शरीर में 48 घंटे भी रहा तो समझो गई जान क्यों इतना कहर बरपा रहा यह बैक्टीरिया

Streptococcal toxic shock syndrome Causes: जापान में स्ट्रेप्टोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) तेजी से कहर बरपा रहा है. यह इतना घातक है कि शरीर में प्रवेश करने के 48 घंटे में ही जान ले सकता है. आइए जानते हैं इस बैक्टीरिया पनपे के कारण, लक्षण और किन लोगों को अधिक खतरा-

शरीर में 48 घंटे भी रहा तो समझो गई जान क्यों इतना कहर बरपा रहा यह बैक्टीरिया
Streptococcal toxic shock syndrome Causes: जापान में एक दुर्लभ बैक्टीरिया तेजी से कहर बरपा रहा है. वहां 2 जून तक इस बैक्टीरिया से पीड़ितों की संख्या 977 पहुंच गई थी, जोकि पिछले साल की तुलना में अधिक है. यह इतना घातक है कि शरीर में प्रवेश करने के 48 घंटे में ही जान ले सकता है. जी हां, इस बैक्टीरिया का नाम स्ट्रेप्टोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) है. बता दें कि, एसटीएसएस एक अत्यधिक गंभीर इकाई है, जिसकी मृत्यु दर बहुत अधिक है. ऐसा माना जाता है कि यह आंशिक रूप से समूह ए स्ट्रेप्टोकोकस द्वारा सुपरएंटिजन गतिविधि के कारण होता है. इन रोगियों की तेजी से बिगड़ती स्थिति में कई अंग विफल हो जाते हैं. ऐसे में इनकी ठीक से देखभाल बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं इस बैक्टीरिया पनपे के कारण, लक्षण और किन लोगों को अधिक खतरा- स्ट्रेप्टोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के कारण क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम तब हो सकता है जब बैक्टीरिया आपके शरीर पर खुले घावों, कटों या घावों में चला जाता है. यह त्वचा संक्रमण, सर्जरी, प्रसव या नाक से खून बहने के कारण हो सकता है, जिसे रोकने के लिए जरूरी उपचार की जरूरत होती है. इसके अलावा, महिलाओं में एसटीएसएस का सबसे अधिक जोखिम टैम्पोन के इस्तेमाल से बढ़ सकता है. क्या होता है टैम्पोन टैम्पॉन पीरियड्स में इस्तेमाल किया जाने वाला एक सुविधाजनक प्रॉडक्ट है. यह पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल फ्लूइड को सोखने के लिए वेजाइनल ओपनिंग में डाला जाता है. यह रुई की कई परतों से बनता है. एफडीए द्वारा स्वीकृत टैम्पोन को एक बार उपयोग करने के बाद फेंक दिया जाता है. कई अध्ययनों से पता चला है कि टैम्पोन का लंबे समय तक इस्तेमाल हानिकारक बैक्टीरिया के उत्पादन को बढ़ावा दे सकता है. एसटीएसएस के ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान दुर्लभ मांस खाने वाले बैक्टीरिया-ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस या जीएएस-आमतौर पर सूजन और गले में खराश का कारण बनते हैं. अधिक गंभीर होने पर सांस लेने में तकलीफ, नेक्रोसिस (necrosis), अंगों का फेल होने से मौत आदि शामिल हैं. इसकी गंभीरता इतनी है कि 48 घंटे में इलाज न मिला तो जान भी जा सकती है. बैक्टीरिया न पनपे इसके लिए हाथों को साफ करते रहें, हाइजीन का ख्याल रखें. साथ ही संक्रमित व्यक्ति से दूरी रखें. इस उम्र के लोगों को अधिक खतरा अमेरिकी सीडीसी के अनुसार, वैसे तो एसटीएसएस किसी को भी हो सकता है, लेकिन 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र वालों को अधिक खतरा है. जापान में इस वर्ष मामलों की संख्या 2,500 तक पहुंच सकती है, तथा मृत्यु दर 30% तक पहुंच सकती है. इसलिए वहां के लोगों हाथों की स्वच्छता बनाए रखने तथा खुले घावों का उपचार करने का भी आग्रह किया है. ये भी पढ़ें:  जेठ की दोपहरी में कूलर उगलने लगता है ‘आग’, ठंडी हवा पाने के लिए करें 1 देशी उपाय, एसी जैसा कूल हो जाएगा कमरा! ये भी पढ़ें:  क्या इतनी फायदेमंद हरी सब्जी के नुकसान भी हैं? एक्सपर्ट से जानें कब न खाएं ये वेजिटेबल, क्या हो सकती परेशानी कैसे की जाती है जांच टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लिए कोई एक परीक्षण नहीं है. आपको स्टैफ या स्ट्रेप संक्रमण की उपस्थिति का पता लगाने के लिए रक्त और पेशाब के नमूने लिए जाते हैं. इसके अलावा महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा और गले से भी नमूने लिए जा सकते हैं. Tags: Health News, Health tips, Japan News, LifestyleFIRST PUBLISHED : June 16, 2024, 10:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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