जन्मकुंडली नहीं मेडिकल रिपोर्ट देखकर होगी शादी गुण मिलने पर नहीं करने की सलाह

Lakhimpur Kheri News: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से एक हैरान करने वाली खबर है. स्वास्थ्य विभाग ने जन्म कुंडली नहीं मेडिकल रिपोर्ट देखकर शादी करने की सलाह दी है. यह एक विशेष समुदाय के लोगों को कहा गया है. ऐसे में यदि लड़का और लड़की दोनों को बीमारी है तो शादी नहीं करने की सलाह दी गई है.

जन्मकुंडली नहीं मेडिकल रिपोर्ट देखकर होगी शादी गुण मिलने पर नहीं करने की सलाह
लखीमपुर खीरीः लखीमपुर खीरी से एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां के एक खास इलाके की जनजाति को जन्मकुंडली नहीं बल्कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर शादी करने की सलाह दी जा रही है. स्वास्थ्य विभाग ने थारू जनजाति के लोगों को शादी करने की सलाह दी है. इसके साथ ही कहा है कि लड़का-लड़की दोनों की रिपोर्ट में बीमारी पाई जाती है, तो कृप्या शादी न करें. मामला लखीमपुर खीरी के दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों के बीच चंदन चौकी क्षेत्र का है. जहां पर थारू जनजाति की 62 हजार की आबादी निवास करती है. थारू जनजाति में एक दुर्लभ सिकल सेल एनीमिया नाम की बीमारी पाई जाती है. जो खून में लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित कर उसके स्ट्रक्चर को बदल देती है. जिससे अनेकों तरह की बीमारी शरीर में उत्पन्न हो जाती है. यह अनुवांशिक बीमारी भी है जो बच्चों के जन्म के साथ ही उत्पन्न हो जाती है. इसको लेकर बुधवार को स्वास्थ्य विभाग ने चंदन चौकी में एक सेमिनार कर इलाके के लोगों को उनके ब्लड जांच के रिपोर्ट के आधार पर बीमारी को आईडेंटिफाई कर कार्ड बनाकर वितरण किया है. उनको सलाह दी है कि अगर जब वह शादी करें तो जन्म कुंडली को ना मिलकर मेडिकल रिपोर्ट को चेक करें. अगर लड़का और लड़की दोनों के अंदर यह सिकिल सेल एनीमिया की बीमारी है तो आपस में शादी न करने की सलाह दी है. यह भी पढ़ेंः ‘मैं कुंवारी हूं…’ 20 दिन रहती थी पति के साथ, फिर चली जाती थी, 6 बार दुल्हन बनी 3 बच्चों की मां मौके पर मौजूद डॉक्टर कोमल सहा ने बताया कि सिकल सेल नाम की बीमारी थारू जनजाति के लोगों में अधिक पाई जाती है, लेकिन अब यह बीमारी अन्य लोगों में भी देखने को मिल रही है. क्योंकि यहां के लोग बाहर जाकर शादी कर लेते हैं. जिससे उन लोगों में बीमारी फैल रही है. बीमारी को बढ़ता देख देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने इस बीमारी के को मिटाने के लिए अभियान चलाया है. साल 2047 तक इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का टारगेट रखा है. इस बीमारी में लाल रक्त कोशिका के आकार में परिवर्तन हो जाता है. इस लाल रक्त कोशिका की उम्र 120 दिन की होती है. उसके बाद रक्त में विकार पैदा हो जाते हैं. लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है. घुटनों में और जोड़ों में दर्द होने लगता है. त्वचा संबंधी बीमारियां होने लगते हैं और तमाम तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं. स्वास्थ्य विभाग ने इसको लेकर अभियान चला रखा है. इन लोगों की जांच कर कर चिन्हित किया जा रहा है. Tags: Lakhimpur Kheri News, UP news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 15:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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