पेशाब के लिए रूका आदमी स्कूटी उड़ा ले गया चोर 8 साल की लंबी लड़ाई के बाद मिला मुआवजा जानें मामला
पेशाब के लिए रूका आदमी स्कूटी उड़ा ले गया चोर 8 साल की लंबी लड़ाई के बाद मिला मुआवजा जानें मामला
Man long battle for insurance: गुजरात के एक व्यक्ति को जब जोर से पेशाब लगा तबउसने सड़क किनारे स्कूटी को खड़ा कर करने लगा और जल्दीबाजी में चाबी उसी में छोड़ दिया. इतने में चोर ने स्कूटी पर हाथ साफ कर दिया. उसने कंज्यूमर कोर्ट में मामला दर्ज किया लेकिन फैसला हक में नहीं आया. इसके बाद 8 साल तक उसने लंबी लड़ाई लड़ी.
हाइलाइट्सस्कूटर से गांधीनगर जा रहा था आदमीरास्ते में पेशाब के कारण रूकना पड़ागलती से चाबी स्कूटर में ही भूल गया
नई दिल्ली. गुजरात में एक व्यक्ति को पेशाब करते समय स्कूटर में चाबी छोड़ना इतना महंगा पड़ गया कि न सिर्फ उसे स्कूटर से हाथ धोना पड़ा बल्कि स्कूटर के इंश्योरेंस हासिल करने के लिए उसे 8 साल की लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी. टीओआई की खबर के मुताबिक दरअसल, यह मामला 24 मई 2014 का है. कुबेरनगर के निवासी अक्षय पांचाल किसी काम के लिए अहमदाबाद जा रहे थे. रास्ते में उसे पेशाब लगा. वह स्कूटर को सड़क किनारे ही खड़ी कर पेशाब करने लगा. लेकिन गलती से उसने स्कूटर में चाबी लगी ही छोड़ दी. इसके बाद वह फोन पर भी बात करने लगा. इतने में चोर आया है स्कूटर लेकर रफ्फूचक्कर हो गया. उसने पुलिस में इसकी शिकायत की. जब स्कूटर नहीं मिला तो इस संबंध में एफआईआर दर्ज किया.
कुछ दिनों बाद जब एफआईआर की कॉपी लेकर इंश्योरेंस कंपनी में इसका क्लेम लेने के लिए आवेदन दिया तो कंपनी ने दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह लापरवाही का मामला है क्योंकि बीमाकर्ता ने चाबी को स्कूटर में ही छोड़ दिया था. आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने कहा कि चूंकि आपने पुलिस में शिकायत करने में देरी की और 10 दिनों के बाद इंश्योरेंस कंपनी में दावा किया. इसके साथ ही स्कूटर में चाबी छोड़कर आपने लापरवाही बरती, इसलिए आपके दावे को खारिज किया जाता है.
इसके बाद पांचाल ने पांचाल ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, अहमदाबाद (ग्रामीण) में अपनी शिकायत की. आयोगन ने जुलाई 2017 में उनकी शिकायत को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह उनकी ओर से पॉलिसी की शर्त का उल्लंघन था क्योंकि उन्होंने बीमाकर्ता को देर से सूचित किया और स्कूटर में चाबी छोड़ कर लापरवाही की. अक्षय इसके बावजूद निराश नहीं हुए. उन्होंने गुजरात राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से संपर्क किया और अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा कि अगर घटना वास्तविक है तो बीमा कंपनियों को वाहन चोरी के मामले में दावे से इनकार नहीं करना चाहिए. इस मामले में उन्होंने बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) की ओर से जारी गाइडलाइन का भी हवाला दिया.
मामले की सुनवाई के बाद राज्य आयोग ने बीमाकर्ता को स्कूटर के कुल घोषित मूल्य का 75% गैर-मानक आधार पर भुगतान करने का आदेश दिया. स्कूटर का मूल्य इंश्योरेंस में 45,500 रुपये था. इस मूल्य पर 7 प्रतिशत ब्याज लगाकर बीमाकर्ता को 34,900 रुपये देने का आदेश दिया गया.
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Tags: Gujarat newsFIRST PUBLISHED : August 18, 2022, 14:05 IST