कथक का दीवाना है श्रीलंका का ये युवक भारत में मुफ्त में सिखा रहा है नृत्य

Kathak Dance Teaching Free: 31 वर्षीय विहंगा रुकशन श्रीलंका के रहने वाले हैं और अहमदाबाद के घाटलोडिया में रहते हैं. वे भारतीय शास्त्रीय नृत्य कथक को ज़िंदा रखने के लिए भारत और श्रीलंका के युवाओं को मुफ्त में सिखा रहे हैं. गुरु मोक्ष समरसूर्या और पंडित गुरु विक्रम सिंह की प्रेरणा से उन्होंने कथक को जीवन का उद्देश्य बनाया.

कथक का दीवाना है श्रीलंका का ये युवक भारत में मुफ्त में सिखा रहा है नृत्य
अहमदाबाद: कथक भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से एक है. इसे गाने और वाद्ययंत्रों के साथ प्रस्तुत करना बेहद कठिन है. इसी कला को आज की युवा पीढ़ी के बीच ज़िंदा रखने का काम कर रहे हैं 31 वर्षीय विहंगा रुकशन. वे मूल रूप से श्रीलंका के रहने वाले हैं, लेकिन फिलहाल अहमदाबाद के घाटलोडिया इलाके में रहते हैं. खास बात यह है कि इस कला को ज़िंदा रखने के लिए वे श्रीलंका और भारत के युवाओं को कथक नृत्य मुफ्त में सिखा रहे हैं. कथा कहे सो कथक कहावे कथक भारत के शास्त्रीय नृत्यों में से एक है. कहा जाता है, “कथा कहे सो कथक कहावे”, यानी जो मंदिर में कथा सुनाता है, उसे कथक कहा जाता है. कथा पढ़ी जा सकती है, लेकिन इसे सुनने वाले बधिरों तक नहीं पहुंचाया जा सकता. वहीं, कथक के माध्यम से प्रस्तुत कहानी की कोई सीमा नहीं होती. आजकल हमारे आसपास बहुत कम लोग हैं, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत या नृत्य से जुड़े हुए हैं. ऐसे में श्रीलंका के 31 वर्षीय युवक, जो अहमदाबाद के घाटलोडिया इलाके में रहते हैं, भारतीय शास्त्रीय नृत्य कथक से जुड़े हुए हैं. वे इस कला को ज़िंदा रखने के लिए युवाओं को कथक सिखाते हैं. कथक सिखाने का सफर लोकल 18 से बात करते हुए विहंगा रुकशन ने बताया कि वे भारतीय और श्रीलंकाई युवाओं को कथक कला सिखाते हैं. उनके पिता महिदा श्रीलंका में रिटायर्ड पुलिस अधिकारी हैं और मां जीवा प्रियदर्शिनी एक गृहिणी हैं. उनके बड़े भाई थिसारा खविदा श्रीलंकाई सरकार के आईटी सेक्टर में काम करते हैं, जबकि बड़ी बहन भग्या सथसरानी होटल कॉरपोरेशन के सेमी-गवर्नमेंट सेक्टर में. बचपन में जब वे श्रीलंका में स्कूल में पढ़ते थे, तब अपनी बहन के साथ म्यूजिक क्लास भी जाते थे. बहन को डांस करते देखकर उन्होंने डांस के प्रति काफी लगाव महसूस किया. पुष्पा पतंगों ने मचाया बाजार में धमाल! राजकोट में क्यों हो रही है इनकी इतनी बिक्री? कथक सीखने की प्रेरणा जब वे म्यूजिक परफॉर्म कर रहे थे, उनके कुछ दोस्त कथक सीख रहे थे. यह देखकर उनका कथक सीखने का जुनून और बढ़ गया. 2010 में उन्होंने गुरु मोक्ष समरसूर्या से कथक की ट्रेनिंग लेनी शुरू की. एक प्रोग्राम में अपने गुरु को परफॉर्म करते हुए देखकर उनके अंदर कथक में आगे बढ़ने की नई चाहत जागी. उन्होंने गुरु परंपरा के लिए पंडित गुरु विक्रम सिंह को अपना गुरु बनाया. हालांकि, गुरु मोक्ष समरसूर्या के गुरु भारत के प्रसिद्ध बिरजू महाराज थे. उन्होंने विहंगा को सलाह दी कि कथक में आगे बढ़ने के लिए भारत जाएं. Tags: Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 10:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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