जब एक राखी ने बदल दी 1857 के क्रांति की फिजा बेहद दिलचस्प है कहानी
जब एक राखी ने बदल दी 1857 के क्रांति की फिजा बेहद दिलचस्प है कहानी
इतिहास के जानकार शकील अली हाशमी ने बताया कि महारानी लक्ष्मीबाई ने 1857 की क्रांति के दौरान बांदा के नवाब को राखी भिजवाई थी. इसके साथ ही उन्होंने नवाब को एक पत्र भी भेजा था. उन्होंने यह पत्र अपने विश्वस्त डाकिया लाला दुलारे लाल के हाथों भिजवाया था.
शाश्वत सिंह/झांसी : 1857 की क्रांति ने भारत को कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पल दिए. शौर्य और वीरता के साथ इस क्रांति में लोगों ने रिश्तों का महत्व भी समझा. 1857 की क्रांति ने रक्षाबंधन और राखी का महत्व दुनिया को समझाया. क्रांति के दौरान हुई एक घटना ने यह समझा दिया कि रक्षाबंधन का त्योहार धर्म और संप्रदाय से ऊपर है. रक्षाबंधन पर ही रानी लक्ष्मीबाई ने गंगा जमुनी तहजीब का उदाहरण दुनिया के सामने पेश किया था.
रानी ने नवाब को भेजी थी राखी
अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे इस संग्राम में एक पल ऐसा भी आया, जब रानी लक्ष्मीबाई के साथ बहुत कम लोग खड़े थे. अंग्रेजों की विशाल सेना के खिलाफ रानी अकेली पड़ती दिख रही थीं. ऐसे समय में उन्होंने वो काम किया, जो मिसाल बन गया. महारानी लक्ष्मीबाई ने बांदा के नवाब अली बहादुर द्वितीय को राखी भेज कर मदद मांगी थी. सूती के उस धागे ने कमाल कर दिया. बांदा के नवाब 10 हजार सैनिकों के साथ अंग्रेजों से युद्ध करने झांसी पहुंच गए थे.
बुंदेली में लिखा था संदेश
इतिहास के जानकार शकील अली हाशमी ने बताया कि महारानी लक्ष्मीबाई ने 1857 की क्रांति के दौरान बांदा के नवाब को राखी भिजवाई थी. इसके साथ ही उन्होंने नवाब को एक पत्र भी भेजा था. उन्होंने यह पत्र अपने विश्वस्त डाकिया लाला दुलारे लाल के हाथों भिजवाया था.काशी में जन्मी और मराठा राजवंश की बहू महारानी लक्ष्मीबाई ने पत्र बुंदेली भाषा में लिखा था.उन्होंने लिखा था, ‘वीदेसियों का सासन भारत पर न होन चाइए, इसें हम लोगन को अंग्रेजन से लड़वों बहुत जरूरी है.’
नवाब ने निभाया राखी का वचन
शकील अली हाशमी ने बताया कि बांदा के नवाब अली बहादुर द्वितीय ने महारानी लक्ष्मीबाई द्वारा भेजे गई राखी का पूरा सम्मान किया था. वह अपने 10 हजार सैनिकों के साथ जंगल के रास्ते झांसी पहुंचे थे. नवाब ने अंग्रेजों से अदम्य साहस के साथ युद्ध किया. नवाब अली बहादुर बाजीराव पेशवा और मस्तानी के बेटे थे. 1849 से वह बांदा के नवाब थे.
गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है झांसी
शकील अली हाशमी के अनुसार झांसी और बुंदेलखंड में साहस और धार्मिक सौहार्द के ऐसे अनेक किस्से हैं. झांसी की रानी ने भानपुर के राजा अरिदमन सिंह को भी ऐसा ही एक पत्र और राखी भेजी थी.वह भी अपनी सेना के साथ नवाब की सेना में शामिल हो गए. दोनों ने साथ मिलकर झांसी की मदद की थी. इसी धार्मिक सौहार्द के मिसाल आज भी देखने को मिलती है. रक्षाबंधन पर्व पर बड़ी संख्या में हिंदू बहनें अपने मुंहबोले मुस्लिम भाइयों को भी राखी बांधती हैं.
Tags: 1857 Kranti, Hindi news, Local18, Raksha bandhanFIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 12:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed