30 से 40 की उम्र में तेजी से हो रहा है यह ब्लड कैंसर एम्स की डॉक्टर से जानें

Chronic Myelogenous Leukemia: क्रोनिक माइलोजेनस ल्यूकेमिया एक तरह का ब्लड कैंसर है. इस बीमारी में बोन मैरो में कैंसर हो जाता है. हालांकि एम्स की प्रोफेसर डॉ. तुलिका सेठ कहती हैं कि यह बहुत घातक कैंसर नहीं है. अगर आप इसका सही से मैनेज करना जान गए तो इसका इलाज संभव है.

30 से 40 की उम्र में तेजी से हो रहा है यह ब्लड कैंसर एम्स की डॉक्टर से जानें
Blood Cancer: क्रोनिक माइलोजेनस ल्यूकेमिया असमान्य तरह का ब्लड कैंसर है जो बोन मैरो में होता है. बोन मैरो में ही खून बनता है. इसलिए इसे एक तरह से ब्लड कैंसर भी कह सकते हैं. जब बोन मैरो में कैंसर हो जाता है तब खून में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या असमान्य तरीके से बढ़ने लगती है. यही से कैंसर की शुरुआत हो जाती है. भारत में यह बीमारी तेजी से बढ़ने लगी है और 30 से 40 साल की उम्र के बीच के लोगों में यह ज्यादा देखा जा रहा है. हालांकि क्रोनिक माइलोजेनस ल्यूकेमिया यानी सीएमएल बीमारी बहुत धीरे-धीरे शरीर में बढ़ती है. यही कारण है कि अगर समय पर इसका ध्यान दे दिया जाए तो इसकी पूरी तरह इलाज संभव है और इसके साथ व्यक्ति सामान्य तरीके से जी सकता है. इस बीमारी को मैनेज करना जरूरी एम्स की प्रोफेसर डॉ. तुलिका सेठ कहती हैं कि ब्लड कैंसर में सीएमएल का इलाज पूरी तरह संभव है लेकिन इसकी सफलता के लिए समय पर इसे मैनेज करना जरूरी है. अगर आप लगातार डॉक्टरों के संपर्क में हैं और सही तरीके से दवा खा रहे हैं तो इससे कोई खतरा नहीं है. इस बीमारी के लिए नियमित तौर पर ब्लड टेस्ट और बीसीआर-एबीएल लेवल की जांच जरूरी है. बीसीआर-एबीएल से खून में एक प्रोटीन का पता लगाया जाता है. यह प्रोटीन सीएमएल के जिम्मेदार बन जाता है. डॉ. तुलिका सेठ ने कहा कि यदि आप इन जांच को नियमित तौर पर कराते हैं तो आपको सीएमएल होने पर तुरंत पता चल जाता है और शुरुआती दौर से ही इसका इलाज कराना संभव हो पाता है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी में अगर शुरुआती दौर में पता चल जाता है कि इलाज बेहतर ढंग से जल्दी से संभव हो पाता है. सीएमएल के लक्षण चूंकि सीएमएल कैंसर को शुरुआत में ही पहचानना जरूरी है. इसलिए हमेशा शरीर में हो रहे बदलावों के प्रति चौकन्ना रहना चाहिए. आमतौर पर हड्डियों में लगातार दर्द, आसानी से ब्लीडिंग हो जाना, थोड़ा सा खाने पर ही पेट फूल जाना, बहुत अधिक थकान, बुखार, बिना मेहनत वजन कम, बाई तरफ पसलियों में दर्द, भूख की कमी, नींद में भी पसीना आना और आंखों से धुंधला दिखाई देना सीएमएल कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. यदि ऐसा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. सीएमएल के कारण सीएमएल कैंसर तब होता है जब बोन मैरो की कोशिकाओं में बदलाव होने लगता है. हालांकि यह कहां से शुरुआत होती है, इसके बारे में सही तौर पर पता नहीं, लेकिन यह कैसे विकसित होता है, इसके बारे में पता है. इंसान की कोशिकाओं में 23 जोड़े क्रोमोजोम होते हैं. इन क्रोमोजोम में जीन होते हैं. यही जीन कोशिकाओं को निर्देश देता है कि क्या करना है. जिसे सीएमएल कैंसर है, उसमें क्रोमोजोम के सेट में बदलाव होने लगता है. क्रोमोजोम 9 का एक सेक्शन क्रोमोजोम 22 के साथ स्थान बदल लेता है. इससे एक छोटा क्रोमोजोम 22 और एक लंबा क्रोमोजोम 9 बन जाता है. यहीं से ब्लड कैंसर की शुरुआत हो जाती है. इसे भी पढ़ें-30 के बाद वजन न हो जाएं बेलगाम, इसलिए अभी से शुरू कर दें ये काम, हार्वर्ड ने निकाला मोटापे पर ब्रेक का फॉर्मूला इसे भी पढ़ें-जिम में हार्ट पर न आए आंच, इसके लिए करा लें कुछ जांच, कार्डियोलॉजिस्ट से समझ लें वर्कआउट के दौरान अनहोनी से बचने का फुलप्रूव तरीका Tags: Cancer, Health, Health tips, LifestyleFIRST PUBLISHED : May 16, 2024, 16:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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