बकरी के मल से तैयार होती है ये खाद शहरों में है इसकी खूब डिमांड

Earthworm Compost From Goat Dung: डॉ. बिसेन ने बताया कि गाँवों में जिसे हम साधारण गोबर मानते हैं, वही बड़े शहरों में केंचुआ खाद बनकर 50 रुपए प्रति किलो तक बिकता है. गाँव की महिलाएं इस खाद को बनाकर अच्छा पैसा कमा सकती हैं और साथ ही अपने खेतों में इसका उपयोग कर मिट्टी की उर्वरकता भी बढ़ा सकती हैं.

बकरी के मल से तैयार होती है ये खाद शहरों में है इसकी खूब डिमांड
अतीश त्रिवेदी, लखीमपुर: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में महिलाओं को केंचुआ खाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह प्रशिक्षण गांवों में चौपाल लगाकर दिया जा रहा है, जिसमें उन्हें बताया जा रहा है कि कैसे बकरी के मल से केंचुआ खाद तैयार कर, उसे बिक्री के लिए तैयार किया जा सकता है. कृषि विज्ञान केंद्र, जमुना बाद फॉर्म के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि केंचुआ खाद की सबसे ज्यादा डिमांड एयरपोर्ट और फाइव-स्टार होटलों में होती है, जहां इसे डेकोरेटिव प्लांट्स के लिए उपयोग किया जाता है. प्रशिक्षण और जानकारी डॉ. बिसेन ने गंगापुर गांव में आयोजित किसान गोष्ठी में महिलाओं और बकरी पालकों को बताया कि जैविक खाद आज के समय की आवश्यकता है. रासायनिक खादों का आयात भारत में किया जाता है, जबकि चीन जैसे देश जैविक उत्पाद और केंचुआ खाद से भारी मुनाफा कमा रहे हैं. दुनियाभर में जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के बीच, भारत के गांवों में फैला गोबर किसानों की जैविक जरूरतों को पूरा कर सकता है. किसानों के लिए यह न केवल खेती को उर्वर बनाने का साधन है, बल्कि इसे बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन) के माध्यम से बेचा भी जा सकता है. कैसे बनाएं केंचुआ खाद डॉ. बिसेन ने केंचुआ खाद बनाने की प्रक्रिया समझाते हुए कहा कि किसी भी जानवर के मल को सबसे पहले फैलाकर ठंडा किया जाए. फिर तीन मीटर बाई डेढ़ मीटर और डेढ़ फीट गहरा गड्ढा या ईंट से पिट बनाई जाए. इसमें एक फीट ठंडा किया हुआ गोबर डालकर केंचुए छोड़े जाएं. लगभग डेढ़ महीने में केंचुए गोबर को खाकर इसे बेहतरीन जैविक खाद में बदल देते हैं. एक एकड़ भूमि में 20 कुंटल केंचुआ खाद डालने से डीएपी और अन्य रासायनिक खादों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, और फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि होगी. बड़े शहरों में केंचुआ खाद की भारी मांग डॉ. बिसेन ने बताया कि गाँवों में जिसे हम साधारण गोबर मानते हैं, वही बड़े शहरों में केंचुआ खाद बनकर 50 रुपए प्रति किलो तक बिकता है. गाँव की महिलाएं इस खाद को बनाकर अच्छा पैसा कमा सकती हैं और साथ ही अपने खेतों में इसका उपयोग कर मिट्टी की उर्वरकता भी बढ़ा सकती हैं. उन्होंने एफपीओ से जुड़ी महिलाओं को बताया कि सरकार की पीएम प्रणाम योजना के तहत गाँव-गाँव में वर्मी पिट और कम्पोस्ट पिट बनाए जा रहे हैं, जिससे गाँव की स्वच्छता भी बनी रहेगी और किसानों की आमदनी में भी वृद्धि होगी. Tags: Lakhimpur Kheri, Lakhimpur Kheri News, Local18FIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 15:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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