कामयाबी: मंकीपॉक्स का पता लगाने के लिए पहला मेड इन इंडिया किट लॉन्च
कामयाबी: मंकीपॉक्स का पता लगाने के लिए पहला मेड इन इंडिया किट लॉन्च
Monkeypox Test Kit: ट्रांस एशिया एरबा मंकीपॉक्स आरटी पीसीआर किट बेहद संवेदनशील किंतु इस्तेमाल में आसान है. ट्रांस एशिया के संस्थापक अध्यक्ष सुरेश वजीरानी ने कहा कि इस किट की सहायता से संक्रमण का जल्दी पता लगाया जा सकेगा.
विशाखापत्तनम. मंकीपॉक्स की जांच करने के लिए पहला स्वदेशी निर्मित आरटी पीसीआर किट आंध्र प्रदेश के मेडटेक जोन में शुक्रवार को पेश किया गया. ट्रांस एशिया बायो मेडिकल्स द्वारा विकसित इस किट का अनावरण, केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद ने किया. ट्रांस एशिया एरबा मंकीपॉक्स आरटी पीसीआर किट बेहद संवेदनशील किंतु इस्तेमाल में आसान है. ट्रांस एशिया के संस्थापक अध्यक्ष सुरेश वजीरानी ने कहा कि इस किट की सहायता से संक्रमण का जल्दी पता लगाया जा सकेगा.
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है. हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा, ‘मंकीपॉक्स एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है. मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं.
बीमारी के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है.
संक्रमण का प्रसार कैसे होता है?
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है. यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है. यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है.
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Tags: MonkeypoxFIRST PUBLISHED : August 20, 2022, 00:00 IST