आकाश आनंद को बसपा की बागडोर क्यों नहीं सौंप रहीं मायावती इसके पीछे है बड़ी वजह
आकाश आनंद को बसपा की बागडोर क्यों नहीं सौंप रहीं मायावती इसके पीछे है बड़ी वजह
UP Politics: बसपा सुप्रीमो मायावती अपने उत्तराधिकारी आकाश आनद को पार्टी की कमान कब सौंपेंगी, इस अटकलों पर विराम लग चुका है. पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में वह दुबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गई हैं. इसका मतलब स्पष्ट है कि वे अगले पांच साल तक सक्रिय राजनीति में रहने वाली हैं.
हाइलाइट्स मायावती एक बार फिर से पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष 5 साल के लिए चुन ली गई है हालांकि राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले चर्चा चली थी कि वे पार्टी की कमान आकाश आनंद को सौंप सकती है
लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती एक बार फिर से पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष 5 साल के लिए चुन ली गई है. बहुत सारे राजनीति के जानकार इस बात का अंदाजा लगा रहे थे कि शायद वह सियासत से संन्यास ले लें और अपने भतीजे आकाश आनंद को ही नई जिम्मेदारी दे दें. मायावती ने सभी अंदाज़ों पर विराम लगाते हुए एक बार फिर से पार्टी की जिम्मेदारी अगले 5 सालों यानी 2029 तक के लिए खुद संभाल ली है. मायावती अगले 5 सालों में 73 साल की हो जाएंगी. तो क्या माना जाए मायावती को एक अनचाहा डर सियासत में बने रहने के लिए प्रेरित करता रहता है?
बहुजन समाज पार्टी में एक तरफ राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा था, वहीं दूसरी तरफ पूरे देश से आए विशेष डेलीगेट्स इस बात को मान रहे थे कि पार्टी कार्यालय में कुछ नया होगा. लेकिन एक बार फिर से पार्टी ने मायावती को ना सिर्फ 5 साल के लिए अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना, बल्कि कई सारे राजनीतिक संदेश भी दे दिए. वास्तव में इसके पीछे सबसे बड़ा तर्क यह माना जा रहा है कि मायावती खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहती हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से ठीक 1 दिन पहले तेजी से शोर उठा कि मायावती राजनीति से संन्यास ले रही हैं. मायावती ने ना सिर्फ इस खबर का खंडन किया, बल्कि कठोरता से यह भी कहा कि उनके विरोधी चाहते हैं कि वह राजनीति से संन्यास ले लें, लेकिन वह राजनीति में बनी रहेंगी. खास तौर से दलितों के हक के लिए लड़ाई लड़ती रहेंगी.
मायावती कमजोर होने का सन्देश नहीं देना चाहतीं
वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला मानते हैं कि मायावती इस बात का संदेश देना चाहती है कि वह अभी कमजोर नहीं हुई है. हालांकि पिछले कुछ सालों में बहुजन समाज पार्टी के प्रदर्शन को देखें तो बसपा जिसको कभी 30% वोट मिला करता था वह सीधे 9 फीसद के वोट बैंक पर आ गई है. यही नहीं बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा की कोई सीट नहीं जीती है. उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में उनका कोई सदस्य नहीं है, जबकि उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 1 सदस्य उमाशंकर सिंह है जो कि अपने बल पर चुनाव जीत कर आये हैं. एक बार फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के पीछे मायावती की सबसे बड़ी सोच यही है कि वह अपने विरोधियों और आसपास के रहने वालों को संदेश दे सकें कि वह कमजोर नहीं पड़ी हैं. वह पार्टी को जिस तरह से संभाल रही थी आगे भी संभालती रहेंगी.
चंद्रशेखर आजाद का बढ़ता कद भी वजह
2003 में मायावती ने बहुजन समाज पार्टी की बागडोर संभाली थी. इस तरह से देखा जाए तो मायावती अब 2029 तक के लिए पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गई हैं. मायावती अपने उत्तराधिकारी यानी आकाश आनंद को लेकर भी थोड़ा सा सशंकित दिखाई देती हैं. आकाश आनंद ने लोकसभा चुनाव के दौरान सीतापुर में जिस तरह का बयान दिया था, उसको लेकर मायावती काफी आहत थीं और उनसे उत्तराधिकार का पद भी छीन लिया था. मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर के साथ कई राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव का प्रभारी बना दिया है, लेकिन मायावती खुद तमाम चुनावी कवरेज के साथ-साथ पार्टी की गतिविधियों पर नजर रखना चाह रही हैं. यानी अगर माना जाए तो आकाश आनंद को और ज्यादा मैच्योर करने के मकसद से मायावती ने एक बार फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद लिया है. वहीं तीसरा बड़ा कारण चंद्रशेखर आजाद भी नजर आते हैं. चंद्रशेखर आजाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद हैं और पिछले दिनों उन्होंने हरियाणा में गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. मायावती इस बात को नहीं चाहती हैं कि चंद्रशेखर आजाद जो कि नौजवान दलितों में मशहूर हो रहे हैं, वह राजनीति में आगे बढ़ें. शायद ही बड़ी वजह है कि मायावती खुद को न सिर्फ पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना रहने देना चाहती हैं ,बल्कि आगामी चुनाव के प्रबंधन को भी खुद देखना चाहती हैं.
आकाश आनंद कोकमजोर पार्टी नहीं सौंपना चाहती
कांशीराम के निधन के बाद BSP जिस तरह से सत्ता में आई उसका सीधा श्रेय मायावती के कुशल प्रबंधन को जाता है. इस बात में कोई शक नहीं है कि पिछले 21 सालों से पार्टी का कुशल प्रबंधन मायावती चला रही हैं. मायावती अपने उत्तराधिकारी आकाश आनंद को 30% वोट बैंक से 9% वोट बैंक वाली पार्टी नहीं देना चाहती हैं, बल्कि पार्टी को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर उत्तराधिकारी को नई जिम्मेदारी देने की चाह रखती हैं.
Tags: BSP chief Mayawati, UP latest newsFIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 10:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed