आजमगढ़ किसका गढ़ सपा-भाजपा में कांटे की टक्कर निरहुआ Vs धर्मेंद्र
आजमगढ़ किसका गढ़ सपा-भाजपा में कांटे की टक्कर निरहुआ Vs धर्मेंद्र
आजमगढ़ के लोकसभा चुनावों के इतिहास की बात करें तो इसपर वैसे तो किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा. लेकिन इसके विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है.
हाइलाइट्स दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ लगातार दूसरी बार आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं. धर्मेंद्र यादव पहली बार आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
आजमगढ़ः गंगा और घाघरा नदी के बीच बसा हुआ उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है. आजमगढ़ मऊ, गोरखपुर, गाजीपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर और अंबेडकर नगर जिले की सीमा से सटा हुआ है. चीनी की मिलें और कपड़ा बुनाई इस जिले का प्रमुख उद्योग है. यह सीट सियासी तौर पर काफी अहम है. आजमगढ़ को काशी और अवध के मध्य की भूमि कहा जाता है. आजमगढ़ की धरती ऋषि-मुनियों और साहित्यकारों के लिए जाना जाता है. आजमगढ़ राहुल सांस्कृत्यायन, हरिऔध, लक्ष्मीनारायण मिश्र और कैफी आजमी के लिए जाना जाता है. आजमगढ़ को राजनीतिक गलियारे में समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है.
आजमगढ़ में किसी एक पार्टी का नहीं रहा दबदबा
आजमगढ़ के लोकसभा चुनावों के इतिहास की बात करें तो इसपर वैसे तो किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा. लेकिन इसके विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. आजमगढ़ की राजनीति रमाकांत यादव के ईर्द-गिर्द भी घूमती है. क्योंकि रमाकांत यादव ने अलग-अलग पार्टियों से लोकसभा चुनाव लड़ा और लगातार जीत हासिल की. 1999 के लोकसभा चुनाव में रमाकांत यादव ने सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ा और बसपा उम्मीदवार अकबर अहमद डम्पी को हराया. 2004 के लोकसभा चुनाव में रमाकांत यादव ने बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार दुर्गा प्रसाद यादव को हराया.
2020 के उपचुनाव में निरहुआ ने हासिल की थी जीत
2009 के लोकसभा चुनाव में रमाकांत यादव भारतीय जनता पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ा था और बसपा उम्मीदवार अकबर अहमद डम्पी को हराया था. वहीं जब 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर आई थी तब दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी उम्मीदवार रमाकांत यादव को हराकर जीत हासिल की थी. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने जीत हासिल की. हालांकि उनके द्वारा सीट छोड़ने के बाद 2020 में उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा उम्मीदवार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने जीत हासिल की थी.
आजमगढ़ का जातीय समीकरण
आजमगढ़ के जातीय समीकरण को लेकर मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां सबसे ज्यादा यादव ओबीसी, मुस्लिम और दलित हैं. 21 फीसदी यादव, 19 फीसदी दलित और 17 फीसदी मुस्लिम हैं. बाकी भूमिहार, ठाकुर, ब्राह्मण और कायस्थ की संख्या 4 से 8 फीसदी है. आजमगढ़ की इस बार की लड़ाई और दिलचस्प हो गई, जब बसपा का साथ छोड़ गुड्डू जमाली ने समाजवादी पार्टी का हाथ थाम लिया. गुड्डू जमाली के इस फैसले ने बीजेपी प्रत्याशी निरहुआ के लिए मुश्किल खड़ा कर दिया. हालांकि सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव के लिए राह आसान हो गई. लेकिन रामाकांत यादव बीजेपी के साथ खड़े हैं. ऐसे में आजमगढ़ की लड़ाई दिलचस्प है.
गुड्डू जमाली Vs रमाकांत यादव
गुड्डू जमाली और रमाकांत यादव का अपना-अपना राजनीतिक वर्चस्व है. दोनों स्थानीय नेताओं के चलते आजमगढ़ में कांटे की टक्कर दिख रही है. गुड्डू जमाली फिलहाल एमएलसी हैं. गुड्डू जमाली पहले बसपा के साथ थे, जिसे पार्टी अपनी बड़ी ताकत मानती थी. वहीं रमाकांत यादव जिस भी पार्टी में रहते हैं, उसका आत्मविश्वास बढ़ा हुआ रहता है. क्योंकि इसके पीछे राजनीतिक आंकड़े हैं.
Tags: Azamgarh lok sabha election, Loksabha Election 2024FIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 15:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed