गारंटी पर वोटर भारी बीजेपी की सीटें खटाखट क्यों घटीं

लोकसभा चुनाव परिणाम: सुबह जिस बुलेट की गति से कमल चार सौ की तरफ जा रहा था, 11 बजे तक 300 के लिए संघर्ष कर रहा है. सरकार किसकी बनेगी, इस पर संशय नहीं है लेकिन अपने बूते बीजेपी अगर 272 पार नहीं करती है तो मुश्किल होगी. बानगी उन रिपोर्ट्स में देखिए जिसमें कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी समर्थन के लिए नीतीश कुमार से बात करेंगी.

गारंटी पर वोटर भारी  बीजेपी की सीटें खटाखट क्यों घटीं
Loksabha Election Result 2024 :  वादों की गारंटी से जीत की गारंटी मिलती है या नहीं. लोकसभा चुनाव में लोकल मुद्दों की वापसी होती है या नहीं. हिंदु-मुस्लिम करके जीत हासिल की जा सकती है या नहीं. क्या लोकसभा चुनाव में बिहार से लेकर राजस्थान तक एक ही पैटर्न पर वोट डालेगा. मोदी फैक्टर सब पर भाड़ी हो जाएगा. ममता बनर्जी, स्टालिन, नवीन पटनायक जैसे रीजनल क्षत्रप लोकसभा चुनाव में कोई असर छोड़ पाएंगे या नहीं. अग्निवीर मुद्दा होगा या अयोध्या के राम मंदिर पर वोट पड़ेंगे. क्या मिडल क्लास जेब पर भारी राष्ट्रवाद के नाम पर ही वोट करेगा या बदलेगा. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का राशन खाकर गरीब वोट करेगा या मन बदलेगा. इन तमाम सवालों के जवाब इलेक्शन रिजल्ट के रूझानों और परिणामों से आपको मिल रहा होगा. हालांकि वक्त चार जून सुबह 10.30 का है. और जो भी मैं लिख रहा हूं, वो अभी तक के ट्रेंड्स पर हैं. लेकिन ट्रेंड्स चौंकाने वाले हैं. एकरूपता नहीं है, ये सबसा बड़ा फैक्टर है. मध्य प्रदेश 29 में 29 दे रहा है बीजेपी को तो उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने पार्टी को पानी दिला दिया, ऐसा लगता है. खुद वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अजय राय टक्कर दे रहे हैं. रामलला की नगरी अयोध्या से बीजेपी के लल्लू सिंह संघर्ष कर रहे हैं. लखनऊ से होकर दिल्ली का रास्ता बीजेपी के लिए संकड़ा हो गया है. माथे पर त्रिपुंड और रामचरित मानस की गूंज के बीच राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा, दक्षिण के मंदिरों में अभिषेक और अंतिम चरण की वोटिंग से पहले 45 घंटों की साधना ने विपक्ष को डरा दिया था. लेकिन ट्रेंड्स से साफ है कि रामलहर पूरे देश में है. हमारी सोसायटी के अधिकतर बालकनी महावीरी झंडों से पटे हैं. लेकिन रामलहर की भक्ति किसी एक पार्टी का वोट बन जाएगी, ऐसा होता नहीं दिख रहा. मोदी फैक्टर गायब है मोदी फैक्टर 2024 में गायब है. इसीलिए जहां बिहार में अनुमान के मुताबिक एनडीए को नुकसान हो रहा है तो यूपी ने सारे एग्जिट पोल की ऐसी-तैसी कर दी है. 80 में 80 और 400 पार के नारे की हवा यूपी ने निकाल दी है. किसी ने सोचा नहीं था कि अखिलेश यादव इस कदर कांटे की टक्कर देंगे. वो भी तब जब बहुजन समाज पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं हुई. मतलब लोकल फैक्टर ने काम किया. लोकल फैक्टर बिहार से ज्यादा प्रबल यूपी में साबित हो रहा है. और, ये पहले चरण से साफ है. बल्कि सात चरणों में चुनाव कराना भी बीजेपी के लिए भारी पड़ा. पहले चरण में जब जाटलैंड ने वोट डाला तभी राजपूतों की नाराजगी सामने आई. फिर धीरे-धीरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटों में अखिलेश ने सेंध लगा दी जहां बीजेपी का प्रदर्शन