यहां बीमार पेन का इलाज होता है 77 साल से चल रहा है ये अस्पताल

1945 में शुरु हुए इस अस्पताल में आज भी जारी है पुराने से पुराने कलम का इलाज. यहां पार्कर डूओफोल्ड, वाटर मेन 52, पार्कर 51 से लेकर पार्कर 181 तक सब मिलता है. देश भर से आते हैं vintage पेन के ऑर्डर.

यहां बीमार पेन का इलाज होता है 77 साल से चल रहा है ये अस्पताल
किसी अस्पताल को देखकर उसे एक्सप्लोर करने की चाहत शायद ही किसी में होगी. लेकिन, एक ऐसा भी अस्पताल है, जिसे देखकर सिर्फ एक्सप्लोर करने का ही मन नहीं करेगा, बल्कि अधिक संभावना है कि आप अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों में खो जाएं. अस्पताल है, पेन का, यानी पेन अस्पताल. जहां लिखा है, ‘यहां बीमार पेन का इलाज होता है.’ कोलकाता के भीड़-भाड़ वाले मार्केट एस्प्लनेड के चौरंगी मेट्रो के गेट नंबर चार के पास एक गली में मौजूद ये अस्पताल अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है. इन दिनों उसे तीसरी पीढ़ी संभाल रही है. पेन अस्पताल के मालिक मोहम्मद इम्तियाज न्यूज 18 से बात करते हुए कहते हैं, “1945 में इस पेन अस्पताल को मेरे दादा मोहम्मद शम्सुद्दीन ने खोला था. बाद में पिता ने दुकान संभाली और 1980 से मैं संभाल रहा हूं.” पहले छोटे भाई देते थे साथ, लेकिन अब वो नहीं रहे 60 साल के इम्तियाज शुरुआती दिनों का जिक्र करते हुए कहते हैं, “12 सालों तक अकेले ही दुकान संभाली. 1992 में दुकान के काम-काज में हाथ बंटाने के लिए छोटे भाई मोहम्मद रियाज़ भी जुटे और कलम का इलाज करने लगे. तब से दोनों भाई मिलकर ही यह दुकान चलाते थे. दिन में उनका भाई दुकान चलाता और शाम को वह चलाते थे. दुकान के साथ ही उनकी एक कपड़ों की दुकान भी थी. इस साल मार्च में रियाज़ की मृत्यु हो गई और अब वह अकेले ही दुकान संभालते हैं. कपड़े की दुकान बंद भी हो गई.” 77 साल के तजुर्बे पर भरोसा है ग्राहकों को वह कहते हैं, “यहां हर तरह के पेन का इलाज किया जाता है. सस्ते से सस्ता पेन, महंगे से महंगा और पुराने से पुराना पेन उनकी दुकान में ठीक किया जाता है. ग्राहकों को भी हमारे 77 साल के तजुर्बे पर भरोसा है. फाउंटेन पेन ठीक करना सबके बस की बात नहीं है. इसमें काफ़ी तकनीकी का उपयोग होता है. लेकिन, हमारे पास फाउंटेन पेन की निब ठीक करने का सालों का तजुर्बा है. अभी भी कोई भी फाउंटेन पेन की निब ठीक कर सकते हैं. इसके साथ ही लोग अपने महंगे-महंगे बॉल और रोलर पेन भी ठीक कराने यहां आते हैं.” 19 साल की उम्र से ठीक कर रहे हैं कलम इम्तियाज़ कहते हैं, “मैं 19 साल की उम्र से कलम ठीक करने का काम कर रहा हूं. पहले पिता के साथ दुकान आया करता था. पिता और उनके कारीगर काम करते थे. उन्हें देख-देखकर मैं भी सीख गया. हालांकि, मैं कुछ और व्यवसाय करना चाहता था. लेकिन, पिता की इच्छा थी तो यहां लग गए. हालांकि, बाद में जब छोटा भाई भी इसमें जुड़ गया तो कपड़े की भी दुकान खोल ली.” पेन प्रेमियों की वजह से चल रही दुकान वह कहते हैं, “पेन प्रेमियों की वजह से ही उनकी दुकान इतने सालों से चल रही है. बीच में काफ़ी बुरा वक़्त भी आया था. ग्राहक नहीं आते थे. फाउंटेन पेन का दौर गुज़र चुका था. मार्केट में नए-नए पेन जैसे कि बॉल पेन, रोलर पेन, जेल पेन और यूज़ एंड थ्रो का चलन था. हालांकि, पिता ने ही दुकान में विदेशी कलमों का इलाज शुरू किया था. हम लोग भी सीख गए थे. तभी से दुकान में चाइनीज पेन से लेकर पेरिस से आए हुए कलम तक का इलाज होता है.” विंटेज पेन हैं दुकान की खासियत अभी भी कई सारे पेन प्रेमी हैं जो दूर- दूर से उनसे विंटेज पेन ठीक कराने और खरीदने आते हैं. उनकी इस दुकान की खासियत ही विंटेज पेन हैं. देश के हर राज्य से लोग उनसे पेन खरीदने आते हैं. पेन ठीक कराने के लिए लोग कूरियर से भेजते हैं. हम लोग फोन करके या वाट्सऐप पर मैसेज करके ऑर्डर कर देते हैं. उन्हें जो भी कलम चाहिए होती है वो उसकी तस्वीरें भेज देते हैं और हम ले आते हैं. mountblanc है सबसे महंगी कलम दुकान में 100 रुपये से शुरु होकर लाखों तक के कलम बिकते हैं और ठीक होते हैं. सालों पहले मार्केट में बिकने वाले कलम जैसे पार्कर डूओफोल्ड, वाटर मेन 52, पार्कर 51, पार्कर 45, पार्कर 21, पार्कर 181 से लेकर पार्कर वाकुमेटिक, Conklin Endura, Sheaffer Imperial और Sheaffer Targa तक सब उपलब्ध हैं. उनके यहां सबसे महंगी बिकने वाली कलम mountblanc है. इसे हाथी के दांत वाली कलम के नाम से भी जाना जाता है. इसकी निब बहुत ही खास तरीके से बनाई जाती है. इसकी निब को बनाने के लिए गोल्ड रिबन का प्रयोग होता है. रिबन को मशीन की मुहर लगा कर निब बनाया जाता है. उसके बाद इसे हाथों से पॉलिश करके चमकदार बनाते है. इस एक कलम को बनाने में काफ़ी वक़्त लगता है. आगे कौन विरासत को बढ़ाएगा, नहीं मालूम… वह कहते हैं “किसी भी vintage चीज़ की कीमत उसके वक़्त के साथ बढ़ती ही रहती है. जितना पुराना पेन उतनी ही ज़्यादा कीमत. कई सारे पेन के ऑर्डर पूरे करने में महीनों तक का समय लग जाता है क्योंकि वो आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं.” वह कहते हैं कि उनके और उनके भाई के बेटे हैं, लेकिन सबका अपना-अपना अलग व्यवसाय है. हमारे बाद कोई इस दुकान का खयाल रखेगा कि नहीं यह हम नहीं जानते हैं. अगर बच्चों को मन हुआ तो सीखेंगे और काम जारी रखेंगे. वरना अपना व्यवसाय चलाएंगे. अभी तो केवल मैं ही दुकान संभालता हूं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: up24x7news.com Hindi OriginalsFIRST PUBLISHED : July 18, 2022, 10:30 IST