2 लाख रुपए हो गई है. छात्रों को इससे बहुत परेशानी हो रही है. फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट पैरेंट्स एसोसिएशन (FMGPA) के प्रेजिडेंट एंड्रयू मैथ्यूज का कहना है कि इसकी एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि चीन में पढ़ाई करने वाले अधिकांश छात्र मिडिल क्लास वर्ग के परिवारों से आते हैं. अब चीन ने अपने बॉर्डर खोले हैं तो ऐसे में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है. यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह उन सभी छात्रों के लिए अपनी कक्षाओं में लौटने की व्यवस्था करवाए.
छात्र और पैरेंट्स की ओर से सरकार से आग्रह किया जा रहा है कि जिस तरह से कोरोना संक्रमण के दौरान विदेशों से भारतीयों को वापस लाने के लिए वंदे भारत मिशन के तहत चार्टर्ड प्लेन की व्यवस्था की गई थी, अब वैसे ही इन सभी छात्रों को चीन पहुंचाने के लिए चार्टर्ड प्लेन जैसी व्यवस्था करवानी चाहिए. एसोसिएशन के संयुक्त सचिव मोहम्मद सगीर ने कहा इस पूरे मामले में केंद्रीय विदेश मंत्रालय को पत्र भी लिखा गया है. मंत्रालय को यह पत्र ईमेल के जरिए भेजा गया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
एसोसिएशन का यह भी कहना है कि भारत सरकार की ओर से भले ही चार्टर्ड प्लेन की व्यवस्था पूरी तरह से मुफ्त नहीं हो, लेकिन रियायती दरों पर इन उड़ानों की पेशकश की जा सकती है. आधिकारिक आंकड़ों की माने तो करीब 20,000 से ज्यादा भारतीय छात्र चीन में पढ़ाई करते हैं, इनमें से ज्यादातर चिकित्सा का अध्ययन कर रहे हैं. लेकिन चीन में सख्त कोविड यात्रा प्रतिबंधों के कारण व्यक्तिगत रूप से कक्षाओं में शामिल नहीं हो पाए हैं. केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद पिछले माह चीनी सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए सीमाओं को फिर से खोलने की घोषणा की और छात्र वीजा जारी करने की योजना बनाई है. भारत ने पहले कई सौ छात्रों की एक लिस्ट भी चीन को सौंपी थी, जोकि अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए तुरंत चीन लौटना चाहते थे. उन सभी लोगों के नाम मांगे गए थे.
छात्र प्रतिनिधियों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय छात्रों वाले 45 चीनी विश्वविद्यालयों में से 12 ने छात्रों को वापस आने की अनुमति देते हुए एनओसी जारी कर दिया है, जबकि अन्य ने प्रक्रिया शुरू कर दी है. छात्रों का भी कहना है कि चार्टर्ड प्लेन “सबसे अच्छा विकल्प” होगा. खासकर उन अधिकांश विश्वविद्यालयों के लिए जिन्होंने डेडलाइन तय कर एनओसी जारी की है.
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Tags: Chartered Plan, Covid19 Pandemic, Foreign Universities, Ministry of External AffairsFIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 08:34 IST