तमिलनाडु: रिपोर्ट में बड़ा खुलासा- दलित पंचायत अध्यक्षों के लिए नहीं है कुर्सी झंडा फैहराने के अधिकार से भी वंचि
तमिलनाडु: रिपोर्ट में बड़ा खुलासा- दलित पंचायत अध्यक्षों के लिए नहीं है कुर्सी झंडा फैहराने के अधिकार से भी वंचि
Tamil Nadu Dalit Panchayat, Tamil Nadu News: टीएनयूईएफ द्वारा किए गए एक क्षेत्र सर्वेक्षण के अनुसार, तमिलनाडु में 2000 से अधिक पंचायतों में दलित नेता हैं. इसमें 24 जिलों की 386 पंचायतों का अध्ययन टीएनयूईएफ के सदस्यों ने किया. यह पुष्टि की गई है कि, तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा के महासचिव सैमुअल राज के अनुसार, सभी पंचायतें में किसी न किसी रूप में अस्पृश्यता बनी हुई है.
Archana R
नई दिल्ली: तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा यानी टीएनयूईएफ के एक सर्वेक्षण में हैरान करने वाली बात का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार राज्य में दलित समुदाय के पंचायत अध्यक्षों के साथ भेदभाव की बात सामने आई है. सर्वे में शामिल किए गए 386 पंचायतों में 22 पंचायत ऑफिस ऐसे थे जहां दलित पंचायत अध्यक्षों के लिए कुर्सी नहीं थी.
टीएनयूईएफ की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 24 जिलो में किए गए सर्वेक्षण में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कई दलित पंचायत नेताओं को राष्ट्रीय ध्वज फैराने से भी वंचित किया जाता है, उन्हें अक्सर जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
राष्ट्रीय ध्वज फैरान में भी हो रहा भेदभाव
कई बार दलित पंचायत अध्यक्षों को स्थानीय निकायों के कार्यालयों में प्रवेश से वंचित कर दिया जाता है और कभी कभी उन्हें ऑफिस में रखे दस्तावेजों को भी छूने से मना कर दिया जाता है. भारत आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है और तमिलनाडु में अभी भी कई जिलों में इस हद छुआछूत फैली हुई है कि कुछ लोग इस कारण राष्ट्रीय ध्वज फैहराने में असमर्थ हैं.
सभी पंचायतों में मौजूद है छुआछूत की भावना
टीएनयूईएफ द्वारा किए गए एक क्षेत्र सर्वेक्षण के अनुसार, तमिलनाडु में 2000 से अधिक पंचायतों में दलित नेता हैं. इसमें 24 जिलों की 386 पंचायतों का अध्ययन टीएनयूईएफ के सदस्यों ने किया. यह पुष्टि की गई है कि, तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा के महासचिव सैमुअल राज के अनुसार, सभी पंचायतें में किसी न किसी रूप में अस्पृश्यता बनी हुई है.
सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि 42 पंचायतों में के बोर्ड में पंचायत अध्यक्ष का नाम भी नहीं है. 22 दलित पंचायत अध्यक्षों के लिए कार्यालय में कुर्सी तक नहीं थी. 14 पंचायत अध्यक्षों को कार्यालय की चाबी नहीं मिली, वहीं 39 पंचायतों के दस्तावेज और नक्शे अध्यक्ष को नहीं सौंपे गए. पुरुषों के साथ साथ 17 पंचायत महिलाओं को भी भेदभाव का सामना करना पड़ा.
दलित नेताओं को दी जानी चाहिए सुरक्षा
अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा के नेता, चेल्लाकन्नू ने कहा कि मोर्चा चाहता है कि दलित पंचायत नेताओं को उचित सुरक्षा प्रदान की जाए और उनके लिए शिकायत दर्ज करने के लिए तंत्र बनाया जाए. शिवगंगा की कीझापुंकोडी पंचायत की अध्यक्ष शनमुगावल्ली ने कहा कि उन्हें पंचायत से संबंधित कागजी कार्रवाई नहीं मिली है और गैर-दलित तब तक सहयोग नहीं करेंगे जब तक वे ग्राम सभा की बैठक में नहीं आते.
रिपोर्ट जारी होने के बाद टीएनयूईएफ के सैमुअल राज ने कहा, ‘रिपोर्ट में जिन जिन बातों का खुलासा हुआ है वह सच में हैरान करने वाले और चिंताजनक हैं. देश आजादी का जश्न मना रहा है लेकिन पंचायत अध्यक्षों को ध्वज फैराने और कुर्सी में बैठने की इजाजत नहीं मिल रही है. यह मुद्दा अब तक राज्य की 20 से अधिक पंचायतों में मौजूद है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में जातिगत पूर्वाग्रह अभी भी अपने पैर जमाए हुए है.
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Tags: Azadi Ka Amrit Mahotsav, Tamil naduFIRST PUBLISHED : August 12, 2022, 20:30 IST