कम लागत में बंपर पैदावार देती है इस दाल की खेती सेहत के लिए भी वरदान!
कम लागत में बंपर पैदावार देती है इस दाल की खेती सेहत के लिए भी वरदान!
पिछले 5 सालों से तेजी से अरहर के उत्पादन बढ़े हैं और लगातार बढ़ता जा रहा है. यह बड़ा अच्छा समय चल रहा है और विशेष कर अरहर की खेती के लिए किसान भाई अपनी तैयारी तेज कर लें.
बलिया: खरीफ फसल का सीजन चल रहा है. इस मौसम में धान की फसल मुख्य फसलों में से एक मानी जाती है. लेकिन कई अन्य फसलें भी हैं, जो खरीफ के सीजन में होती हैं. जिनकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमाते हैं. अगर आप भी एक किसान हैं और धान से अलग किसी अन्य फसल की खेती करना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा. जी हां हम बात कर रहे हैं अरहर की जो शरीर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. सरकार भी इसकी खेती को बढ़ावा दे रही है ताकि लोग स्वस्थ रहें. अरहर की कीमत बाजार में हर समय अच्छा खासा रहता है. यह कहने में संकोच नहीं होगा कि इसकी खेती कर किसान मालामाल बन सकते हैं. आइए जानते हैं इसकी खेती करने के सही तरीके को लेकर कृषि विशेषज्ञ प्रो. अशोक कुमार सिंह की राय.
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रो. अशोक कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि दालों में अरहर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. और ध्यान से अगर देखा जाए तो हर घर में जहां पर लोग सक्षम है और सरकार सक्षम बना भी रही है तो दाल का प्रयोग किया जाता है. हर व्यक्ति को अपने भोजन में 24 घंटे में कम से कम 60 से 65 ग्राम दाल खाना आवश्यक है और इस दाल में अरहर का विशेष महत्व है.
अरहर की खेती को लेकर तैयारी करे तेज…
पिछले 5 सालों से तेजी से अरहर के उत्पादन बढ़े हैं और लगातार बढ़ता जा रहा है. यह बड़ा अच्छा समय चल रहा है और विशेष कर अरहर की खेती के लिए किसान भाई अपनी तैयारी तेज कर लें. इसकी खेती में बहुत ज्यादा खाद और उर्वरक की आवश्यकता नहीं पड़ती है. किट और बीमारी से बचने की जरूरत पड़ती है.
केवल इन बातों पर रखे ध्यान, जल्दी बनेंगे मालामाल…
एक बीघे के लिए लगभग ढाई से 3 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता हैं. आजकल दो तरह की प्रजातियां हैं एक प्रजाति ऐसी है जो लंबे समय तक चलती हैं और बंपर पैदावार देती है जैसे- उपास और बाहार, कम समय वाली प्रजाती- अक्साल इत्यादि. खेत के अंतिम जुताई में गोबर की खाद का प्रयोग करें. पोटाश और फास्फोरस का प्रयोग अरहर की खेती के लिए बहुत आवश्यक होता है. डेढ़ 2 महीने बाद अरहर के ऊपरी भाग को तोड़ दे जिससे शाखाएं ज्यादा निकलेंगे और बंपर पैदावार होगा. फूल आते समय खेत में सिंचाई कभी भूलकर भी न करें. कीटनाशक दवा का प्रयोग करे ताकि फली वेधक कीड़े न लगे. एक बीघा में चार से पांच क्विटंल अरहर तो आसानी प्राप्त हो जाता है.
Tags: Agra news, Local18FIRST PUBLISHED : June 29, 2024, 12:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed