सियासत में घुसते ही PK का बदला लहजा क्यों बोलने लगे दबंगों की भाषा
सियासत में घुसते ही PK का बदला लहजा क्यों बोलने लगे दबंगों की भाषा
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर पर क्या दबंगई का रंग चढ़ गया है? पीके क्यों करने लगे हैं उल्टा टांगने की बातें? क्या यूपी-बिहार में राजनीति करने के लिए दबंगों की भाषा बोलना जरूरी है? पढ़ें यह रिपोर्ट...
पटना. बिहार की राजनीति में हाल ही में पदार्पण करने वाले प्रशांत किशोर फिर से चर्चा में आ गए हैं. इस बार उनके एक बयान से राजनीति में गर्माहट आ गई है. तरारी विधानसभा में जन सुराज पार्टी का पोस्टर किसी ने फाड़ दिया. मीडिया ने जब प्रशांत किशोर से पोस्टर के फाड़े जाने पर सवाल पूछा तो उन पर यूपी-बिहार की राजनीति का रंग चढ़ गया और उन्होंने कहा, ‘बिहार के अपराधी प्रशांत किशोर को नहीं जानते हैं. मैं डरने वाला नहीं हूं. बिना सिपाही के चलता हूं. ऐसे-ऐसे सैंकड़ों अपराधियों को उल्टा टांग देंगे और पता भी नहीं चलेगा. यहां मुखिया भी जीतता है तो गनमैन लेकर चलता है. लेकिन, मैं पिछले दो साल से पैदल चल रहा हूं, एक भी सिपाही मेरे साथ नहीं है.’ दरअसल, राजनीति में प्रशांत किशोर अपराधीकरण को खत्म करने के नाम पर ही आए थे. लेकिन, उनकी भाषा रंगबाजों और बाहुबलियों जैसे कैसे हो गई?
प्रशांत किशोर के इस बयान को लोग अलग-अलग तरह से मायने निकाल रहे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रशांत किशोर एक विजन के साथ पार्टी का गठन किया है और वह उसी मकसद के साथ चुनाव भी लड़ रहे हैं. लेकिन, उल्टा टांग देना, मेरे साथ एक भी सिपाही नहीं, ऐसे शब्दों का प्रयोग करना क्या प्रशांत किशोर के लिए मजबूरी है या फिर प्रशांत किशोर पर भी यूपी-बिहार की राजनीति का रंग चढ़ने लगा है?
क्या है जेपी नड्डा की छठ डिप्लोमेसी, इस दिन ही क्यों आए बिहार, नीतीश को मनाने या समझाने?
राजनीति में आते ही पीके पर चढ़ा दबंगई का रंग
आमतौर पर प्रशांत किशोर की यह भाषा नहीं है. क्योंकि, प्रशांत किशोर जब बिहार में पदयात्रा कर रहे थे तो भी उन्होंने कभी उल्टा टांग देने की बात नहीं की थी. लेकिन, राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद उनको समझ में आने लगा है कि बिहार में राजनीति करनी है तो ऐसे ही करनी पड़ेगी वरना उनका हाल भी पुष्पम प्रिया चौधरी वाला हो सकता है.
क्या यूपी-बिहार में सिर्फ दबंग ही कर सकते हैं राजनीति?
जानकार बताते हैं कि यूपी-बिहार में राजनीति करना सब आदमी के बूते की बात नहीं है. यूपी-बिहार में पॉलिटिक्स करना कठिन ही नहीं बहुत ही कठिन काम है. आंकड़ा बताता है कि यूपी-बिहार में या तो बहुत पढ़े-लिखे लोग राजनीति में आते हैं या फिर मुखिया, सरपंच, जिला पार्षद या रंगबाज टाइप का व्यक्ति राजनीति में आता है. इन सबसे जो बचता है वह परिवारवाद की वजह से राजनीति में आ जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यूपी-बिहार के 70 प्रतिशत से भी ज्यादा नेताओं पर क्रिमिनल रिकॉर्ड हैं.
राजनीति में कौन सी भाषा जनता समझती है?
कहा जाता है कि राजनीति में साम, दाम, दंड-भेद सब आजमाना पड़ता है. शायद प्रशांत किशोर को राजनीति में आने के बाद समझ में आने लगा है कि यहां साफ छवि के लोगों को भी उल्टा लटकाने की बात करना पड़ता है. क्योंकि, जनता को ऐसे ही नेताओं की बोली सुनने की आदत लगी हुई है. शायद इसलिए प्रशांत किशोर भी जनता के लिए ऐसी भाषा प्रयोग करने लगे हैं.
क्यों दिया तीन दागियों को टिकट?
वैसे, प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज बिहार उपचनाव में चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पीके राजनीति में फैली गंदगी को साफ करने की बात पूरे बिहार में अपनी पदयात्रा के दौरान बोलते रहे. लेकिन, जब टिकट देने की बारी आई तो उनके चार में से तीन प्रत्याशियों को क्रिमिनल रिकॉर्ड का पता चला है.
बिहार में रामगढ़, बेलागंज, इमामगंज और तरारी में विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं. प्रशांत किशोर की पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है. लेकिन, तरारी विधानसभा सीट की प्रत्याशी किरण देवी को छोड़ कर बाकी सभी प्रत्याशी पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, मारपीट, चोरी, रंगदारी, चेक बाउंस, हमला के मामले दर्ज हैं. अब वही प्रशांत किशोर सरेआम बोल रहे हैं कि अपराधियों को उल्टा लटका देंगे.
Tags: Bihar News, Prashant Kishor, Prashant KishoreFIRST PUBLISHED : November 8, 2024, 20:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed