आम के पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए नहीं लेनी पड़ेगी सरकारी अनुमति

आपको बता दें कि लोकल18 से खास बातचीत में यूपी सीएम और सरकार से अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति नबीपनाह मलिहाबाद के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने यह मांग की थी कि सरकार पुराने हो चुके बागों की काट-छांट करवा दे ताकि पुराने बागों को नया जीवन मिल सके.

आम के पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए नहीं लेनी पड़ेगी सरकारी अनुमति
लखनऊ: लोकल18 की खबर का बड़ा असर हुआ है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आम का उत्पादन करने वाले किसानों को एक बड़ी राहत दी है. उत्तर प्रदेश सरकार अब आम बागों को स्मार्ट बनाएगी और पुराने हो चुके आम के बागों और पेड़ों की कटाई छंटाई में हर संभव मदद करेगी. आम बागवानों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. सीएम योगी खुद बागवानों को मिल रही सुविधाओं की पल-पल जानकारी ले रहे हैं ताकि उत्तर प्रदेश का आम और खास बन सके और इस बार की तरह आने वाले कई सालों तक अमेरिका समेत दूसरे देशों तक जा सके. आपको बता दें कि लोकल18 से खास बातचीत में यूपी सीएम और सरकार से अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति नबीपनाह मलिहाबाद के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने यह मांग की थी कि सरकार पुराने हो चुके बागों की काट-छांट करवा दे ताकि पुराने बागों को नया जीवन मिल सके. इस पर सरकार ने मंथन शुरू कर दिया है. सरकार बागवानों को ये बड़ी राहत देने की ओर बढ़ रही है. यह जानकारी यूपी सीएम के मीडिया ग्रुप पर साझा की गई है. नहीं लेनी होगी किसी की अनुमति उत्तर प्रदेश सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि आम उत्पादकों को आम के पुराने वृक्षों के जीर्णोद्धार के लिए पेडों की ऊंचाई कम करने और उनकी उत्पादकता बनाये रखने के लिए की जाने वाली काट-छांट के लिए किसी सरकारी विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. इस फैसले से आम के पुराने बागों का कैनोपी प्रबंधन आसान हो गया है. इसका नतीजा आने वाले कुछ वर्षों में दिखेगा. कैनोपी प्रबंधन के कारण आम के पुराने बाग नए सरीखे हो जाएंगे. फलत अच्छी होने से उत्पादन तो बढ़ेगा ही, फलों की गुणवत्ता भी सुधरेगी. इससे निर्यात की नई संभावनाओं का रास्ता साफ होगा. 40 साल से पुराने 40 फीसदी बाग प्रदेश में 2.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की खेती से 45 लाख टन आम पैदा होता है. प्रदेश में 40 वर्ष से अधिक उम्र के बगीचे लगभग 40 फीसद (लगभग 1 लाख हेक्टयर) हैं. इन बागों में पुष्पन और फलत के लिए जरूरी नई पत्तियों और टहनियों की संख्या कम हो चुकी हैं. लम्बी और मोटी-मोटी शाखाओं की ही अधिकता है. आपस में फंसी हुई शाखाओं के कारण बागों में पर्याप्त रोशनी नहीं आ पाती है. ऐसे बढ़ेगा आम उत्पादन ऐसे पेडों में कीट और बीमारियों का प्रकोप अधिक है और दवा अधिक लगने के साथ दवा का छिडकाव भी मुश्किल है. आम के भुनगे और थ्रिप्स के नियंत्रण के लिये छिडकी गई दवा अंदर तक नहीं पहुच पाती है. दवा की अधिक मात्रा से छिडकाव करने पर पर्यावरण भी प्रदूषित होता है. ऐसे बागों की उत्पादकता बमुश्किल 7 टन तक मिल पाती है जबकि एक बेहतर प्रबंधन वाले प्रति हेक्टेयर आम के बाग से 12-14 टन उपज लेना संभव है.डबल इंजन की सरकार के लिए किसानों, बागवानों का हित सर्वोपरि है इसलिए इनकी आय बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास भी कर रही है. इसी क्रम में योगी सरकार ने ये फैसला लेकर बागवानों को बड़ी राहत दी है. Tags: Local18, Lucknow news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 18:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed