24 पत्थर खोल सकते हैं इस मीनार में छिपे बेसकीमती खजाने का रहस्य
24 पत्थर खोल सकते हैं इस मीनार में छिपे बेसकीमती खजाने का रहस्य
यमुना किनारे स्थित विश्राम घाट पर बना है सती बुर्ज. इस बुर्ज के स्थम्भ पर चारों ओर कलाकृति बनी हुईं हैं. ऐसा कहा जाता है की ये कलाकृति किसी खजाने को खोजने में अपनी अहम भूमिका निभा सकतीं हैं. सती बुर्ज रानी की याद में बनवाया गया था. ऐसा भी कहा जाट है कि राजा बिहारी लाल की पत्नी इसी स्थान पर सती हुईं थीं.
मथुरा: यूपी का मथुरा प्राचीन समय से है राजाओं का राज स्थान रहा है. यहां की धरोहर आज भी राजाओं की याद को सजोए हुए है. राजस्थान के कई राजा ऐसे रहे जिनकी मथुरा में सम्पत्ति आज भी मौजूद है. राजा महेंद्र प्रताप के अलावा अकबर के ससुर की याद भी मथुरा से जुडी हैं. अकबर के ससुर की मृत्यु होने के बाद उनकी पत्नी भी यहीं सती हो गईं थी. इस स्थम्भ को सती बुर्ज के नाम से जाना जाता है.
यमुना किनारे विश्राम घाट पर बने सती बुर्ज में है खजाने का रहस्य
भले है मथुरा को कृष्ण की नगरी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस नगरी के राजा कंस ने मथुरा को एक अलग ही पहचान दिलाई. मथुरा मामा कंस की राज नगरी रही है. कंस ने कई सौ वर्ष मथुरा पर राज किया. जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे यहां मुस्लिम आकृताओं ने इस नगरी को लूटना शुरू किया. राजाओं ने इस नगरी में स्थापित कराई हुईं धरोहरों को भी मुस्लिम आकृताओं ने छिन्न विन्न करने में कोई कसर नहीं छोडी.
मथुरा में आज भी ऐसी दर्जनों धरोहर हैं जो राजाओं के राज की कहानी बताती हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है विश्राम घाट स्थित यमुना किनारे बने सती बुर्ज की. ये सती बुर्ज अपने अंदर एक बड़ी दिलचस्प रहस्य को समेटे हुए है. ऐसा कहा जाता है कि इस सती स्थम्भ में करोड़ों का बेशकीमती खजाना छिपा हुआ है. सती स्थम्भ के चारों ओर अंकित कलाकृति उस खजाने के रहस्य से पर्दा उठा सकती हैं. इस सती बुर्ज का निर्माण करीब 1570 ई. में कराया गया था.
राजा बिहारी लाल की पत्नी की याद में बनवाया गया था सती बुर्ज
इतिहासकार सुभाष चंद ने बताया कि राजस्थान के कई राजाओं की धरोहर मथुरा वृन्दावन में आज भी मौजूद हैं. राजा मान सिंह, राजा महेंद्र प्रताप और ऐसे कई राजा रहे जिनकी राज धरोहर उस समय की याद दिलाती हैं. इतिहासकार ने कहा कि यमुना किनारे बने सती स्थम्भ भी राजाओं की निशानी है. उन्होंने कहा कि अकबर के ससुर राजा बिहारी लाला की मृत्यु 1570 ईसवीं में हुई थी. उसी वक़्त उनकी रानी भी उनकी मृत्यु के समय यहां सती हुईं. राजा बिहारी लाल की अंत्योष्टि विश्राम घाट पर की गई थी. उनकी स्मृति में उनके पुत्र राजा भगवान दास ने वहां एक स्तंभ का निर्माण कराया था, जो ‘सती का बुर्ज’ कहलाता है. मथुरा की वर्तमान इमारतों में यह सबसे प्रचीन है. यह बुर्ज 55 फीट ऊँचा है, और चौमंज़िला बना हुआ है.
स्थम्भ पर अंकित कलाकृति खोल सकती हैं खजाने का राज
जानकारों का ये भी मानना है की ये इमारत देखने में काफ़ी खूबसूरत थी. इसके ऊपरी भाग को मुस्लिम शासक औरंगजेब के काल में गिरा दिया गया था. कालांतर में टूटे भाग की मरम्मत ईंट-चूने से कर दी गई थी. बता दें कि़ इमारत के नीचे की मंजिलों में खिड़कियाँ, छ्ज्जे तथा महराबें आदि हैं, उन पर बेल-बूँटे, पुष्पावली और विविध पशुओं की आकृतियाँ उत्कीर्ण की गयीं हैं. इन बुर्ज में बनी कलाकृतियों की हिन्दू स्थापत्य की झांकी मिलती है. स्तंंभ में जो कलाकृति लगी हुईं हैं, वह किसी खजाने का नक्शा है और यह कलाकृति खजाना खोजने में अहम भूमिका निभा सकती हैं. इस इमारत को सती बुर्ज के नाम से भी जाना जाता है.
सती बुर्ज पुरातत्व विभाग की धरोहर
यह मारत सती बुर्ज 55 फ़ीट ऊँची, चारमंज़िला, छरहरी चतुर्भुज इमारत है, जिसके ऊपर छोटी गुम्बदनुमा छत है. इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. इसे गुणोत्तर प्रतिरूप की अलंकारिक उत्कीर्ण दीवारों पर बने जानवरों के मूलभाव की नक्कशी द्वारा सुसज्जित किया है. कहा जाता है कि यह उस समय की सबसे ऊँची इमारतों में से एक है.
FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 09:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed