ममता की पुलिस की वाटर कैनन के आगे अडिग रहे कौन हैं बलराम बोस

कोलकाता के नबन्ना प्रोटेस्ट के वायरल हो रहे हैं बलराम बोस. उन्होंने बताया कि वह बेटियों की सुरक्षा और निरंकुश शासन के खिलाफ प्रोटेस्ट करने हावड़ा ब्रिज पर गए थे. उनका ना ही छात्रों से और ना ही किसी पॉलिटिकल पार्टी से कोई लेना देना नहीं है.

ममता की पुलिस की वाटर कैनन के आगे अडिग रहे कौन हैं बलराम बोस
कोलकाता. कोलकाता के आरजीकर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या के खिलाफ में छात्रों ने 27 अगस्त को ‘नबन्ना आंदोलन’ मार्च का अह्वान किया था. मार्च से पहले पुलिस ने शहर को किले में तब्दील कर दिया था. मंगलवार को सैकड़ों छात्रों ने ‘नबन्ना अभियान’ आंदोलन शुरू किया था. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े. हालांकि, उस भीड़ की वायरल वीडियो में एक शख्स ने लोगों का ध्यान खिंचा. छात्रों के मार्च के दौरान, हावड़ा पुल पर, पुलिस की वाटर कैनन की धार के बीच गेरूआ कपड़ा धारण किए….हाथ में तिरंगा लिए साधु अडिग खड़ा था. वह पुलिस की वार को चुनौती देते हुए, को पुलिस की वाटर कैनन की धार उनको हिला नहीं पाई. देखते ही देखते भारत के मेन स्ट्रीम मीडिया में छा गए. इनका नाम है बलराम बोस. इन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि वह छात्रों के मार्च में क्यों गए. सामाचार एजेंसी एएनआई से उन्होंने प्रोटेस्ट को लेकर बात की है. उन्होंने बताया, ‘छात्र ने प्रोटेस्ट को कॉल किया था. सभी जगह कहा जा रहा था कि हर घर से हर घर से एक आदमी को जाना चाहिए. तो मेरे घर में भी मेरी बेटी है, मेरे परिवार में मेरी बहन और मेरी दीदी और भौजी है. हमलोगों को उनकी सुरक्षा के बारे में चिंता करना है. अगर हमारे समाज ठीक से रहे नारी का सम्मान हो, अगर नारी का सम्मान नहीं मिलता है तो उस जगह पर देवता भी निवास नहीं करते है.’ #WATCH | Kolkata: Balram Bose, who took part in the ‘Nabanna Abhiyan’ march yesterday, says, “The agitation was called by students but it was said that one individual from every household should join it. I too have women in my house. So, we should be concerned for their safety.… https://t.co/25ejt95Dd8 pic.twitter.com/trqbGREtGa — ANI (@ANI) August 28, 2024

उन्होंने आगे कहा, ‘आंदोलन में भाग लेते समय मुझे विश्वास था कि हमें अपना काम करना होगा. अगर मैं वहां मर भी जाता तो वहां से नहीं हटता. मैं उन्हें उस गुलामी से मुक्त होने का इशारा कर रहा था, जिसका अनुसरण पुलिसवाले कर रहे थे, वे एक निरंकुश शासन के इशारों पर काम कर रहे थे. मैं अपने हाथ में चूड़ी दिखाते हुए कहना चाह रहा था कि वे हथकड़ी का साथ छोड़ें और हमारे मार्च में शामिल हों.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इस मुद्दे को पॉलिटिकल न बनाया जाए. मैं आपसे हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि आइए बैठिए, इसका हल निकालिए…. नहीं तो दूसरा मार्च फिर से निकलेगा. अगर हल नहीं निकाल सकते हैं तो इतनी ताकत से पानी की बौछारें करो कि हम सब बह जाएं…’

वहीं, उन्होंने अपने सनातनी होने के बारे में भी बताया, ‘मैं एक सनातनी हूं, भगवान शिव का भक्त हूं…मैं किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा हूं और ना ही चाहता हूं कि कोई राजनीतिक दल इस आंदोलन को प्रभावित करे या उसका ध्यान भटकाए. हम न्याय चाहते हैं. बोस ने कहा कि छात्रों की तरफ से कहा गया था कि हर घर से आंदोलन में एक व्यक्ति शामिल हो. इसलिए हम वहां गए थे.’

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