पिछले चुनाव में भी शानदार नहीं था. योगी खुद ही फैक्टर बन गए क्या? इस सवाल को खुला छोड़ता हूं कि क्या योगी के समर्थकों ने बीजेपी को वोट नहीं दिया? खान-पान का खेल भी नहीं चला. ये तो निजी मामला है. बिहार में ही देख लें तो मिथिला में मछली के बिना कोई शुभ काम नहीं होता. फिर पश्चिम बंगाल में इस पर सवाल उठाने से कोई फायदा होगा, ये गलत साबित हुई. संदेशखाली के बावजूद बीजेपी 2019 के नीचे खिसकती हुई नजर आ रही है. ममता बनर्जी ने दिलीप घोष और सुवेंदु अधिकारी के टोन में ही अपनी धर्मनिरपेक्षता का बचाव किया. कांग्रेस की तरह संकोच से नहीं. इसलिए वो अपना मैदान बचाने में सफल दिखाई दे रही हैं. धर्म के आधार पर कोई सुनामी नहीं थी, ये तय है. बदल रही वोटर की सोच राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दोनों संस्करण में नौकरियों का मुद्दा उठाया. इंडिया गठबंधन ने सरकार बनने पर अग्निवीर योजना बंद करने का वादा किया. अब अगर हरियाणा, यूपी के ट्रेंड्स देखें तो लगता है कि बेरोजगारी एक मुद्दा है. लेकिन हिमचाल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा से सबसे ज्यादा सेना में भर्ती होती है, वहां अलग-अलग सीन है. हरियाणा में बीजेपी को भारी नुकसान है. उत्तराखंड में कोई असर नहीं है. हिमाचल दिलचस्प है. लोकसभा सीटों पर बीजेपी आगे है लेकिन छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस आगे है. इसका मतलब है कि जनता जोड़ तोड़ कर सरकार बनाने की पद्धति पर थूक रही है. महाराष्ट्र के ट्रेंड्स भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार गुट वाली एनसीपी उम्मीद के मुताबिक आगे बढ़ रही है. ओडिशा ने तो और रोमांचक ट्रेंड्स दिए हैं. विधानसभा चुनाव में नवीन पटनायक चित होते दिख रहे हैं. कमल खिलता हुआ दिख रहा है लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सुनामी नहीं है. राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की गुटबाजी के बावजूद कांग्रेस ने फंसा दिया है. ये दिलचस्प है. अभी दिसंबर में ही बीजेपी ने अशोक गहलोत को हराकर सत्ता हासिल की है. लेकिन इसका असर लोकसभा चुनाव में नहीं दिखा. यहां भी हरियाणा की तरह जाट वोट का फैक्टर था. तो कह सकते हैं अग्निवीर भी मुद्दा रहा होगा. अबकी बार 400 पार से बीजेपी के दलित वोटर्स में नकारात्मक असर हुआ. ये मैंने खुद बिहार में महसूस किया और यूपी चुनाव की जमीनी कवरेज करने वले पत्रकारों ने बताया. एक सवाल उठाने में विपक्ष सफल रहा कि आखिर 400 सीटें लेकर बीजेपी क्या करना चाहती है? क्या वास्तव में संविधान बदल जाएगा? मैंने पहले भी कहा था कि सरकार किसकी बनेगी, इसमें संदेह नहीं लेकिन ये चुनाव बहुत बहुत सारे लर्निंग लेसंश देकर जाएगा. आज की शाम इसकी तस्दीक करेगा. चेक एंड बैलेंस वाला परिणाम है. लोकतंत्र की जिस खूबसूरती की चर्चा हम करते रहे हैं, उसकी एक बानगी दिख रही है. बीजेपी अगर अकेले 272 के जादुई आंकड़े को पार नहीं कर पाती है तो मोदी उसी धार के साथ सरकार नहीं चला पाएंगे. उधर चोट खाकर भी नहीं सुधर रही कांग्रेस को सोचना होगा कि लोकल फैक्टर के बावजूद मोदी के बरअक्स कोई चेहरा न होना सालता रहेगा. Tags: Lok Sabha Election Result, Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : June 4, 2024, 11:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed